87 साल की हुई आशा ताई.. कहा- मैं अपने आप को 40 साल का ही महसूस करती हूं ....
जन्मदिन पर विशेष - आलेख मंजूषा शर्मा
जानी-मानी गायिका आशा भोंसले ने आज अपने जीवन के 88 वें साल में प्रवेश किया है। आजकल वे भले ही फिल्मों के लिए नहीं गा रही हैं, लेकिन संगीत उनकी रग-रग में बसता है। वे सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं। अपने चिर-परिचित अंदाज में वे नए कलाकारों को हमेशा प्रोत्साहित करती हैं। आज अपने जन्मदिन पर आशा भोंसले ट्वीट किया -आज मैंने 87 साल पूरा कर 88 वर्ष में कदम बढ़ाया है, लेकिन मैं अपने आप को 40 साल का ही महसूस करती हूं। उम्मीद है कि आप सभी भी जिदंगी को लेकर इसी तरह की सकारात्मक सोच रखेंगे। हमेशा मुस्कुराते रहें। मेरी सलाह है कि कृपया अपने आस-पास के लोगों के लिए सकारात्मक सोच रखें - खुशियां फैलाएं। आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
आशा भोंसले ने अपने कॅरिअर में हर तरह के गाने गाए हैं। नायिका से लेकर बच्चों तक और खलनायिका के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज दी। ये भी सच है कि जानी-मानी गायिका आशा भोसले को बरसों-बरस लता की छोटी बहन के तौर पर जाना जाता रहा। जाहिर है एक गायिका के रूप में उन्हें अपनी मौलिक पहचान बनाने में बड़ी दिक्कतें आईं। 1940 के दशक में जब आशा ने पाश्र्व गायन की दहलीज पर कदम रखा, तब लता मंगेशकर अपनी पहचान बना चुकी थीं। उस वक्त नौशाद की तूती बोलती थी। नौशाने के गाने की शुरुआत लता से ही होती थी।
उस दौर में शमशाद बेगम और गीता दत्त से बहुत प्रभावित हुई आशा। नौशाद ने आशा को मौका यही सोचकर दिया कि वह भी लता की तरह गाने में असर पैदा कर पाएंगी, लेकिन आशा ने दीदी की नकल करने की बजाय अपनी पहचान को महत्व दिया। बाद में आशा नौशाद की मुख्य गायिका बन गई और उनके संगीत निर्देशन में उन्होंने अनगिनत हिट गाने गाये। नौशाद ने आशा की आवाज में पहला गाना तब रिकॉर्ड करवाया, जब उन्हें आशा पर भरोसा नहीं था। वहीं लता के लिए समर्पित संगीतकार सज्जाद और सी. रामचंद्र ने भी जब आशा को मौका दिया तो उन्हें निराश नहीं होना पड़ा। सज्जाद तो लता के बिना रुखसाना फिल्म बनाना ही नहीं चाहते थे। इस फिल्म के गानों को उन्होंने आशा से गवाया और फिर खुद सज्जाद सभी से आशा की तारीफ करने लगे। इस फिल्म में आशा-किशोर का युगल गीत यह चार दिन बहार के आज भी हमारे दिलों दिमाग में बसा हुआ है।
अनिल विश्वास के आशा के लिए शब्द थे- आशा की आवाज देह के साथ उपस्थित होती है तो लता की आवाज आत्मा के साथ अनिल विश्वास अपने रिकॉर्डिंग रूम में लता के अलावा किसी को देखना नहीं चाहते थे, वे भी आशा के मुरीद हो गए। पर आशा खुद कहती हैं- अनिल दा के साथ काम करते समय उन्हें बड़ा डर लग रहा था। उन्हें भी दिल की गहराइयों में डूबकर आत्मा से सुर निकालना पड़ा। सी. रामचंद्र लता के प्रशंसक होने के साथ-साथ उनके काफी करीब थे। आशा ने कभी सोचा ही नहीं था कि उनके साथ काम करने का मौका मिलेगा, लेकिन सी. रामचंद्र ने उन्हें मौका दिया और उन्होंने जब सो जा रे चंदा सो जा ( फिल्म आशा) का शास्त्रीय गाना भी आशा से ही गवाया तो आशा आश्चर्य में पड़ गईं। इस गाने से आशा को एक नया मकाम हासिल हुआ।
