बालाजी मंदिर में श्रद्धालुओं के हुजूम के बीच पहली बार मना डोलोत्सव

- आकाशदीप जलाकर माता लक्ष्मी का आह्वान
-पालने में झुलाकर की उंजल सेवा
टी सहदेव
भिलाई नगर। सेक्टर 05 स्थित बालाजी मंदिर में रविवार को पंडित गोपालाचारी के नेतृत्व में आराध्य देव बालाजी तथा माता श्रीदेवी-भूदेवी को नवनिर्मित शीशमंडप में स्थापित पीतल से बने पालने में झुलाकर डोलोत्सव मनाया गया। डोलोत्सव को उंजल सेवा के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें उत्सव विग्रहों को बड़ी श्रद्धा से झुलाया जाता है। आंध्र साहित्य समिति के तत्वावधान में भगवान बालाजी को समर्पित इस अनुष्ठान के आंध्र समाज के कई लोग साक्षी बने। डोलोत्सव की कमान समिति के अध्यक्ष पीवी राव और सचिव पीएस राव स्वयं संभाले हुए थे। मंदिर में पहली बार डोलोत्सव आयोजित होने से आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए। नादस्वरम की गूंज के बीच वैदिक विधिविधान से भगवान बालाजी को उनकी जीवनसंगियों श्रीदेवी-भूदेवी के साथ झूले पर बिठाने से शीशमंडप में उनकी असंख्य छवियां प्रतिबिंबित हुईं, जिनका दर्शनलाभ भारी संख्या में मौजूद भक्तगणों ने लिया।
आकाशदीप जलाकर माता लक्ष्मी का आह्वान
इससे पहले मंदिर परिसर में आकाशदीप को प्रज्वलित कर माता लक्ष्मी का आह्वान किया गया। दीप प्रज्वलन से पहले विधिविधान से उसकी पूजा-अर्चना और आरती की गई। उसके बाद आकाशदीप को ध्वज स्तंभ के शिखर पर स्थापित किया गया। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में इसे दीप्त करने से आसपास का क्षेत्र आलोकित होता है और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और साथ ही नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। पूरे उत्सव के दौरान सरस्वती नादस्वरम वृंद के लक्ष्मीनारायण और लोकराजू ने नादस्वरम और सुरेश ने ढोल पर संगति की, जबकि कर्नाटक शैली की शास्त्रीय गायिका गंटी सरोजा ने अपनी टीम के साथ भगवान की स्तुति में भजन-कीर्तन प्रस्तुत किया।
पालने में झुलाकर की उंजल सेवा
आकाशदीप को स्थापित करने के बाद तीनों उत्सव विग्रहों को पालकी में बिठाकर शीशमंडप में लाया गया, जहां खूबसूरत नक्काशी उकेरे गए पालने में रखकर पंडितों ने श्रद्धाभाव से मंत्रोच्चारण के साथ उनकी उंजल सेवा की। शाम को सात बजे शुरू हुई यह सेवा रात दस बजे तक चली। इस दौरान भक्तों का तांता लगा रहा। शीशमंडप को भिलाई के हुनरमंद कारीगरों ने, जबकि पीतल निर्मित भव्य और वजनी पालने को विजयवाड़ा के कुशल कारीगरों ने मूर्त रूप दिया। डोलोत्सव को सफल बनाने में उपाध्यक्षों बीए नायडु व के सुब्बाराव, कोषाध्यक्ष टीवीएन शंकर, उप कोषाध्यक्ष एनएस राव समेत सभी पदाधिकारियों का विशेष योगदान रहा।













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