माताधाम मंदिर में गीता जयंती पर हुआ गीता महायज्ञ, दीं आहुतियां

-यज्ञाचार्य त्रिनाथ पंडित ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यजमानों से हवन कराया
- इस धार्मिक अनुष्ठान में मुख्य यजमान के रूप में नीलम चन्नाकेशवलु और पी मुरहरि उपस्थित रहे
-नारायण सेवा यानी कि भंडारे का भी आयोजन किया गया
-गीता महायज्ञ, विष्णु तथा ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए
टी सहदेव
भिलाई नगर। सेक्टर 07 स्थित माताधाम मंदिर में मां मंकिनम्मा जनकल्याण सेवा समिति के तत्वावधान में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती आध्यात्मिक वातावरण में मनाई गई। मंदिर प्रांगण में शनिवार को भक्ति भाव से आयोजित गीता महायज्ञ में यज्ञाचार्य त्रिनाथ पंडित ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच यजमानों से हवन कराया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आहुतियां दीं। यज्ञाचार्य ने बताया कि आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता का पवित्र ज्ञान दिया था। इस धार्मिक अनुष्ठान में मुख्य यजमान के रूप में नीलम चन्नाकेशवलु और पी मुरहरि उपस्थित रहे।
महायज्ञ में अठारह अध्यायों का कराया गया पाठ
श्रीमद् भगवद्गीता प्रचार संघ द्वारा संपन्न महायज्ञ का यह सत्रहवां वर्ष था। इस दौरान प्रचार संघ ने पूरे 18 अध्यायों का पाठ कराया। महायज्ञ में लगाए गए हर-हर महादेव, भगवान कृष्ण, माता दुर्गा तथा मां मंकिनम्मा के जयकारे से आसपास का वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों की भीड़ को देखते हुए बारी- बारी से सबको आहुतियां देने का अवसर दिया गया। इस अवसर पर दोपहर को नारायण सेवा यानी कि भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तजनों ने प्रसाद ग्रहण किया। अनुष्ठान में ऐसा नजारा भी देखने को मिला जब श्रद्धालुओं के माथे पर तिलक के रूप में त्रिशूल का प्रतीक लगाया गया।
भक्तों ने किया विष्णु तथा ललिता सहस्त्रनाम को आत्मसात
सुबह छः बजे मंदिर परिसर से शुरू हुई संकीर्तन यात्रा सेक्टर 07 तथा सेक्टर 06 के मुख्य मार्गों से भ्रमण करते हुए वापस मंदिर पहुंची। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान कृष्ण का कीर्तन करते हुए चल रहे थे। उसके बाद ध्वजारोहण तथा कलश स्थापना की गई। तत्पश्चात गीता महायज्ञ प्रारंभ हुआ, जिसमें साढ़े तीन घंटे तक यजमानों ने आहुतियां दीं। यज्ञ के बाद विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ कर श्री हरि के नामों की महिमा का वर्णन किया गया और उसके बाद ललिता सहस्त्रनाम का पठन कर देवी पार्वती के हजार नामों का जाप किया गया, दोनों ही स्तोत्रों को भक्तगणों ने भावविभोर होकर आत्मसात किया। शाम को भजन संकीर्तन के साथ धार्मिक अनुष्ठान का समापन हुआ। गीता महायज्ञ, विष्णु तथा ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।











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