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'इकिगाई’ यानी लम्बी आयु और खुशी का रहस्य...!
- डॉ. कमलेश गोगिया

ऊपर शीर्षक में एक शब्द है ‘इकिगाई’ (IKIGAI)। यह जापानी भाषा का शब्द है। जापान का नाम लेते ही सबसे पहले खयाल आता है वहाँ के लोगों की लम्बी आयु के रहस्य का। दुनिया में सबसे ज्यादा लम्बी आयु जापान के लोगों की रहती है। जापान की केन तनाका दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला थीं। उनकी आयु 119 वर्ष थी। उनके निधन पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी दुख व्यक्त किया था। विश्व बैंक के तथ्य बताते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा बुजुर्ग आबादी जापान में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जापान में औसतन एक महिला की आयु 87 वर्ष और पुरुष की 82 वर्ष होती है। अध्ययन बताते हैं कि जापान के ओकीनावा नामक आइलैंड में लोगों की औसतन आयु 100 साल या इससे भी अधिक होती है। यह अधिकांशतः लोग जानते भी होंगे।  अब सवाल है ‘इकिगाई’ क्या है? पहली बार यह शब्द मैंने एक पुस्तक के फ्रंट पेज के शीर्षक के रूप में पढ़ा था। लीक से हटकर आकर्षित करने वाले शब्दों की तरह इस शब्द के मायने जानने की लालसा हुई। फ्रंट पेज में दिये गए उपशीर्षकों ने भीतर के पन्ने पलटने पर मजबूर कर दिया। भीतर के पन्नों से पता चला इकिगाई के पीछे जापान के लोगों की लम्बी आयु का सीक्रेट।
हेक्टर गार्सिया (Hector Garcia) और फ्रान्सेस्क मिरालेस (Francesc Miralles) की लिखी पुस्तक  का नाम है ‘इकिगाई’ (IKIGAI)। दुनिया भर के लाखों लोगों ने इसकी सराहना की है और यह बेस्ट सेलर पुस्तक मानी जाती है। इसमें लम्बे और खुशहाल जीवन के जापानी रहस्यों को प्रकाश में लाया गया है। यह गहन जाँच-पड़ताल और शोध के आधार पर लिखी गई पुस्तक है जो जापान के लोगों की लम्बी आयु के रहस्य पर से पर्दा हटाती है। वास्तव में यह आडम्बर से दूर एक आदर्श जीवन-शैली अपनाकर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
क्या है इकिगाई ? इसे विस्तार देने से पहले जापानी कहावत का उल्लेख मिलता है-
 "सौ वर्ष जीने की चाहत आप में तभी होगी
जब आपका हर पल सक्रियता से भरा हो।"
इकिगाई एक जापानी संकल्पना है। इसका सामान्य अर्थ है, हमेशा व्यस्त रहने से मिलने वाला आनंद।  इसका मकसद है अपने जीवन जीने का उद्देश्य खोजना। यह शब्द असल में जापान के लोगों की लम्बी आयु का रहस्य बताता है, जैसा कि लेखकों ने अपने अध्ययन में जिक्र किया है। लेखकों ने विश्व में सबसे ज्यादा लम्बी आयु जीने वाले लोगों के गाँव ओगिमी का अध्ययन किया जिसे विश्व का सबसे दीर्घायु लोगों का गांव माना जाता है। एक साल के प्रारंभिक शोध के बाद कैमरे और रिकार्डिंग उपकरणों का भी इस्तेमाल किया गया। यह बात खास है कि वहाँ के लोगों ने उनका स्नेहशीलता के साथ स्वागत किया और वे कुछ ही समय में उनसे घुल-मिल गये। वे हरी-भरी पहाड़ियों और स्वच्छ पानी वाले वातावरण में हँसते और चुटकुले सुनाते दिखे। जैसा कि लेखकों ने अपनी भूमिका में जिक्र किया है। वे बताते हैं कि ओगिमी लोगों के आनंददायक जीवन के पीछे पहला राज था उनका सामाजिक जीवन जो टीम भावना और अपनेपन