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सेंसेक्स में 1,491 अंक की भारी गिरावट, निफ्टी 16,000 अंक से नीचे उतरा

मुंबई.  रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और वैश्विक बाजारों में बिकवाली से सोमवार का दिन घरेलू शेयर बाजारों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ और सेंसेक्स में 1,491 अंक की भारी गिरावट आई, जबकि निफ्टी 16,000 अंक के स्तर से नीचे आ गया। कारोबारियों ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आने के साथ ही विदेशी कोषों की भारतीय बाजार से निकासी जारी रहने से भी बाजार में अफरातफरी का माहौल बना। बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स की शुरुआत बेहद कमजोर रही और दिनभर के कारोबार में इसमें 1,966.71 अंक यानी 3.61 प्रतिशत तक की उठापटक देखी गई। हालांकि, बाद में यह नुकसान की थोड़ी भरपाई करने में सफल रहा और कारोबार के अंत में 1,491.06 अंक यानी 2.74 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 52,842.75 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 382.20 अंक यानी 2.35 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 15,863.15 अंक के स्तर पर आ गया। दोनों प्रमुख सूचकांकों का यह पिछले सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। इसके साथ ही घरेलू बाजारों में लगातार चौथे कारोबारी दिन गिरावट दर्ज की गई। इन चार दिन में सेंसेक्स में 3,404.53 अंक यानी 6.05 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। सेंसेक्स में शामिल अधिकांश कंपनियों के प्रदर्शन पर इसका असर देखा गया। इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, अल्ट्राटेक सीमेंट और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में 7.63 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। इसके उलट सिर्फ भारती एयरटेल, एचसीएल टेक, टाटा स्टील और इन्फोसिस के शेयर लाभ में रहे। इन कंपनियों के शेयर 3.46 प्रतिशत तक की बढ़त पर रहे। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘कच्चे तेल के दाम जुलाई, 2008 के बाद पहली बार 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं। रूस से तेल के निर्यात पर अमेरिका एवं यूरोपीय देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने का जोखिम पैदा होने से तेल के दाम इतना चढ़े हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि वैश्विक बाजारों की तर्ज पर घरेलू बाजारों में भी शुरुआती घंटे से ही भारी बिकवाली देखी गई।'' नायर ने कहा कि सोना, एल्युमिनियम, तांबा जैसे जिंसों में भी मुद्रास्फीतिक दबाव देखा गया, जो अगली तिमाहियों में कंपनियों के लाभ को प्रभावित करेगा। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (खुदरा) अजित मिश्रा ने कहा कि रूस पर कच्चे तेल के निर्यात की पाबंदी लगने की आशंका से इसकी कीमतों में आए तीव्र उछाल से बाजार सकते में आ गए। इसके अलावा यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई थमने का कोई संकेत न दिखाई देना भी बाजार के प्रतिकूल गया। बीएसई को व्यापक तौर पर इसकी मार झेलनी पड़ी। बीएसई स्मालकैप और मिडकैप सूचकांक में 2.30 प्रतिशत तक की गिरावट रही। बीएसई के विभिन्न वर्गों के सूचकांकों में रियल्टी, बैंक, वित्त और वाहन में 5.31 प्रतिशत तक का नुकसान रहा। सिर्फ दूरसंचार, धातु, तेल एवं गैस और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के सूचकांक ही फायदे में रहे। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों में से 2,608 में गिरावट दर्ज की गई जबकि 849 कंपनियां बढ़त पर रहीं और 137 अपरिवर्तित रहीं। एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग, शंघाई और तोक्यो खासी गिरावट में रहे।
यूरोप के बाजारों में भी दोपहर के सत्र में नकारात्मक धारणा देखी गई। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 6.08 प्रतिशत के उछाल के साथ 125.3 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 93 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.10 रुपये प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का बिकवाली का रुख बरकरार है। शेयर बाजार के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को एफआईआई ने 7,631.02 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

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