क्या होती है हवाई फायरिंग और जश्न वाली हर्ष फायरिंग ... जानें कानून क्या कहता है....
अक्सर आपने खबरों में पढ़ा होगा कि अमुक शहर में अमुक घटना के दौरान पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। ऐसी खबरों में स्पष्ट होता है कि किसी बवाल, हंगामे वगैरह को कंट्रोल करने के लिए, बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नागरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ती है।
इन परिस्थितियों में पुलिस हवा में फायरिंग करती है और भीड़ तितर-बितर हो जाती है। पुलिस का उद्देश्य यहां नागरिक सुरक्षा होता है, लेकिन अगर सुरक्षा व्यवस्था को दांव पर लगाते हुए कोई दहशत फैलाने के उद्देश्य से ऐसा करता है तो यह कानूनन गलत हो जाता है। ये तो पुलिस की हवाई फायरिंग के बारे में जानकारी हुई, लेकिन फिर ये जो शादी, सेलिब्रेशन, चुनाव में जीत जैसे जश्न भरे माहौल में जो हवाई फायरिंग की जाती है, उनका क्या मतलब होता है? आइए जरा विस्तार से समझते हैं.
क्या होती है हर्ष फायरिंग?
हर्ष फायरिंग शब्द से ही स्पष्ट है कि हर्ष यानी खुशी के मौके पर की गई फायरिंग। इसे अंग्रेजी में Celebratory gunfire कहा जाता है. शादी, सेलिब्रेशन, जीत का जश्न, त्यौहार पर या किसी खुशी के मौके पर हर्ष फायरिंग आम बात है। वेस्टर्न कंट्रीज में न्यू ईयर पर हर्ष फायरिंग की जाती है। वहीं भारत के कई राज्यों में खासकर शादी के अवसर पर हर्ष फायरिंग खूब की जाती है। कई बार जश्न के माहौल में फायरिंग के दौरान किसी व्यक्ति को भी गोली लग जाती है और उचित इलाज नहीं मिलने से मौत भी हो जाती है।
हवाई फायरिंग क्या होती है?
हर्ष फायरिंग से अलग हवाई फायरिंग अक्सर नागरिक सुरक्षा के मकसद से की जाती है। पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ती है। कई बार भीड़ में बदमाश भी हवाई फायरिंग का फायदा उठाते हैं और गोली चला देते हैं। इन गोलियों से जान का नुकसान भी हो सकता है।
क्या कहता है कानून?
हवाई फायरिंग केवल सुरक्षा की दृष्टि से स्वीकार्य है, अन्यथा हर्ष फायरिंग और हवाई फायरिंग, दोनों ही कानूनी तौर पर अमान्य हैं। किसी की मौत होने पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाता है। वहीं जश्न के दौरान हर्ष फायरिंग करनेवालों पर गृह मंत्रालय सख्ती की तैयारी में है। गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव पर हर्ष फायरिंग के दोषियों के लिए 2 साल की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
आम्र्स एक्ट को भी और सख्त करने की तैयारी है। साल 2019 में आम्र्स एक्ट 1959 में संशोधन का ड्राफ्ट सामने आया था। नए नियमों के तहत मौके विशेष पर सिर्फ 1 ही हथियार रखा जा सकेगा। हालांकि, ड्राफ्ट में र्क और भी प्रावधान है. अवैध हथियारों पर भी सरकारें सख्ती बरत रही हैं।
पुलिस की फायरिंग में किसी की मौत हो जाए तो?
हवाई फायरिंग को सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से ही स्वीकार किया जा सकता है। पुलिस या सुरक्षाबलों की हवाई फायरिंग में अगर आम आदमी की मौत होती है तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई होती है।
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