कृषक उन्नति योजना का लाभ लेने हेतु एकीकृत किसान पोर्टल में 31 अक्टूबर 2025 के पूर्व पंजीयन अनिवार्य
दुर्ग/ खरीफ वर्ष 2025 से कृषक उन्नति योजना में धान के साथ-साथ फसल विविधिकरण प्रोत्साहन के तहत् दलहन-तिलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार तथा इनके उत्पादन में आत्मनिर्भता के लक्ष्य के साथ योजनान्तर्गत विहित अन्य फसलों पर आदान सहायता राशि दिये जाने का निर्णय लिया गया है, जिससे धान के अतिरिक्त दलहन-तिलहन, मक्का, लघु धान्य फसलें (कोदो, कुटकी, रागी) एवं कपास फसल लेने वाले कृषकों को 10 हजार रू प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि प्रदान की जायेगी। इसके अतिरिक्त विगत खरीफ में एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत ऐसे कृषक जिन्होंने धान की फसल लगाई हो तथा प्रदेश की सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया हो, उन्हें धान के स्थान पर अन्य खरीफ फसल हेतु एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन तथा गिरदावरी में रकबे की पुष्टि उपरांत 11 हजार रू. प्रति एकड़ की दर से आदान सामग्री का भुगतान किया जाएगा। अतः कृषकों से अपील की गई है कि योजना का लाभ लेने हेतु 31 अक्टूबर 2025 के पूर्व संबंधित सहकारी समिति के माध्यम से एकीकृत किसान पोर्टल में अपना पंजीयन अनिवार्य रूप से कराये।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत ऐसे समस्त कृषक, जिनके द्वारा खरीफ मौसम में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक से सम्बद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (लैम्पस सहित) अथवा छ.ग. कृषि बीज एवं कृषि विकास निगम लिमि को धान बीज का विक्रय किया गया हो, विगत खरीफ मौसम में एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत ऐसे कृषक जिन्होंने धान की फसल लगाई हो तथा समर्थन मूल्य पर धान का विक्रय किया हो तथा वर्तमान में धान के स्थान पर अन्य खरीफ फसल दलहन, तिलहन, मक्का, लघु धान्य फसल (कोदो, कुटकी, रागी) एवं कपास फसल हेतु पंजीयन कराया हो, योजना का लाभ लेने हेतु पात्र होंगे। संस्थागत समितियां जैसे- ट्रस्ट, मंडल, प्रायवेट लिमि, शाला विकास समिति तथा केन्द्र एवं राज्य शासन के संस्थानों को योजनान्तर्गत पात्रता नहीं होगी। कृषकों को आदान सहायता राशि का भुगतान कृषि भूमि सीलिंग कानून के प्रावधान के अध्याधीन किया जायेगा।
कृषक उन्नति योजना का मुख्य उद्देश्य फसल क्षेत्राच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, फसल के काश्त लागत में कमी लाकर कृषकों की आय में वृद्धि तथा उनके आर्थिक सामाजिक स्तर में सुधार के साथ उन्नत बीज. उर्वरक कीटनाशक, मानव श्रम, यांत्रिकीकरण एवं नवीन तकनीक में निवेश तथा फसल विविधिकरण को प्रोत्साहन देते हुए कृषि लाभकारी व्यवसाय के रूप में पुनर्स्थापित करना है। इस योजना का कियान्वयन खरीफ 2025 से किया जायेगा। राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसमीय प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्धि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता बनी रहती है। जिसके कारण कृषक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे-उन्नत बीज उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन तकनीकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है। राज्य शासन द्वारा कृषि में पर्याप्त निवेश एवं काश्त लागत राहत देने के लिए कृषक उन्नति योजना प्रारंभ की गई है।
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