बालाजी मंदिर में जनसमूह के बीच हुआ लक्ष्मी-नरसिंह होम, चक्रस्नान और रथोत्सव
-लक्ष्मी-नरसिंह हवनकुंड में दी पंडितों ने आहुति
-कुमकुम पूजा और रथोत्सव में उमड़ा जनसमूह
टी सहदेव
भिलाई नगर। बालाजी मंदिर में मनाए जा रहे ब्रह्मोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान श्रीलक्ष्मी-नरसिंह होम, चक्र स्नान, सामूहिक कुमकुम पूजा, पूर्णाहुति और रथोत्सव संपन्न किया गया। आंध्र साहित्य समिति की देखरेख में सुबह से लेकर देर रात तक हुए इन अनुष्ठानों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। अनुष्ठानों का आरंभ सदा की तरह श्रीविष्वक्सेन एवं प्युण्याहवचनम कलश की आराधना से हुआ। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ अग्निकुल क्षत्रिय समाज ने भगवान बालाजी, माता श्रीदेवी-भूदेवी को नूतन वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और फल-फूल अर्पित किए। बुधवार को अनुष्ठानों के समापन पर दोपहर को महाभंडारा आयोजित किया जाएगा।
लक्ष्मी-नरसिंह हवनकुंड में दी पंडितों ने आहुति
नित्य पूजा के बाद पंडितों ने यज्ञशाला मंच पर बने सभ्यम हवनकुंड और पौरणिकम हवनकुंड में अग्नि प्रज्वलित कर श्रीलक्ष्मी-नरसिंह होम का श्रीगणेश किया। सबसे पहले पंडितों ने उक्तहोम किया और उसके बाद ओम नरसिंहाय नमः मंत्रों का जाप करते हुए श्रीविष्णु के अवतार भगवान नरसिंह और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की। पूजोपरांत प्रधान पंडित ने अपने साथी पंडितों की मदद से श्रीलक्ष्मी-नरसिंह हवनकुंड में आहुति दी। प्रधान पंडित डी फणी कुमार ने होम के महत्व के संबंध में बताया कि इसके करने से भगवान विष्णु हमारी रक्षा करते हैं और हमें धन और मोक्ष प्रदान करते हैं। भगवान का स्मरण केवल दुख में ही नहीं सुख में भी करना चाहिए। उन्होंने नित्य पंचयज्ञ करने पर जोर देते हुए कहा कि जो इंसान काम, क्रोध, माया, मोह के भंवर में फंसे रहते हैं, वे भगवान की कृपा से दूर रहते हैं।
पंचामृत से अभिषेक के बाद हुआ चक्रस्नान
लक्ष्मी-नरसिंह यज्ञहवन के बाद मंदिर के पूजा मंडप में वैदिक पंडितों द्वारा चक्रस्नान अनुष्ठान कराने के लिए सबसे पहले चूर्णोत्सव, वसंतोत्सव और स्नपन तिरुमंजनम अनुष्ठान कराए गए। स्नपन तिरुमंजनम के अंतर्गत देवताओं को स्नान कराने के लिए पहले जल को पवित्र तथा अभिमंत्रित किया गया। उसके पश्चात पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच उत्सव विग्रहों की विधि-विधान से पूजा की गई। पूजा के बाद सुदर्शन चक्र को पूजामंडप से बाहर लाकर वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच पहले उसका पंचामृत से अभिषेक किया गया और उसके बाद जल और विविध फूलों की पंखुड़ियों से भरे पीतल के हौज में सुदर्शन चक्र को अतिथि पंडितों ने स्नान कराया। चक्रस्नान अनुष्ठान का समापन अवभृथ स्नान से हुआ, जिसमें पंडितों ने अभिमंत्रित जल का भक्तों पर छिड़काव कर उन्हें धन्य किया।
कुमकुम पूजा और रथोत्सव में उमड़ा जनसमूह
शाम को सामूहिक कुमकुम पूजा हुई, जिसमें बड़ी तादाद में महिलाओं ने अपने सुहाग और संतानों की दीर्घायु की कामना की। कुमकुम पूजा के बाद पंडितों ने विश्व कल्याण की कामना को लेकर यज्ञहवन में पूर्णाहुति दी। पूर्णाहुति के बाद रथोत्सव आयोजित किया गया, जिसमें भगवान बालाजी, माता श्रीदेवी-भूदेवी विशेष वाहन में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले। वेंकट रमणा गोविंदा, श्रीनिवासा गोविंदा के जयघोष के साथ निकली शोभायात्रा में अच्छी खासी भीड़ थी। पिछले एक हफ्ते से हुए अनुष्ठानों में समिति के अध्यक्ष पीवी राव, सचिव पीएस राव, उपाध्यक्ष के सुब्बाराव, कोषाध्यक्ष टीवीएन शंकर, संयुक्त सचिव एनएस राव और मीडिया प्रभारी टी सहदेव की विशेष भूमिका रही।
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