ब्रेकिंग न्यूज़

 बख्शी जी देश के पहले समालोचक हैं: प्रो चंद्रशेखर

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जयंती समारोह का आयोजन
रायपुर। साहित्य अकादमी के द्वारा नवीन विश्राम गृह में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जयंती के अवसर पर परिचर्चा और संभागीय साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में बख्शी जी और हिन्दी समालोचना विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता डॉ चंद्रशेखर ने कहा, बख्शी जी हिंदी साहित्य के बड़े समालोचक हुए, साहित्य जगत में उनकी इस महत्ता पर कम चर्चा होती है। उन्होंने कहा बख्शी जी पाश्चात्य और भारतीय साहित्य के पत्रों की तुलनात्मक समालोचना करने वाले देशंके पहले साहित्यकार हुए। उन्होंने शेक्सपियर के नाटक टेन्पेस्ट के पात्र मिरान्डा और कालिदास रचित अभिज्ञान शकुंतलम की पात्र शकुंतला के चरित्रों की तुलनात्मक समीक्षा की है। डॉ. शर्मा ने बख्शी जी के साहित्यिक अवदान पर विस्तार से चर्चा की। इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ सुशील त्रिवेदी ने बख्शी जी की हिंदी समालोचना के विषय में बताया कि देश के मूर्धन्य साहित्यकारों ने उन्हें निबंधकार से कहीं बड़े समालोचक के रूप में प्रस्तुत किया है। सरकारें में पदुमलाल पुन्नालाल जी की पौत्री श्रीमती नलिनी श्रीवास्तव ने अपने साथ के अनेक संस्मरणों को सुनाया।
  संभागीय साहित्यकार सम्मेलन में राजधानी सहित महासमुंद , धनती, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद जिले के साहित्यकार सम्मिलित हुए। श्री बख्शी की कृतित्व का स्मरण करते हुए किस तरह से साहित्य सृजन में साहित्य अकादमी की भूमिका भविष्य में सक्रिय रुप से हो इस पर मंथन किया गया। आयोजन का आरंभ माता सरस्वती व पदुलाल पुन्नालाल बख्शी के चित्र पर माल्यार्ण कर दीप प्रज्वलित किया गया। 
 श्री बख्शी के साहित्य सेवा का स्मरण करते हुए साहित्यकारों ने राज्य में साहित्य को बढ़ावा देने को लेकर अपने विचारों को साझा किया। किस तरह से श्री बख्शी विपरित स्थिति में भी साहित्य सेवा का जो उदाहरण स्थापित किया है। उससे प्रेरणा लेकर आगे हिन्दी साहित्य के विशाल धरोहर को  किस तरह से आगे बढ़ाया जाए इस पर चार सत्रों में संभाग के साहित्यकारों ने मंथन किय़ा। रायपुर संभाग के सभी जिलों से आये साहित्यकारों ने स्थानीय साहित्यिक गतिविधियों पर चर्चा की और आगे किस तरह से उनके जिलों में साहित्य के प्रति लोगों को जोड़ा जा सके इस पर अपने विचार व्यक्त किए। साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने कहा, "छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी का लक्ष्य साहित्य को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाना और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। इस सम्मेलन में सामने आए विचारों को लागू करने के लिए हम तत्पर हैं।"
इस अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया जिसका विषय था हिंदी साहित्यिक पत्रकारिता की यात्रा। इस परिचर्चा में वरिष्ठ5 BM साहित्यकार गिरीश पंकज, रिटायर्ड आईईएस सुशील त्रिवेदी, सुधीर शर्मा, डॉ. चितरंजन कर, मीर अली मीर, माणिकलाल विश्वकर्मा, डुमनलाल ध्रुव, श्रीमती एस. चंद्रसेन और रामेश्वर शर्मा सहित संभाग के अन्य गणमान्य साहित्यकार शामिल हुए।
आयोजन का मुख्य उद्देश्य साहित्य अकादमी के हितों को सशक्त करना और छत्तीसगढ़ में साहित्य के विकास के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करना था। साहित्यकारों ने साहित्य को स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने, भाषा को संरक्षित करने, तथा युवा पीढ़ी को साहित्यिक रचनात्मकता से जोड़ने के लिए अपने विचार साझा किए।
इस दौरान कई नवाचारपूर्ण विचार सामने आए, जिनमें शामिल हैं:
छत्तीसगढ़ के साहित्य डिजिटल मंच: साहित्य अकादमी द्वारा एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने का प्रस्ताव, जिसमें हिंदी में लिखित रचनाएँ, कविताएँ और कहानियाँ ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। यह मंच युवाओं को आकर्षित करने और वैश्विक स्तर पर हिन्दी साहित्य को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
साहित्यिक कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण: स्कूलों और कॉलेजों में रचनात्मक लेखन कार्यशालाओं का आयोजन, जिसमें स्थानीय साहित्यकार विद्यार्थियों को कविता, कहानी और निबंध लेखन सिखाएँगे। यह पहल साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाने और नई प्रतिभाओं को उभारने में मदद करेगी।
ग्रामीण साहित्य उत्सव: ग्रामीण क्षेत्रों में साहित्य उत्सवों का आयोजन, जिसमें स्थानीय लोक कथाओं, गीतों और नाटकों को मंच प्रदान किया जाएगा। इससे स्थानीय संस्कृति और साहित्य का संरक्षण होगासाहित्य प्रोत्साहन और प्रकाशन: नवोदित लेखकों के लिए प्रोत्साहन और उनकी रचनाओं के प्रकाशन की योजना, ताकि नए साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिले।साहित्यिक अनुसंधान केंद्र: छत्तीसगढ़ की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत पर शोध को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित अनुसंधान केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव।
साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी के वार्षिक कैलेंडर में पुस्तक मेलों, साहित्यकार सम्मेलनों और साहित्यिक प्रतियोगिताओं को शामिल करने पर बल दिया। यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ के साहित्यिक परिदृश्य को नई दिशा देने और साहित्य अकादमी के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english