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ग्रीष्म ऋतु में मौसमी बीमारियों से बचाव हेतु अभिनव पहल

दुर्ग/ कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशानुसार एवं डॉ. जे.पी.मेश्राम, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के मार्गदर्शन में जिले में ग्रीष्म ऋतु के दौरान लू, उल्टी-दस्त, पीलिया, तथा वेक्टर जनित रोग जैसे डेंगू, मलेरिया, फाईलेरिया के रोकथाम व बचाव हेतु समस्त खंड चिकित्सा अधिकारियों तथा शहरी खंड चिकित्सा अधिकारियों एवं सुपरवाईजरों, मैदानी स्तर के ए.एन.एम., स्टाफ नर्स, एम.पी.डब्लू, मितानिनों को निर्देशित कर तैयारियां की जा चुकी है। जिसके अंतर्गत जिले के महामारी संभावित ग्रामों का चिन्हांकन किया गया है, जिसमें कुल 31 (विकासखंड पाटन-16, निकुम-03, धमधा-12) ग्राम/क्षेत्र शामिल हैं। महामारी से संबंधित राज्य से प्राप्त दिशा निर्देश अनुरूप सभी स्वास्थ्य संस्थाओं के विभाग प्रमुखों एवं खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को उक्त ग्राम/क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने हेतु एवं संक्रामक बीमारियों को आईएचआईपी ऑनलाईन पोर्टल में रियल टाईम डाटा एंट्री किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। रैपिड रिस्पांस टीम जिला स्तर पर 01 एवं विकासखंड एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर 38 टीम गठित हैं, कुल टीम की संख्या 39 है। जिसमें विकासखंड निकुम-14, धमधा-09, पाटन-07, शहरी दुर्ग-03, शहरी भिलाई-05 एवं चरोदा-01 टीम बनाया गया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों को अपने अधीनस्थ क्षेत्र में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से समन्वय करते हुए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता एवं जलस्त्रोतों का शुद्धिकरण किये जाने हेतु निर्देश दिये गये हैं। प्रत्येक ग्राम/बसाहट के पेय जल स्त्रोतों की पहचान तथा मानचित्रीकरण कराने एवं नियमित रूप से जलशुध्द्किरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने, आम दिनों में कुओं में सप्ताह में एक बार ब्लीचिंग पाउडर डलवाने तथा जल जनित संक्रामक रोगों के प्रकोप होने की स्थिति में प्रतिदिन प्रभावित क्षेत्र के हर कुएं का ब्लीचिंग पाउडर से जलशुध्दिकरण कराने हेतु निर्देशित किया गया है। प्रत्येक स्वास्थ्य संस्था में पर्याप्त मात्रा में महामारी नियंत्रण हेतु आवश्यक सभी दवाईयाँ जैसे क्लोरिन टेबलेट, ब्लीचिंग पाउडर, ओ.आर.एस. पैकेट, एन्टीबायोटीक्स, एन्टी एमेटीक्स, एन्टी मलेरियल्स एवं आई. व्ही. फ्लूइड्स के साथ-साथ एंटी स्नेक वीनम एवं एन्टी रेबीज सीरम आदि की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। वर्तमान में सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में तथा सीजीएमएससी में दवाईयाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जिला चिकित्सालय एवं सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में संक्रामक बीमारियों के उपचार हेतु आईसोलेशन वार्ड की व्यवस्था जिसमें 10 पुरूष के लिए एवं 10 महिला के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिये गये है। संक्रमित मरीज की स्वास्थ्य गंभीर होने पर एम्बुलेंस द्वारा हायर सेन्टर रिफर किये जाने की भी व्यवस्था किये गये है। संक्रामक रोगो के प्रकोप होने पर उनका पैथालाजी जाँच जिला अस्पताल स्थित हमर लैब में जॉंच किये जाने की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है व जिले के विभिन्न प्रायवेट लैब में भी महामारी संबंधित जॉंच सुविधा उपलब्ध है। सभी मितानिनों को उनकी दवा पेटी में आवश्यक दवाईयाँ ओ.आर.एस. पैकेट, क्लोरिन गोली, ब्लीचिंग पावडर, पैरासिटॉमाल गोली आदि दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लिया गया है। 
