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एलआईसी के आईपीओ को 2.95 गुना अभिदान, विदेशी निवेशकों की ठंडी प्रतिक्रिया

नयी दिल्ली| भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) सोमवार को करीब तीन गुना अभिदान के साथ बंद हुआ। घरेलू निवेशकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जबकि विदेशी निवेशकों की प्रतिक्रिया ‘ठंडी' रही। यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ है। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी में सरकार को अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से 20,500 करोड़ रुपये मिले। हालांकि, विदेशी निवेशकों की कम भागीदारी को सरकार ने ज्यादा तवज्जो न देते हुए कहा कि यह 'आत्म-निर्भर भारत' का एक उदाहरण है और निर्गम को निवेशकों के विभिन्न वर्गों का तगड़ा समर्थन मिला है। एलआईसी के आईपीओ के तहत 16,20,78,067 शेयरों की पेशकश की गई थी लेकिन इसकी तुलना में 2.95 गुना बोलियां लगाई गई हैं। शेयर बाजारों पर शाम सात बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इन शेयरों के लिए निवेशकों की तरफ से 47,83,25,760 बोलियां लगाई गईं। बोलियां लगाने वाले निवेशकों को एलआईसी के शेयर 12 मई को आवंटित किए जाएंगे जबकि शेयर बाजारों में एलआईसी को 17 मई को सूचीबद्ध किया जाएगा। पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) श्रेणी के शेयरों को 2.83 गुना अभिदान मिला। इस श्रेणी के लिए आरक्षित 3.95 करोड़ शेयरों के लिए 11.20 करोड़ बोलियां लगाई गईं। गैर-संस्थागत निवेशक (एनआईआई) श्रेणी के तहत 2,96,48,427 शेयरों की पेशकश की गई थी जिनके लिए 8,61,93,060 बोलियां लगाई गईं। इस तरह एनआईआई खंड को 2.91 गुना अभिदान मिला है। खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों ने 6.9 करोड़ शेयरों की पेशकश पर 13.77 करोड़ शेयरों की बोलियां लगाईं। इस खंड में 1.99 गुना अभिदान मिला है। एलआईसी के पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित खंड में छह गुना से अधिक अभिदान मिला जबकि एलआईसी के पात्र कर्मचारियों के खंड में 4.4 गुना बोलियां मिली हैं। एलआईसी ने चार मई को खुले इस निर्गम के लिए 902-949 रुपये प्रति शेयर का मूल्य दायरा तय किया था। इसमें पात्र पॉलिसीधारकों एवं कर्मचारियों के लिए कुछ शेयर आरक्षित रखे जाने के अलावा उन्हें छूट भी दी गई थी। सरकार ने इस निर्गम के जरिये एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री करने का फैसला किया है। इस हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को करीब 20,557 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी। इस राशि के साथ एलआईसी का निर्गम देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हुआ है। इसके पहले वर्ष 2021 में आया पेटीएम का आईपीओ 18,300 करोड़ रुपये का था। उससे पहले वर्ष 2010 में कोल इंडिया का आईपीओ करीब 15,500 करोड़ रुपये का था। एलआईसी का गठन एक सितंबर, 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर किया गया था। उस समय इसमें पांच करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई थी। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने निर्गम की अवधि खत्म होने के बाद संवाददाताओं से कहा कि एलआईसी के आईपीओ को सभी खंडों में निवेशकों का तगड़ा समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू निवेशकों ने एलआईसी के आईपीओ को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया है। यह आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण है।'' उन्होंने कहा कि अब विदेशी निवेशकों पर निर्भरता नहीं रही। पांडेय ने कहा, ‘‘आईपीओ में बोलियां लगाने वालों को 12 मई को शेयर आवंटित किए जाएंगे।'' इसके साथ ही एलआईसी के शेयर को शेयर बाजारों में 17 मई को सूचीबद्ध किया जाएगा।

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