अपने वजूद को तलाशते संघर्षरत युवक का इंटेंस कोर्ट रूम ड्रामा है ‘मैं अनिकेत हूं’
0- महाराष्ट्र मंडल की 90वीं वर्षगांठ पर चार अक्टूबर को कुमुदिनी वरवंडकर रंगमंच पर होगा हिंदी नाटक ‘मैं अनिकेत.....’ का मंचन
रायपुर। नम आंखों से चीखते हुए युवक का संवाद ‘जरा मेरी भी तो सोचें... मैं मरकर जिंदा हूं और जिंदा होकर भी मरा हुआ हूं। यह कैसी विडंबना है…’ दर्शकों को सोचने पर विवश कर देता है कि आखिर अदालत के कटघरे में खड़ा यह युवक वास्तव में है कौन... ? बात हो रही है हिंदी नाटक ‘मैं अनिकेत हूं’ की। महाराष्ट्र मंडल की 90वीं सालगिरह पर तीन दिवसीय समारोह के दूसरे दिन यानी चार अक्टूबर को 110 मिनट का यह नाटक संत ज्ञानेश्वर सभागृह के कुमुदिनी वरवंडकर रंगमंच पर मंचित किया जाएगा।
मराठी और हिंदी रंगमंच के वरिष्ठ रंगसाधक शशि वरवंडकर हिंदी नाटक ‘मैं अनिकेत हूं’ में न केवल केंद्रीय भूमिका अनिकेत को साकार करेंगे बल्कि पहली बार निर्देशक के रूप में भी सामने आ रहे हैं। नाटक में अपने अस्तित्व को दोबारा प्रतिष्ठित करने के लिए संघर्षरत युवक के रूप में शशि वरवंडकर न केवल अद्भुत अभिनय कर रहे हैं, बल्कि अपने सह रंगसाधकों डा. अनुराधा दुबे, प्रकाश खांडेकर, दिलीप लांबे, रंजन मोडक, चेतन दंडवते, डा. प्रीता लाल, रविंद्र ठेंगड़ी, समीर टल्लू, भारती पलसोदकर, पंकज सराफ, श्याम सुंदर खंगन, डा. अभया जोगलेकर से भी शानदार अभिनय करवा कर रहे हैं।
इस नाटक के बेहतरीन मंचन के लिए महाराष्ट्र मंडल के कुमुदिनी वरवंडकर स्मृति रंगमंच पर लगातार रिहर्सल जारी है। इनमें भारती पलसोदकर, समीर टुल्लू, पंकज सराफ पहली बार हिंदी रंगमंच पर पदार्पण कर रहे हैं। नाटक के सेट की डिजाइन अजय पोतदार व प्रवीण क्षीरसागर के मार्गदर्शन में जारी है। रूप सज्जा दिनेश धनकर, वेशभूषा डा. अभया जोगलेकर, प्रकाश व्यवस्था लोकेश साहू व नितिन यादव और नेपथ्य अस्मिता कुसरे, रंजना ध्रुव का भी सहयोग मिल रहा है।
शशि वरवंडकर इसी नाटक में अनिकेत की भूमिका तकरीबन 23 साल पहले भी निभा चुके हैं। उस समय डा. अनुराधा दुबे ने भी ‘मैं अनिकेत हूं’ में अहम भूमिकाएं निभाई थी, जो 23 साल बाद फिर अपनी- अपनी भूमिकाओं को जीवंत करेंगी। पिछली बार नाटक का मंचन रायपुर के महाराष्ट्र मंडल सहित कुछ और स्थानों पर और रायगढ़, कोरबा में भी किया गया था।








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