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एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक नीति के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का होगा एकीकरण, वित्त मंत्रालय बना रहा योजना

नई दिल्ली।  केंद्रीय वित्त मंत्रालय ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को एकीकृत करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की दक्षता में सुधार लाना और प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकना है।
 खबरों के अनुसार ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक नीति पर विचार किया जा रहा है और इस पर काम चल रहा है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या को मौजूदा 43 से घटाकर करीब 30 करने की है।’ इसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन के आधार पर एक राज्य के भीतर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक प्रायोजक बैंक में विलय किया जाएगा। इससे प्रत्येक राज्य में एक प्रायोजक बैंक होगा जो उस राज्य के अन्य ग्रामीण बैंकों की परिसंपत्तियों को अपने में मिलाएगा। 
 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय स्तर पर खोले जाते हैं और इनका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना होता है। इस तरह के बैंकों को आरआरबी अ​धिनियम, 1976 के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों की ओर से पूंजी प्रदान की जाती है।देश का सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक सर्वा​धिक 14 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रायोजक है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक 9, केनरा बैंक 4, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक 3-3, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 2, यूको बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1-1 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के प्रायोजक हैं।
राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में 3-3 आरआरबी हैं, जबकि बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना में 2-2 आरआरबी हैं। वित्त वर्ष 2024 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने अभी तक का सर्वा​धिक 7,571 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था और उनके सकल गैर-निष्पादित आ​स्तियों का अनुपात 6.1 फीसदी रहा, जो 10 साल में सबसे कम है।
पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें प्रायोजक बैंकों को व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार लाने, डिजिटल प्रौद्योगिकी सेवाओं को उन्नत बनाने और एमएसएमई क्लस्टरों में विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया था। आरआरबी से कहा गया था कि समय के साथ प्रासंगिक बने रहने के लिए वे अपनी प्रौद्योगिकी को अपडेट करें। वित्त मंत्री ने कहा कि मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं चुनौतीपूर्ण यातायात संपर्क वाले क्षेत्रों, जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होंगी।

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