ब्रेकिंग न्यूज़

द सीक्रेट ऑफ ‘मुस्कान’...!

- डॉ. कमलेश गोगिया
’कितना खूसट है मेरा बॉस, उसे कभी हँसते नहीं देखा, जीवन में कभी उसने मुस्काया भी होगा कि नहीं, हमेशा चेहरे पर तनाव और चिंता....!’’
“कुछ बॉस ऐसे ही होते हैं तिवारी जी, जिस दिन संतुष्टी का भाव लिए खुशी का इजहार करने लग गये न, तरक्की रुक जाएगी कंपनी की समझो...!’’
‘’नहीं मुस्कुराने का कंपनी की तरक्की से क्या संबंध है वर्मा जी...? ‘’
‘’देखिए तिवारी जी, धरती में अलग-अलग टाइप के लोगों ने जन्म लिया है।  कुछ न चाहकर भी ऐसे लगते हैं जैसे हँस रहे हों, कुछ हँसते भी हैं तो लगता है रो रहे हैं, कुछ के चेहरे में हमेशा मुस्कान बिखरी रहती है, रोते वक्त भी वे मानो मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं, कुछ के चेहरे समय और परिस्थितिवश भावनाओं के आवेग में अलग-अलग संवेदनाओं को मुस्कान के साथ प्रकट करते हैं, कुछ भीतर ही भीतर मुस्कराते हैं लेकिन प्रगट नहीं करते। ऐसे लोगों को डर रहता है, संतुष्टि का भाव दिखा दिया तो आगे का काम प्रभावित होगा। निर्दयी ’सास’ की तरह...! कुछ हर वक्त दुखी और गुस्से में रहते हैं और उनका गुस्सा मुस्कान के रूप में दिखता है, थ्री इडियट फिल्म के सख्त प्रींसिपल डॉ. वीरू सहस्त्रबुद्धे की तरह....!’’
‘’हॉ, तिवारी जी, पूरा वायरस है बॉस अपना...!’’
‘’इग्नोर करो इन बातों को, अपना काम ईमानदारी से करो और चेहरे पर मुस्कान बनाए रखो।‘’
‘’सो तो ठीक है, लेकिन....’’
‘’छोड़ो भी भाई साहब, कहाँ सुबह-सुबह अपने बॉस की मुस्कान को लेकर हमारा मूड खराब कर रहे हो! चलिए हम निकलते हैं, समय पर दूध घर न पहुँचाया तो हमारी मुस्कुराहट छीन ली जाएगी!”
दूध डेयरी में सुबह-सुबह दूध लेने के इंतजार में प्रायः स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के समसामयिक मुद्दों पर सज्जनों की बीच प्रायः चर्चा हुआ करती है। फिर मामला रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का ही क्यों न हो! जिज्ञासा और अभिव्यक्ति मानव को नैसर्गिक वरदान है। रविवार की सुबह ‘मुस्कान’ पर चर्चा छिड़ गई। इस चर्चा पर कुछ लोगों के चेहरे जरूर रहस्यमयी मुस्कान लिए हुए थे, मानो मन ही मन कह रहे हों, ‘’इन्हें भी कोई टॉपिक नहीं मिला, यह भी कोई बात हुई भला...! बॉस के चेहरे पर मुस्कान नहीं...हा...हा...हा....!’’ कुछ पल के लिए मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा, लेकिन मुस्कान शब्द ने लगभग 500 साल पुरानी रहस्यमयी मुस्कान वाली मोनालीसा की पेंटिंग की याद दिला दी। कहते हैं कि यह दुनिया की वह बेमिसाल तस्वीर है जिसे देखकर लगेगा कि वह मुस्कुरा रही है, लेकिन फिर एकाएक मुस्कुराहट गायब हो जाती है। मोनालीसा की यह पेंटिंग इटली के महान अविष्कारक, वैज्ञानिक, संगीतकार और चित्रकार लियोनार्डो द विंची ने बनाई थी। इस रहस्यमयी मुस्कान के संबंध में अनेक खोजें हो चुकी हैं और काफी कुछ लिखा जा चुका है। वैसे मुस्कान तो सदैव से रहस्यमयी और अद्भुत ही मानी जाती रही है। यह हमें बिना किसी