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 गैलापागोस में मिली विलुप्त हो चुके दैत्याकार कछुए की प्रजाति, पिछले 100 साल से किसी ने नहीं देखा था
क्विटो। प्रशांत महासागर में स्थित दुनिया से सबसे बड़े कछुओं के घर गैलापागोस द्वीपसमूह से एक अच्छी खबर आई है। यहां वैज्ञानिकों की एक टीम ने महाविशाल कछुए की एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है जो लगभग 115 साल पहले विलुप्त हो गई थी। इस वयस्क मादा कछुए को 2019 में खोजा गया था, हालांकि तबसे लेकर अबतक वैज्ञानिक इसकी प्रजाति को लेकर अध्ययन कर रहे थे।
फर्नांडीना जाइंट कछुआ मिलने की पुष्टि हुई
अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला है कि यह मादा फर्नांडीना जाइंट कछुआ (चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस) है। जिसके बाद से पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय वैज्ञानिकों ने खुशी जाहिर की है। इस द्वीपसमूह पर वर्तमान में लैटिन अमेरिकी देश इक्वाडोर का कब्जा है। इस खबर के बाद इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्री गुस्तावो मैनरिक ने ट्विटर पर इस खबर की पुष्टि करते हुए लिखा: 'आशा अभी जिंदा है!'
यह प्रजाति कैसे हुई थी विलुप्त?
कछुए की इस प्रजाति का गैलापागोस द्वीपसमूह की यात्रा करने वाले यूरोपीय और अन्य उपनिवेशवादियों ने मांस के लिए खूब शिकार किया। उनके अंधाधुंध शिकार की चपेट में इस द्वीपसमूह में पाए जाने वाले कछुओं की कई प्रजातियां आईं। लेकिन, फर्नांडीना द्वीप पर मिलने वाले चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस कछुए विलुप्त हो गए। इस प्रजाति के कछुए को अंतिम बार 1906 में देखा गया था।
कैसे मिली विलुप्त हो चुकी यह मादा कछुआ
दरअसल, 2019 में वैज्ञानिकों का एक दल पश्चिमी इक्वाडोर क्षेत्र में गैलापागोस द्वीपसमूह के फर्नांडीना द्वीप पर पहुंचा था। इस द्वीप पर ही उन्हें यह मादा कछुआ मिली। विलुप्त हुई प्रजाति से लिंक को साबित करने के लिए, येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस प्रजाति के नर के अवशेषों की तुलना करने के लिए मादा से नमूने लिए।
इक्वाडोर के मंत्री बोले- आशा बरकरार है!
इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्री गुस्तावो मैनरिक ने कहा कि यह माना जाता था कि यह 100 साल से भी पहले विलुप्त हो गया था! हमने इसके अस्तित्व की पुष्टि की है। चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस प्रजाति का कछुआ गैलापागोस में पाया गया था। आशा बरकरार है!' 2019 के अभियान के दौरान, गैलापागोस नेशनल पार्क और यूएस एनजीओ गैलापागोस कंजरवेंसी के शोधकर्ताओं ने कठोर हो चुके लावा प्रवाह के तीन मील की दूरी को पार कर कछुओं के कई अवशेषों का पता लगाया था।

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