संगीतकार रोशन के लिए लता पसंदीदा गायिका बनी रहीं। हालांकि उस वक्त तक आशा के कई एकल और युगल गीत हिट हो चुके थे। रोशन राजकुमारी या गीता दत्त से भी गाना गवाने के बारे में सोच सकते थे, पर आशा के बारे में नहीं। उन्हें इस बात का भी अंदाज नहीं था कि दिल ही तो है का यमन राग में लयबद्घ हिट कव्वाली निगाहें मिलाने को जी चाहता है आशा इतनी बखूबी गाएंगी। बाद में रोशन ने आशा की काबिलियत को पहचाना और उन्हें कई मौके दिए। 'ताजमहलÓ की कव्वाली चांदी का बदन सोने की नजर ....आज भी भुलाएं नहीं भूलती।
मदन मोहन एक ऐसे संगीतकार थे जो लता के पर्याय माने जाते रहे। अगर उनके संगीत में लता की आवाज निकाल दी जाए तो कुछ भी नहीं बचेगा। मदन मोहन के संगीत में आशा ने वही गाने गवाये जिन्हें लता ने गाने से मना कर दिया। लता और आशा की आवाज का फर्क उन्होंने फिल्म अदालत की इस गाने में बखूबी बताया- जा जा रे जा साजना, काहे सपनों में आये जाके देस पराए... नरगिस के लिए लता की गंभीर और दर्दभरी आवाज का इस्तेमाल और चुलबुली सह नायिका के लिए आशा की आवाज। अश्कों से तेरी हमने तस्वीर बनाई है.. गीत में मदन मोहन ने आशा की काबिलयित स्वीकार की थी।
वहीं शंकर जयकिशन की सफलता में लता का बहुत बड़ा हाथ था। उन्होंने आशा की आवाज या तो बच्चों के लिए इस्तेमाल की या तेज गति से गानों के लिए जैसे- श्री 420 फिल्म का मुड़-मुड़ के न देखÓ गीत। जब शंकर-जयकिशन ने करोड़पति फिल्म का हाय! सावन बन गए नैन .. गीत आशा को गाने दिया तो इसके पीछे उनकी लता से चल रही अनबन ही मुख्य वजह थी। यह गीत आशा के कालजयी गीतों में से एक जाना जाता है। लता से उखड़ी यह संगीतकार जोड़ी फिर आशा के साथ ही बंधकर रह गई।
सलिल चौधरी का संगीत आशा को बेहद पसंद था पर अन्य संगीतकारों की तरह सलिल चौधरी के लिए आशा दूसरी पसंद रहीं। खय्याम की हस्ती लता से ही थी, लेकिन आशा ने भी उन्हें हिट गाने दिए। लता मंगेशलर के प्रशंसक खय्याम ने जब उमराव जान के संगीत की कमान संभाली तो सभी ने सोचा कि लता ही उनकी मुख्य गायिका होंगी, लेकिन खय्याम ने आशा का चुनाव करके सबको हैरत में डाल दिया। इस फिल्म के गीतों में एक नई आशा लोगों के सामने आई। खय्याम ने आखिर आशा में कैसे यह चमत्कार पैदा किया? इस फिल्म के लिए आशा ने राष्टï्रीय पुरस्कार जीता।
गुलजार की फिल्म इजाजत में आशा की कलात्मक गायिकी लोगों के सामने आई। मेरा कुछ सामान ...गीत आशा ने इतनी खूबसूरती से गाया कि यह आशा की भी पसंद बन गया। इस गाने की मुरकियां सुनते ही बनती हैं। इस फिल्म के लिए भी आशा ने राष्टï्रीय पुरस्कार जीता।
आशा भोंसले का जिक्र ओ.पी. नैयर के बिना अधूरा है। नैयर के संगीत में आशा ने एक से बढ़कर एक गाने दिये। लता से खटपट ओ. पी. नैयर को आशा के इतना करीब ले आई कि वे आशा के बिना अपने संगीत की कल्पना भी नहीं करते थे। पॉप की दुनिया में आर.डी. बर्मन ने आशा की आवाज का अच्छा इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने मेरा कुछ सामान ,,, जैसे गाने भी गवाकर आशा की काबिलीयत की सही परख भी की। आशा पंचम दा की जीवन संगिनी भी बनी और पंचम दा के संगीत को आशा से जो सुर दिए, वह शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। पंचम के साथ शादी उन्हें एस.डी. बर्मन के संगीत से जरूर दूर ले गईं। हालांकि एस.डी. बर्मन का साथ आशा ने 1957 के बाद हमेशा दिया। बर्मन दादा 1963 में बिमल राय की फिल्म बंदिनी के लिए लता को वापस बुलाने वाले थे, लेकिन उन्होंने अपना विचार बदला और आशा पर अपनी सारी आशाएं लगा दीं। अब के बरस भेज भइयां को बाबुल गाने में आशा ने अपनी सारी प्रतिभा उड़ेल दी। ज्वैलथीफ के गीत रात अकेली है गीत के लिए बर्मन दादा आशा की तारीफ करते नहीं थकते थे।
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