मोल चुकाए सहज ही प्रकृति से वरदानस्वरूप जो मिली है। हर माता-पिता का तनाव उस समय छूमंतर हो जाता है जब वे अपने बच्चों को मुस्कुराते देखते हैं। जन्म लेने के बाद पहली बार जब कोई शिशु मुस्कुराता है तो वह परिजनों के जीवन का सर्वश्रेष्ठ पल रहता है। भीतर दिल के गहरे जख्म हों या बाह्य शरीर के दर्द, अपने शिशु की मुस्कुराहट  देख माता-पिता का बड़े से बड़ा दुख और तनाव भी मिट जाता है। स्वयं के चेहरे पर सहज मुस्कान की लकीरें उभर आती हैं। दर्पण में अपना चेहरे देखने पर स्वयं के सुंदर लगने का अहसास मुस्कान के रूप में प्रगट हो उठता है। प्रियतम की मुस्कान पर शेरों-शायरी और कविताओं से विशाल ग्रंथ भरा पड़ा है।
मुस्कान पर प्रयोगशालाओं में शोध भी किए गये हैं। इन अध्ययनों के परिणाम हमें यह बतलाते हैं कि सिर्फ एक मुस्कुराहट से जीवन को किस तरह आनंदपूर्ण बनाया जा सकता है। वैज्ञानिक अध्यात्म के प्रणेता पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के संपादन में 46 वर्ष पूर्व प्रकाशित हुई अक्टूबर 1977 की अखण्ड ज्योति पढ़ रहा था, मुस्कान को लेकर अनेक रोचक जानकारियां मिलीं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक व चिकित्सक डॉक्टर पैस्किड चिन्ता, थकान, आवेग और शोकादि मनोविकारों का शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर रहे थे। इस अध्ययन के दौरान एक ऐसा व्यक्ति भी उनके परिक्षण में आया जो खुशमिजाज़ और सदाबहार था। उसके शरीर में मिलने वाली विचित्र क्षमताओं को देखकर डॉ. पैस्किड को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने इस तरह के अनेक व्यक्तियों पर प्रयोग किये। परिणाम मिला कि क्रोध और आवेशग्रस्त स्थिति में रहने वाले व्यक्तियों की माँस-पेशियों पर अनुचित तनाव पड़ता है और मुस्कान तथा हँसने से तनाव शीघ्र मिट जाता है। मुस्कान आन्तरिक अवयवों और माँस-पेशियों और मज्जा तन्तुओं को एक राहत देती है। एसए सूमेकर ने मुस्कान को थकान रोकने का अचूक उपाय माना है।
कैलिफोनिर्या यूनिवर्सिटी के जॉन डाल्टन का शोध कहता है कि मुस्कराने से चेहरे से लेकर गर्दन तक की मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है जिससे चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं। विश्व के अनेक देशों में इंसान के चेहरे के भाव और उनकी अभिव्यक्तियों पर वैज्ञानिक शोध होते रहे हैं। शोध में यह भी पाया गया है कि सच्ची खुशी का अहसास मुस्कुराने पर ही होता है। ब्रिटेन में ब्रेडफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तो असली और नकली मुस्कान को पकड़ने वाला सॉफ्टवेयर विकसित किया है। इनके अध्ययन में यह भी प्रकाश में आया है कि इंसान की वास्तविक मुस्कान का रहस्य उसकी आंखों में छिपा होता है। विश्वभर के दार्शनिकों और कवियों ने मुस्कान पर अनेक बातें कही हैं जिन्हें आज विज्ञान प्रमाणित कर रहा है। ’मुस्कराने की वजह तुम हो...’ मुस्कान पर बॉलीवुड में सैकड़ों गीतों की रचना हुई है।
मीना कुमारी नाज़ का प्रसिद्ध शेर है-
 हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
चमक उठे हैं अँधेरे भी रौशनी की तरह
‘जे़न एण्ड द आर्ट ऑफ़ हेपीनेस’ क्रिस प्रेन्टिस द्वारा लिखित अंग्रेजी पुस्तक है। यह प्रसन्न रहने की कला के प्रति प्रेरित करती है और ध्येय वाक्य है ‘खुश रहिए।‘ हर क्षण विषम परिस्थितियों में भी प्रसन्नता का राज़ समझ में आने के बाद यह महसूस होगा कि यह प्रकृति कितनी आश्चर्यजनक और अनूठी है। हालाँकि यह बातें अनमोल अवश्य हैं, लेकिन सहज रूप से प्रसन्न रहना या मुस्कुराते रहना बड़ा आसान भी नहीं लगता। मानव शरीर की यह स्वभाविक प्रतिक्रिया जो ठहरी। तकनीकी दुनिया में जिंदगी की रफ्तार जितनी तेज होती जा रही है उतनी ही तेजी से मुस्कान की सहज प्रवृत्ति पर चिंता और तनाव डाका डाल रही है। कबीर दास के दोहे कितने प्रासंगिक हैं, -
चिंता ऐसी डाकिनी, काटि करेजा खाए।
वैद्य बिचारा क्या करे, कहाँ तक दवा खवाय।
कविवर रहीम कहते हैं,
रहिमन कठिन चितान तै, चिंता को चित चैत।
चिता दहति निर्जीव को, चिंता जीव समेत।।
विद्वान कहते हैं कि सद्भवानाओं की कमी से ही चिंता और तनाव का जन्म होता है। प्रसन्नता का जन्म सद्भावनाओं से होता है। मुस्कराहट व्यक्ति की प्रसन्नता को अभिव्यक्त करती है। आंतरिक पवित्रता, निर्मलता और स्वच्छता से प्रसन्नता सहज रूप में आती है। स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस जैसे महापुरुषों की सतत प्रसन्नता का कारण उनकी आन्तरिक पवित्रता और शुद्धता ही थी। स्वामी विवेकानंद के मुस्कुरुहाट वाले चित्र अद्भुत आध्यात्मिक प्रसन्नता का परिचय देते हैं।
एक वास्तविकता यह भी है कि महापुरुषों की निर्मल हँसी और मुस्कान देखकर, दुखी और क्लेशयुक्त व्यक्ति प्रसन्न हुए बिना नहीं रहते। विरले ही मिलते हैं सभी से खुले दिल से मिलने वाले और सभी का स्वागत मुस्कान से करने वाले।
दशकों से अध्ययन यही प्रमाणित करते आ रहे हैं कि मुस्कान का सीधा संबंध सेहत और दीर्घायु से है। मुस्कान के इन रहस्यों को समझकर ही प्रतिवर्ष अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर अक्टूबर माह के प्रथम शुक्रवार को विश्व मुस्कान दिवस मनाया जाता है। लोग मुस्कुराहट के महत्व को समझ सकें, इ्न्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ‘वर्ल्ड स्माइल डे’ सन 1999 से मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत मैसाचुसेट के पेशेवेर कलाकार हार्वे बाल ने की थी। सन 1963 में वे स्माइलिंग फेस बनाने के लिए प्रसिद्ध हुए थे। खैर, एक मुस्कुराहट कठिन से कठिन परिस्थितियों में भीतर से मजबूत जरूर कर देती है। अचानक रोते-रोते बच्चों का मुस्करा देने वाले सहज गुणों को व्यक्त करने के लिए शब्दों की सामर्थ ही नहीं है। जरूरत है भीतर के स्वार्थ, अनुदारता, लोभ, ईर्ष्या और घृणा के आवरण को हटाने की। इस आवरण के हटते ही सच्ची खुशी का अहसास होने लगेगा। तब जागेगा सबके लिए प्रेम, सद्भाव और उदारता जो सनातन है।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english