तीस से ज्यादा महिलाओं को मिला रोजगार, नौ लाख रूपये भी कमाए
वर्मी कम्पोस्ट के साथ मछली पालन, मशरूम उत्पादन भी हो रहा लखौली गौठान में
रायपुर /राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत शुरू किए गए गौठान ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को रोजगार के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में स्थापित होते जा रहे है। रायपुर जिले के आरंग जनपद पंचायत क्षेत्र के लखौली गांव में बना गौठान गांव की तीस से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रहा है। महिलाएं इस गौठान में सब्जी उगाने के साथ बकरी पालन, मुर्गी पालन और मछली पालन भी कर रही है। गौठान के एक क्षेत्र में शेड बनाकर महिलाएं मशरूम उत्पादन भी कर रही है। गौठान की आय मूलक गतिविधियों से अब तक महिलाओं को लगभग 9 लाख रूपये का फायदा हो चुका है।
लखौली ग्राम पंचायत में नौ एकड़ के रकबे में गौठान बनाया गया है। इस गौठान में गांव के साथ-साथ आसपास के गांवों के भी 1 हजार दो सौ से ज्यादा मवेशी आते है। गौठान में ही गोबर खरीदी का केन्द्र भी बनाया गया है। गौठान में आने वाले पशुओं की स्वास्थ्य जांच, नश्ल सुधार एवं टेगिंग का काम भी पशुधन विकास विभाग द्वारा गौठान में ही किया जा रहा है। गौठान में महिला स्व-सहायता समूहों ने 3 हजार 4 सौ क्विंटल से अधिक गोबर खरीदकर उससे लगभग पांच सौ क्विंटल वर्मी खाद और लगभग 6 सौ क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद बनाई है। पिछले सीजन इसमें से लगभग 4 सौ क्विंटल वर्मी खाद और साढ़े चार सौ क्विंटल कम्पोस्ट खाद सोसायटी के माध्यम से किसानों को बेंचा जा चुका है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं को वर्मी कम्पोष्ट से 1 लाख 53 हजार रूपये से अधिक और सुपर कम्पोष्ट खाद के विक्रय से लगभग 71 हजार रूपये का फायदा हुआ है। गांव में कम्पोस्ट खाद उपलब्ध होने से किसानों में जैविक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अब महिला समूह के सदस्य जैविक कीटनाशक उत्पादन की भी योजना बना रही है। गौठान में जल्द ही गौमूत्र खरीदी भी शुरू होगी।
लखौली गौठान में लगभग 4 स्व-सहायता समूहों की 30 से अधिक महिलाएं अलग-अलग आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़ी है। गौठान से लगी डेढ़ एकड़ बाड़ी में प्रगति स्व-सहायता समूह द्वारा सब्जी उत्पादन का काम किया जा रहा है। पिछले सीजन में समूह की महिलाओं को सब्जी बेंचकर 2 लाख 67 हजार रूपये से अधिक की आमदनी हुई है। गौठान के पास ही पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करने 5 एकड़ रकबे में नेपियर घास लगाई गई है। गौठान के पास ही चार एकड़ के तालाब में मां बम्बलाई स्व-सहायता समूह द्वारा मछली पालन का काम किया जा रहा है। मछली बीज और पूरक आहार के साथ जरूरी तकनीकी मार्गदर्शन मछली पालन विभाग के अधिकारी समय-समय पर समूह की महिलाओं को देते है। पिछले सीजन में बम्बलाई स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने मछली बेंचकर 1 लाख 10 हजार रूपये का फायदा लिया है। लखौली गौठान में जय मां शीतला स्व-सहायता समूह की महिलाएं बकरी और मुर्गी पालन का काम कर रहीं है। यहां एक मिनी हैचरी भी है। इस काम से स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने ढाई लाख रूपये से अधिक का फायदा पिछले सीजन में लिया है। गौठान में ही शेड बनाकर प्रगति स्व-सहायता समूह की महिलाएं मशरूम उत्पादन में लगी है। अब तक मशरूम उत्पादन से महिलाओं ने 36 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर ली है। गौठान से लगे तीन एकड़ क्षेत्र में ग्रामीण औद्योगिक पार्क भी तेजी से विकसित हो रहा है। जहां अन्य आय मूलक गतिविधियों के बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की नए अवसर जल्द ही शुरू होंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के परंपरागत संसाधनों को संरक्षित और पुर्नजीवित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने में गौठान अब महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें है।
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