     मलेरिया से बचाव हेतु सभी विकासखंडों को जनसंख्या का 12.5 प्रतिशत स्लाईड एवं मलेरिया आर.डी.किट का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें 70 प्रतिशत एक्टिव कलेक्शन एवं 30 प्रतिशत पेसिव कलेक्शन हेतु निर्देशित किया गया है। खंड चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से सकारात्मक प्रकरण के मिलने पर आरएफएस (रैपिड फीवर सर्वे) हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है। मलेरिया, डेंगू एवं फाईलेरिया से नियंत्रण एवं बचाव हेतु सोर्स रिडक्शन एक्टिविटी के तहत ब्रीडिंग साइड्स को नष्ट करने हेतु निर्देशित किया गया है। डेंगू से बचाव हेतु डोर टू डोर सर्वे करवाया जा रहा है और डेेंगू के संभावित प्रकरण मिलने पर मरीज के घर के आसपास लार्वा नष्टीकरण एवं सभी नगर निगम की सहायता से वयस्क मच्छरों को नष्टीकरण का कार्य किया जा रहा है। सभी विकासखंडों को जिला मलेरिया अधिकारी के द्वारा 01-01 फॉगिंग मशीन दिया गया है। प्रत्येक फाईलेरिया मरीजों को एम.एम.डी.पी. के तहत किट का वितरण किया गया है एवं साफ सफाई हेतु निर्देशित किया गया है। सभी संस्थाओं में आवश्यक दवाईयाँ एवं डेंगू मलेरिया की रैपिड किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। सभी संस्थाओं द्वारा संभावित मरीजों की रैपिड किट के द्वारा निःशुल्क जॉंच की जा रही है। डेंगू के संभावित सकरात्मक प्रकरण मिलने पर सिरम सैम्पल जिला चिकित्सालय, दुर्ग में भेजकर डेंगू एलिजा जॉंच की जा रही है। जिस ग्राम में एपीआई एक से ज्यादा है वहॉं मेडिकेटेड मच्छरदानी का वितरण किया गया है एवं सुपरवाईजर के माध्यम से आर.एच.ओ./मितानिन द्वारा फालोअप किया जा रहा है। 
संक्रामक रोगों से बचाव हेतु सभी विकासखंडों को आई.ई.सी. प्रेषित किये गये हैं तथा विकासखंड स्तर पर प्रचार प्रसार करने हेतु निर्देशित किया गया है तथा सेक्टर बैठक में प्रभारियों के द्वारा मैदानी स्तर के अमलों को सचेत रहने को कहा गया है। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत संपर्क एवं बैठकों के माध्यम से संक्रामक रोगों से बचाव के संबंध में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा आम जनता स्वास्थ्य शिक्षा प्रदाय की जा रही है। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम अंतर्गत आईडीएसपी के मोबाईल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए महामारी होने पर उसके प्रभाव को नियंत्रित करने हेतु तत्काल इवेंट अलर्ट जारी करने एवं सभी बीमारियों की रिपाोर्टिंग प्रत्येक दिवस रियल टाईम में की जा रही है जिससे जिला सर्वेलेंस ईकाई द्वारा नियमित निगरानी की जाती है। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से समन्वय बनाकर विकासखंडस्तर पर समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों के वाटर कुलर व ओव्हर हेड टैंक के पानी की जॉंच प्रतिमाह किया जाना निर्देशित किया गया है तथा नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतों को आपसी समन्वय स्थापित कर जल शुद्धिकरण किये जाने हेतु, पेयजल व्यवस्था एवं मौसमी बीमारियों की रोकथाम हेतु समस्त तैयारियॉं करने हेतु कहा गया है। