पीएलआई योजना से मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक संघटक पुर्जों के विनिर्माण में एक नए युग की शुरुआत
- अगले 5 वर्षों में 11.50 लाख करोड़ रु.के उत्पादन और 7 लाख करोड़ रु. के निर्यात की उम्मीद
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में और डिजिटल इंडिया तथा मेक इन इंडिया कार्यक्रमों जैसी दूरदर्शी पहल के कारण भारत में पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रॉनिकीविनिर्माण के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इलेक्ट्रॉनिकी पर राष्ट्रीय नीति 2019 में आकार और पैमाने पर ध्यान केंद्रित करके, निर्यात को बढ़ावा देकर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए उद्योग के लिए समर्थनकारी परिवेश बनाकर घरेलू मूल्य संवर्धन करके भारत को इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को1 अप्रैल, 2020 को अधिसूचित किया गया था । पीएलआई योजना लक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत भारत में विनिर्मित और वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष पर) पर पात्र कंपनियों कोआधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) के बाद पांच वर्ष की अवधि के लिए4त्न से 6त्न तक की प्रोत्साहन राशि देगी । यह योजना आवेदन करने के लिए 31.7.2020 तक खुली थी । योजना के अंतर्गत ये प्रोत्साहन 01.08.2020 से लागू हैं।
अपने संबोधन में योजना के अंतर्गत एप्लीकेशन विंडो का निष्कर्ष करते हुए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, कानून और न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि वैश्विक तथा घरेलू मोबाइल विनिर्माण कंपनियों तथा इलेक्ट्रॉनिकी संघटक-पुर्जा विनिर्माताओं से प्राप्त आवेदनों की दृष्टि से पीएलआई योजना बहुत सफल रही है । उद्योग ने एक विश्व स्तरीय विनिर्माण स्थल के रूप में भारत की प्रगति में अपना विश्वास जताया हैतथा यह प्रधानमंत्री केआत्म-निर्भर भारत-ए सेल्फ-रिलायंट इंडिया के आह्वान के साथ ठोस रूप से प्रतिध्वनित होता है ।
पीएलआई योजना के तहत कुल 22 कंपनियों ने अपना आवेदन दिया है। मोबाइल फोन (इनवॉइस वैल्यू आईएनआर 15,000 और इससे अधिक) खंड के तहत आवेदन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल फोन विनिर्माण कंपनियां इस प्रकार हैं- सैमसंग, फॉक्सकॉन हॉन हाय, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉनहै। इनमें से 3 कंपनियां, अर्थात् फॉक्सकॉन हॉन हाय, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन, एप्पल आईफोन के लिए अनुबंध पर विनिर्माता हैं। एप्पल (37 प्रतिशत ) और सैमसंग (22 प्रतिशत ) मिलकरमोबाइल फोन की वैश्विक बिक्री के राजस्व का लगभग 60 प्रतिशत हैं और इस योजना से देश में उनके विनिर्माण आधार में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है।
मोबाइल फोन (घरेलू कंपनियां) खंडके तहत भारतीय कंपनियों जिसमें लावा, डिक्सन टेक्नोलॉजीज़, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडगेट इलेक्ट्रॉनिक्स, सोजो मैन्युफैक्चरिंगसर्विसेज़ और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं, ने इस योजना के तहत आवेदन किया है। उम्मीद है कि ये कंपनियां बड़े पैमाने पर अपने विनिर्माण कार्यों का विस्तार करेंगी और मोबाइल फोन उत्पादन के क्षेत्र में राष्ट्रीय चैंपियन कंपनियों के रूप में विकसित होंगी।
10 कंपनियों ने विनिर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक संघटक पुर्जाखंड के तहत आवेदन किए हैं, जिसमें एटीएंडएस, एसेंट सर्किट्स, विजिकॉन, वाल्सिन, सहस्रा, विटेस्को और नियोलिंक शामिल हैं। अगले 5 वर्षों में, इस योजना से लगभग आईएनआर 11 लाख 50 हजार करोड़ (आईएनआर 11.5 लाख करोड़) का कुल उत्पादन होने की उम्मीद है। कुल उत्पादन में से, मोबाइल फोन (इनवॉइस वैल्यू आईएनआर 15 हजार और इससे अधिक) खंड के तहत कंपनियों ने आईएनआर 9 लाख करोड़ से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव किया है, और मोबाइल फोन (घरेलू कंपनियां)खंड के तहत कंपनियों ने लगभग आईएनआर 2 लाख करोड़ का उत्पादन प्रस्तावित किया है और विनिर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक संघटक पुर्जाखंड के तहत आने वाली कंपनियों ने आईएनआर 45 हजार करोड़ से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव किया है।
इस योजना से निर्यात को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अगले 5 वर्षों में आईएनआर 11 लाख 50 हजार करोड़ के कुल उत्पादन में से 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान निर्यात द्वारा दिया जाएगा, जो आईएनआर 7 लाख करोड़ है । इस योजना से इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण में आईएनआर 11 हजार करोड़ का अतिरिक्त निवेश होगा।
इस योजना से अगले 5 वर्षों में लगभग 3 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरपैदा होंगेऔर इसके साथ प्रत्यक्ष रोजगार के लगभग 3 गुना अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा ।घरेलू मूल्य संवर्धन मोबाइल फ़ोनों के मामले में वर्तमान 15-20त्न से 35-40त्न तक और इलेक्ट्रॉनिक संघटक पुर्जों के लिए 45-50त्न तक बढऩे की उम्मीद है।
भारत में इलेक्ट्रॉनिकी की मांग में वर्ष 2025 तक कई गुना बढऩे की उम्मीद है, माननीय मंत्री जी ने विश्वास व्यक्त किया कि इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना और अन्य पहलें भारत को इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के लिए एक प्रतिस्पर्धी स्थल बनाने में मदद करेंगी औरआत्मनिर्भर भारतको प्रोत्साहन देंगी । इस योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण में घरेलू चैंपियन कंपनियों का निर्माण होने से वैश्विक स्तर का लक्ष्य रखते हुए देश में विनिर्मित वस्तुओं के इस्तेमालको प्रोत्साहन मिलेगा।
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