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बहुत याद आते हैं स्व. कुलदीप निगम-  एक कर्मठ पत्रकार, समाजसेवी के रूप में बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाई

 -वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी कुलदीप निगम की 21वीं पुण्यतिथि पर विशेष           

 प्रशांत शर्मा

रायपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे, पत्रकार और समाजसेवी  स्व. कुलदीप निगम की आज 21 वीं पुण्यतिथि है। उनका व्यक्त्वि केवल एक पत्रकार का कभी नहीं रहा। समाजसेवा उनमें कूट- कूट कर भरी थी। लोगों की मदद के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे। साथ ही साथ उन्होंने साहसी बच्चों को आगे लाने के लिए भी बहुंत काम किया।  

तत्कालीन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जब भी ग्रामीण पत्रकारिता की बात उठती है, कुलदीप निगम का नाम लोग आज भी याद करते हैं। उन्होंने उस दौर में ग्रामीण अंचलों की खबरों को प्रमुखता से समाचार जगत में उठाया, जब सीमित संसाधनों की वजह से अखबार गांव तक समय पर नहीं पहुंच पाते थे।  स्व. श्री निगम ने सीमित संसाधनों के साथ कर्मनिष्ठा के रथ पर सवार होकर ग्रामीण पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।  सुदूर ग्रामीण इलाकों से समाचार/फोटो का संकलन कर उसे ब्यूरो कार्यालय तक पहुंचाना उतना सरल नहीं होता। इसके लिए ग्रामीण पत्रकारों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। श्री निगम ने ग्रामीण पत्रकारों की हौसला अफजाई की और उनकी  खबरों को रायपुर में रहते हुए समाचार पत्रों में प्रमुखता से स्थान दिया। फिर वह चाहे दैनिक भास्कर, समवेत शिखर, देशबंधु , हाइवे चैनल या फिर हरिभूमि अखबार हो, उन्होंने इन समाचार पत्रों में काम करने के दौरान ग्रामीण पत्रकारिता को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 

 कुलदीप निगम का जन्म 10 जुलाई 1964 को ननिहाल लखनऊ में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव नर्रा , महासमुन्द एवँ उच्च शिक्षा सराईपाली और रायपुर में हुई ।  उन्होंने बैचलर ऑफ जर्नलिज्म में गोल्ड मेडल प्राप्त किये साथ ही पंडित रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय से एम. ए. भाषा विज्ञान की पढ़ाई की । उन्होंने देशबंधु , हाइवे चैनल ,  दैनिक भास्कर , समवेत शिखर एवँ हरिभूमि में अपनी सेवाएं  प्रदान की। पत्रकारिता के साथ- साथ उन्होंने समाज सेवा के लिये भी बहुत काम किये उसमे प्रमुख रूप से बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय एवँ राज्य वीरता पुरस्कार दिलाने , वृद्धाश्रम की स्थापना , विधवा विवाह केंद्र , मूक बधिर बच्चों के लिए स्कूल के साथ ही भारतीय बाल कल्याण परिषद , मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी सदस्य तत्पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के संस्थापक सदस्य एवँ प्रथम महासचिव के रुप मे कार्य किया ।  लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था 10 दिसम्बर 2002 की रात एक सडक़ दुर्घटना में घायल होने के उपरांत उपचार के दौरान 16 दिसम्बर 2002 को एम. एम. आई. हॉस्पिटल रायपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली । कहा जाता है कि ईश्वर को भी अच्छे लोगों की जरूरत होती है 38 वर्ष के अल्प समय में उन्होंने जो कार्य किया अकल्पनीय है। उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद आज अपनी एक नई पहचान बना चुका है। एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इस परिषद की भी नींव पड़ी। मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद से अलग होकर बने इस परिषद ने कम ही समय में अपनी ऐसी विशिष्ट पहचान बना ली और फिर इसकी चर्चा दिल्ली तक भी होने लगी। यह सब संभव हो पाया वरिष्ठ पत्रकार श्री कुलदीप निगम के प्रयासों से, जो इस परिषद के संयोजक थे। 

मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के विभाजन के लिये भारतीय बाल कल्याण परिषद ने श्री कुलदीप निगम  को छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के गठन की जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें संयोजक नियुक्त किया। उस समय श्री निगम भारतीय बाल कल्याण परिषद में छत्तीसगढ़ से एकमात्र आजीवन सदस्य एवं मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी सदस्य, वीरता पुरस्कार आयोजन, श्रमिक कल्याण एवं विभिन्न उपसमिति में सदस्य थे। भारतीय बाल कल्याण परिषद में रहते हुए श्री कुलदीप निगम ने  तत्कालीन मध्यप्रदेश के उन बच्चों के लिए बहुत काम किया था, जिन्होंने साहसिक कार्य तो किए, लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिल पा रही थी। श्री निगम ने उन बच्चों के साहस को वीरता पुरस्कार दिलाने में अहम योगदान किया।  यही वजह रही कि भारतीय बाल कल्याण परिषद ने श्री कुलदीप निगम पर भरोसा किया और उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद की जिम्मेदारी सौंपी । श्री कुलदीप निगम ने आजीवन अपनी इस जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। 

छत्तीसगढ़  बाल कल्याण परिषद से लगभग 27 नए सदस्य इससे जुड़े एवं इसके पंजीयन की कार्यवाही प्रारंभ की गई। सभी सदस्यों की पहली बैठक पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करने के लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती अंदल दामोदरन एवं तत्कालीन महासचिव श्रीमती गीता सिद्दार्थ, मध्यप्रदेश बाल कल्याण परिषद , भोपाल से महासचिव श्री आर. पी. सराफ  विशेष रुप से उपस्थित हुए थे । बैठक के पश्चात एक प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन जाकर तत्कालीन राज्यपाल महामहिम दिनेश नन्दन सहाय से मिलकर बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए चर्चा की। 

इस बीच मई 2001 को बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए बैठक आयोजित होने की सूचना मिलने पर परिषद के सदस्य श्री कृष्ण कुमार निगम , श्री राजेन्द्र निगम एवं श्री अजय त्रिपाठी ने उस समय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी से मुलाकात की और उन्हें बाल कल्याण परिषद के गठन के लिए किये गए कार्यों की जानकारी दी। श्री जोगी इससे काफी प्रभावित हुए और परिषद के संयोजक श्री कुलदीप निगम जो उस समय सराईपाली प्रवास पर थे, से टेलीफोन पर चर्चा की।  इसके बाद राजभवन में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के रुप में नए रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही प्रारंभ की जाए। इसके संस्थापक सदस्य के रुप में तत्कालीन महामहिम राज्यपाल श्री दिनेश नन्दन सहाय ,   तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी , तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा , तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती गीता देवी सिंह , श्री कुलदीप निगम , श्री राकेश भान , श्री बी एल अग्रवाल एवं श्री सोहन लाल डागा के नाम पर सहमति बनी।  वहीं छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद हेतु नए रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही प्रारंभ करने के साथ ही पूर्व में रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए लोगों को भी छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के सदस्यों के रूप में मान्यता दे दी गई। उसके उपरांत छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद का विधिवत रजिस्ट्रेशन  हुआ । लगभग सभी राज्यों में बाल कल्याण परिषद में राज्यपाल पदेन अध्यक्ष रहते हंै । इसलिए  छत्तीसगढ़ में भी मूल संविधान में 4 पदोंं  को पदेन रखा गया था जिसके तहत परिषद में पदेन अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री , एवं 2 उपाध्यक्ष क्रमश: स्कूल शिक्षा मंत्री एवं महिला बाल विकास मंत्री को बनाया गया। संविधान के अनुसार ही छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद की पहली कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष तत्कालीन राज्यपाल महामहिम दिनेश नन्दन सहाय , वरिष्ठ उपाध्यक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अजित प्रमोद कुमार जोगी , उपाध्यक्ष तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा एवं श्रीमती गीता देवी सिंह , महासचिव श्री कुलदीप निगम  एवं कोषाध्यक्ष श्री राकेश भान को मनोनीत किया गया । इस तरह से श्री कुलदीप निगम के सपनों को पंख मिला और छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद नए कलेवर के साथ गठित हुआ। श्री निगम के स्वर्गवास के पश्चात माना कैम्प स्थित वृद्धाश्रम का नामकरण उनके नाम से किया गया एवं पैतृक ग्राम नर्रा का शासकीय विद्यालय का नाम भी कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किया गया । राज्य वीरता पुरस्कार का नाम स्व. निगम के नाम करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के कार्यकारिणी की बैठक मे निर्णय सर्वसम्मति से पारित किया गया है । साथ ही वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा भी शासन से मांग की गई है । स्व. निगम को उनके जीवन काल में बहुत से संस्थाओं  एवँ शासन द्वारा सम्मानित किया गया ।

 

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