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के अंतर्गत आई.एच.आई.पी. ऑनलाईन पोर्टल में प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र से दैनिक रिपोर्टिंग की जाती है, जिसके अंतर्गत ए.एन.एम. द्वारा लक्षण आधारित डाटा एंट्री फार्म-एस के माध्यम से किया जाता है। साथ ही प्राथ.स्वा.केन्द्र, सामु.स्वा.के., जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज द्वारा प्रिजम्प्टिव फॉर्म एवं लैबोरेट्री फॉर्म में डाटा एंट्री किया जाता है। जिसकी नियमित समीक्षा जिला सर्विलेंस इकाई, दुर्ग द्वारा की जाती है। किसी क्षेत्र में किसी भी बीमारी के प्रकरण अधिक दर्ज होने पर तत्काल इवेंट अलर्ट जारी करने, रैपिड रिस्पांस टीम एक्टिव करते हुए संबंधित क्षेत्र में सर्वे एवं उपचार करने की व्यवस्था हेतु निर्देशित किया गया है।
आगामी ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये गये हैं, जिसमें लू के लक्षण, लू से बचाव के उपाय, प्रारंभिक उपचार, अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था (ओ.आर.एस. कॉर्नर की स्थापना, स्वास्थ्य केन्द्र में कूलर आदि के माध्यम से ठंडी हवा का प्रबंध करना) करने हेतु निर्देश दिये गये हैं। प्रत्येक मरीज को लू से बचाव की जानकारी अनिवार्य रूप से दिये जा रहे है। जिले में लू के लक्षण, लू से बचाव, साथ ही लू लगने पर प्रारंभिक उपचार हेतु सभी स्वास्थ्य केन्द्रों को आई.ई.सी. के माध्यम से जनसमुदाय में जनजागरूकता किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। स्वास्थ्य संस्था में आने वाले लू के मरीजों की जानकारी ऑनलाईन आई.एच.आई.पी. पोर्टल में दर्ज करने हेतु निर्देश दिये गये हैं। 
       किसी भी महामारी की सूचना मैदानी स्तर पर मितानिनों एवं फिल्ड वर्करों द्वारा अपने क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थाओं सहित जिला मुख्यालय को सूचना दी जाएगी। आम नागरिकों से महामारी नियंत्रण से बचाव हेतु साफ पानी पीने, पानी उबालकर पीने, साबुन से हाथ धोना सुनिश्चित करने एवं घर के आसपास साफ सफाई रखने तथा किसी को उल्टी-दस्त होने पर मितानिन से संपर्क करने एवं पानी सप्लाई की पाईप लाईन लिकेज होने से नगर निगम या ग्राम पंचायत व पीएचई विभाग से संपर्क करने तथा नल एवं पानी टंकी एवं हैंडपंप का क्लोरिनेशन कराना सुनिश्चित करने की अपील की गई है। जिससे कि मौसमी बीमारी की रोकथाम की जा सके। साथ ही नागरिकों से ग्रीष्म ऋतु के समय आवश्यक हो तभी घर से बाहर जाने एवं सिर में तौलिया अथवा कपड़ा बांधने, पर्याप्त पानी अथवा पेयपदार्थ का सेवन करने की अपील की गई है। इन महीनों में जल जनित रोग जैसे दस्त रोग, उल्टी दस्त ,हैजा टायफाईड बुखार तथा पीलिया जैसे रोगों की होने की संभावना अधिक होती है। अगर किसी को दस्त या उल्टियॉं लग जाएं तो तुरन्त उसे ओ.आर.एस.घोल , चीनी-नमक की शिकंजी, दाल का पानी तथा पानी जैसे तरल पदार्थ पिलाना शुरु कर देना चाहिए एवं उल्टी-दस्त बहुत अधिक हो तो रोगी को तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र ले जाना चाहिए।
 

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