नए कृषि कानून से किसान अपनी उपज पर लगी बिक्री संबंधी पाबंदियों से मुक्त हो जाएंगे- सीतारामन
चेन्नई। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पारित कराए गए कृषि से संबंधित तीन नये कानूनों से किसान अपनी उपज पर लगी बिक्री संबंधी पाबंदियों से मुक्त हो जाएंगे। आज शाम चेन्नई में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि इन कानूनों को बनाने से पहले कृषि विशेषज्ञों, किसानों और खेती से जुडे अन्य विभिन्न लोगों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों को अपनी उपज कहीं भी और किसी भी व्यापारी को बेचने की स्वतंत्रता मिलने के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली जारी रखी जाएगी।
श्रीमती सीतारामन ने कहा कि ठेके पर खेती कराने से जमीन के मालिकाना हक को लेकर आशंकाएं पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृषि पदार्थों के दामों में उतार-चढाव से किसानों की रक्षा की जाएगी। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने इन कानूनों के कुछ प्रावधानों को अपने चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल किया था, हालांकि अब वे राजनीतिक कारणों से इनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली में 22-23 कृषि उत्पाद शामिल थे, मगर समर्थन मूल्यों की नियमित घोषणा गेहूं और धान जैसे उत्पादों को लेकर ही की जाती थी, जिससे किसान तिलहनों और दलहनों की जगह धान और गेहूं बोना अधिक पसंद करने लगे थे। उन्होंने कहा कि इससे देश को बडे पैमाने पर तिलहनों का आयात करना पड रहा था। वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि संबंधी नये कानूनों के बनने के बाद इस स्थिति में बदलाव आएगा। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि अब किसान प्रसंस्करण के लिए काफी मात्रा में कृषि उत्पादों का भंडारण कर सकते हैं, ताकि वे निर्बाध रूप से अपनी उपज का मूल्य संवर्धन कर सकें। उन्होंने कहा कि इससे जल्द खराब हो जाने वाली उपज की बर्बादी रूकेगी और किसानों तथा राष्ट्र को बड़े पैमाने पर धन की बचत होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि ठेके पर खेती कराने में अगर खरीदार और किसान के बीच कोई विवाद पैदा होता है, तो इसे विवाद समाधान प्रणाली के जरिए सुलझाया जा सकता है। यह प्रणाली जिला कलेक्टर के अंतर्गत कार्य करेगी।
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