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 टाटा समूह द्वारा विकसित देश की पहली कोरोना जांच तकनीक    के कॉमर्शियल उपयोग को मिली मंजूरी

नई दिल्ली। टाटा सीआरआईएसपीआर (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शार्ट पालिंड्रोमिक रिपीट) जांच, जो कि सीएसआईआर - आईजीआईबी (इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी) एफईएलयूडीए द्वारा संचालित है, को नोवेल कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए 96 प्रतिशत संवेदनशीलता एवं 98 प्रतिशत विशिष्टता के साथ उच्च गुणवत्ता वाले मानदण्डों को पूरा करने केआईसीएमआर के दिशा निर्देश के अनुसार ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) से   व्यावसायिक शुरुआत के लिए विनियामक मंजूरी मिल गयी। इस जांच में एसएआरएस - कोव-2  वायरस के जीनोमिक अनुक्रम का पता लगाने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित एक अत्याधुनिक सीआरआईएसपीआर तकनीक का उपयोग होता है।
 टाटा सीआरआईएसपीआर जांच कोविड -19 के वायरस का सफलतापूर्वक पता लगाने के लिए विशेष रूप से अनुकूलित सीएएस 9 प्रोटीन को तैनात करने वाला दुनिया की पहली नैदानिक  जांच है। यह भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो 100 दिनों से कम समय में अनुसंधान एवं विकास से आगे बढ़ते हुए एक उच्च सटीकता, मापने योग्य एवं विश्वसनीय जांच तक पहुंच गया है। टाटा सीआरआईएसपीआर जांच पारंपरिक आरटी-पीसीआर परीक्षणों की सटीकता के स्तर को तेज गति से कम समय में, कम महंगे उपकरण और आसान उपयोग के साथ हासिल करता है। इसके अलावा, सीआरआईएसपीआर भविष्य की एक तकनीक है जिसे आने वाले समय में कई अन्य रोग जनकों का पता लगाने के लिए भी तैयार किया जा सकता है।
 यह प्रयास वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग के बीच एक उपयोगी सहयोग का परिणाम है। टाटा समूह ने सीएसआईआर-आईजीआईबी एवं आईसीएमआर के साथ मिलकर एक उच्च गुणवत्ता वाली जांच तैयार करने का काम किया है, जो राष्ट्र को कोविड -19 जांच को त्वरित एवं आर्थिक रूप से सफल बनाने में मदद करेगा। यह मेड इन इंडिया  उत्पाद है, जो कि सुरक्षित, विश्वसनीय, किफायती एवं सुलभ है।
 इस उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, गिरीश कृष्णमूर्ति, सीईओ, टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड, ने कहा,  कोविड-19 के लिए टाटा सीआरआईएसपीआर जांच की मंजूरी से इस वैश्विक महामारी से लडऩे के देश के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। टाटा सीआरआईएसपीआर जांच का व्यावसायीकरण देश की अनुसंधान एवं विकास संबंधी  जबरदस्त प्रतिभा को दर्शाता है, जो वैश्विक स्वास्थ्य सेवा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान की दुनिया में भारत के योगदान को रूपांतरित करने में मदद कर सकता है। 
 डॉ. शेखर सी मांडे, महानिदेशक-सीएसआईआर, ने सीएसआईआर-आईजीआईबी के  वैज्ञानिकों एवं छात्रों की टीम, टाटा सन्स तथा डीसीजीआई को वर्तमान महामारी के दौरान किए गए अनुकरणीय कार्य एवं सहयोग, जो नोवेल डायग्नोस्टिक किट की मंजूरी एवं भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नवाचारके लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करने के लिए किया गया था, के लिए बधाई दी।
 सीएसआईआर - आईजीआईबी के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि सीएसआईआर ने जीनोम डायग्नॉस्टिक्स और थैरेप्यूटिक्स के लिए सिकल सेल मिशन के तहत जो काम शुरू किया उसने एक नए ज्ञान को जन्म दिया है, जिसे एसएआरएस -कोव-2 के लिए जल्दी से एक नयी नैदानिक जांच विकसित करने के लिए तैयार किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह वैज्ञानिक ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के परस्पर संबंध और डॉ. देवज्योति चक्रवर्ती एवं डॉ. सौविक मैती के नेतृत्व वाली युवा अनुसंधान टीम की रचनात्मकता को दर्शाता है।

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