सेल कोकिंग कोयले के आयात के लिए नए बाजार तलाश रही है : चौधरी
नयी दिल्ली । सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल कोकिंग कोयले के आयात के लिए नए बाजार तलाश रही है। सेल के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि कंपनी कच्चे माल के लिए चुनिंदा बाजारों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत सालाना 72,000 करोड़ रुपये के 5.6 करोड़ टन कोकिंग कोयले का आयात करता है। इसमें से अकेले 45 प्रतिशत का आयात ऑस्ट्रेलिया से किया जाता है। शेष आयात दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका से किया जाता है।
सेल के चेयरमैन ने चौधरी ने साक्षात्कार में कहा, घरेलू इस्पात कंपनियां आयातित कोकिंग कोल पर निर्भर है। सेल द्वारा कोकिंग कोयले का काफी हद तक आयात किया जाता हैं हालांकि, घरेलू स्तर पर भी इसकी कुछ खरीद की जाती है। हम सीमित स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से कोकिंग कोयले के आयात को नए गंतव्यों ओर वेंडरों की संभावना तलाश रहे हैं। सेल के लिए कच्चे माल की सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है। कंपनी का लक्ष्य 2030 तक अपनी उत्पादन क्षमता को दोगुना कर पांच करोड़ टन करने का है। चौधरी ने बताया कि सेल संयुक्त उद्यम इंटरनेशनल कोल वेंचर्स लि. (आईसीवीएल) का हिस्सा। इस उपक्रम का गठन विदेशों में खनन संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया है।
इस संयुक्त उद्यम में आरआईएनएल, एनएमडीसी, कोल इंडिया और एनटीपीसी जैसी कंपनियां भागीदार हैं। आईसीवीएल ने मोजाम्बिक में कोयला खानों और परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है। इनमें 50 करोड़ टन से अधिक का कोयला भंडार है। चौधरी ने कहा कि इन विदेशी संपत्तियों से खनन धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है। कंपनी के आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में 15.3 लाख टन कोकिंग कोयले की जरूरत को घरेलू स्रोतों मसलन कोल इंडिया लि. और खुद के इस्तेमाल के स्रोतों से पूरा किया गया। वहीं शेष 1.37 करोड़ टन कोकिंग कोयले का आयात किया गया।
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