ब्रेकिंग न्यूज़

ओमीक्रोन के इतने सारे उप-स्वरूप क्यों हैं? क्या फिर से संक्रमित हो सकते हैं?
 मेलबर्न। अभी तक हममें से अनेक लोग सार्स-सीओवी-2 के ओमीक्रोन स्वरूप से भलीभांति अवगत हो चुके होंगे। संक्रमण के इस चिंताजनक स्वरूप ने महामारी का रुख बदल दिया, जिससे दुनियाभर में मामलों में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। हम साथ ही ओमीक्रोन के नए उप-स्वरूपों जैसे कि बीए.2, बीए.4 और अब बीए.5 के नाम सुन रहे हैं। चिंता की बात यह है कि ये उप-स्वरूप लोगों को पुन: संक्रमित कर सकते हैं जिससे मामलों में वृद्धि आ रही है। हम क्यों इतने नए उप-स्वरूपों को देख रहे हैं? क्या वायरस तेजी से उत्परिवर्तित हो रहा है? और कोविड का भविष्य पर क्या असर है? ओमीक्रोन के इतने सारे स्वरूप क्यों हैं?
सार्स-सीओवी-2 समेत सभी वायरस लगातार उत्परिवर्तित होते हैं। ज्यादातर उत्परिवर्तन के एक व्यक्ति से दूसरे को संक्रमित करने या गंभीर रूप से बीमार करने की क्षमता पर बहुत कम या न के बराबर असर होता है। जब एक वायरस कई बार उत्परिवर्तित हो जाता है तो इसे अलग वंशावली माना जाता है। लेकिन एक वायरस वंशावली को तब तक स्वरूप नहीं माना जाता जब कि कई अनोखे उत्परिवर्तन नहीं कर लेता। यही बीए वंशावली की वजह है जिसे विश्व स्वास्थ्स संगठन ने ओमीक्रोन बताया है। चूंकि ओमीक्रोन तेजी से फैलता है और इसे उत्परिवर्तन के कई मौके मिलते हैं तो अपने खुद के कई विशिष्ट उत्परिर्तन होते हैं। इससे उप-स्वरूपों का जन्म होता है। हमने पहले के स्वरूपों के भी उप-स्वरूप देखे हैं जैसे कि डेल्टा स्वरूप।
उप-स्वरूप इतनी बड़ी दिक्कत क्यों हैं?
ऐसे सबूत हैं कि ये ओमीक्रोन उप-स्वरूप खासतौर से बीए.4 और बीए.5 लोगों को पुन: संक्रमित कर रहे हैं। ऐसी भी चिंता है कि ये उप-स्वरूप कोविड-19 रोधी टीके की खुराक ले चुके लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए हम पुन: संक्रमण के कारण आगामी हफ्तों और महीनों में कोविड के मामलों में तेज वृद्धि देख सकते हैं, जैसा कि हम पहले ही दक्षिण अफ्रीका में देख रहे हैं। हालांकि, हाल के अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना वायरस रोधी टीके की तीसरे खुराक ओमीक्रोन को रोकने में सबसे ज्यादा कारगर है। क्या वायरस तेजी से उत्परिवर्तित होता है?
आप सोचते हैं कि सार्स-सीओवी-2 सबसे अधिक तेजी से उत्परिवर्तित होता है लेकिन यह वायरस असल में धीरे-धीरे उत्परिवर्तित होता है। उदाहरण के लिए इन्फ्लूएंजा वायरस कम से कम चार गुना अधिक तेजी से उत्परिवर्तित होता है। किसी वायरस के स्वरूपों के सामने आने के लिए केवल उत्परिवर्तन ही रास्ता नहीं है। ओमीक्रोन का एक्सई स्वरूप पुन: संयोजन का नतीजा है। ऐसा तब होता है कि जब एक ही मरीज बीए.1 और बीए.2 दोनों से एक बार में संक्रमित होता है। भविष्य में हम क्या देख सकते हैं?
जहां तक वायरस के प्रसार का सवाल है तो हम वायरस की नयी वंशावली और स्वरूप देखते रहेंगे। चूंकि ओमीक्रोन अभी सबसे आम स्वरूप है तो ऐसी संभावना है कि हम ओमीक्रोन के और उप-स्वरूप देखेंगे। वैज्ञानिक नए उत्परिवर्तनों और पुन: संयोजन से बने स्वरूपों पर नजर रखते रहेंगे। वे यह अनुमान लगाने के लिए जीनोमिक प्रौद्योगिकियों का भी इस्तेमाल करेंगे कि ये कैसे पैदा होते हैं और क्या इनका वायरस के व्यवहार पर कोई असर पड़ता है। इससे हमें स्वरूपों और उप-स्वरूपों के प्रसार तथा उनके असर को सीमित करने में मदद मिलेगी। यह कई या विशिष्ट स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी टीकों के विकास में भी मार्गदर्शन करेगा।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english