से परिपूर्ण होना। दूसरे विश्व युद्ध में इस गाँव पर हुए हमले में दो लाख लोग मारे गये थे। लेकिन गाँव के लोगों में नाकारात्मक भाव नहीं थे। वे सकारात्मक सोच और ‘इबारीबा चोडे’ के आधार पर जीवन जी रहे थे जिसका अर्थ है-सभी की तरह भाई जैसा बर्ताव, फिर वे अपने हों या पराये, मित्र हों या शत्रु । यह हमें भारतीय दर्शन का भी स्मरण कराता है। वेदों में विश्व बंधुत्व का संदेश निहित है। वृहदारण्यक उपनिषद् के इस प्रसिद्ध श्लोक से सभी अवगत ही हैं-
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

जिसका अर्थ है, सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें। सभी अच्छी घटनाओं को देखने वाले अर्थात् साक्षी रहें और कभी किसी को दुःख का भागी न बनना पड़े।
इकिगाई में शतायु जीवन के बहुत से रहस्य उजागर किये गये हैं। इनमें जीवन शैली, आचार-विचार, खाद्य संस्कृति, अपनापन आदि प्रमुख रूप से शामिल है। हर व्यक्ति के भीतर इकिगाई छिपा रहता है जो किसी को मिल गया रहता है तो कोई उसकी तलाश में रहता है, मसलन जीवन जीने का एक उद्देश्य, जैसे किसी का इकिगाई दूसरों की सहायता करना रहता है तो किसी का कला की सेवा करते रहना और आप कैसा जीवन जीते हैं ,यह बात भी शतायु का कारण बनती है। स्वस्थ रहने के राज के पीछे अच्छी पर्याप्त नींद, कम भोजन, सदैव सक्रिय रहने और कभी रिटायर न होने, तनाव से मुक्त रहने, हँसने, खुश रहने, सामाजिकता को महत्व देने और सभी में अपने भाई-बंधु का दृष्टिकोण रखने जैसी बातों को महत्व दिया गया है।
यदि कम शब्दों में इकिगाई का पूरा सार समझना है तो इसमें दिया गया दीर्घायु काव्य पढ़ लीजिए। यह ओगिमी में करीब सौ साल की एक बुजुर्ग महिला ने सुनाया था। इस काव्य में स्वस्थ और दीर्घायु जीवन का सूत्र दिया गया है। इसमें कहा गया है कि स्वस्थ और दीर्घायु जीवन के लिए सभी पदार्थ थोड़े-थोड़े खुशी से खाएँ। इस एक लाइन पर यदि हम गंभीरता से ध्यान दें तो थोड़ा खाना और खुशी से खाने की बात कही गई है। मसलन भोजन करते समय हमारी भावनाएँ और हमारे विचार कैसे हैं, इसका पूरा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि हम आधुनिक जीवन शैली देखें तो संचार के दो प्रमुख साधन हैं टेलीविजन और मोबाइल और सर्वाधिक लोग इन दो उपकरणों में व्यस्त रहते हुए भोजन करते हैं। पिछले साल एबीपी लाइव ने एनवायरमेंटल जनरल ऑफ हेल्थ नामक प्रतिष्ठित मैग्जीन के हवाले से बच्चों में खाने-पीने की आदत पर एक रिसर्च पर प्रकाश डालते हुए बताया था कि टेलीविजन देखते हुए खाना खाने वाले दस साल तक के बच्चों को मोटापे का खतरा रहता है। इसके विपरीत परिवार के साथ बातचीत करते हुए लंच या डिनर खाने से ओबेसिटी का खतरा कम हो जाता है। टीवी या मोबाइल देखते हुए भोजन करने से वजन बढ़ने, ह्रदय रोग, पेट की समस्या और नींद न आने जैसी बीमारियों का जिक्र रिसर्च में किया गया है।
खैर, चलिए दीर्घायु काव्य की आगे की पंक्तियों की तरफ...आगे कहा गया है कि जल्दी सोएं, जल्दी उठें और तुरंत घूमने जाएँ। हर दिन शांति के साथ जिएं, यात्रा का आनंद लें, दोस्तों में अपनेपन का बर्ताव करें, सभी ऋतुओं का आनंद लें और हमेशा मशगूल रहें और काम करते रहें तो सौ साल आपकी ओर चलते  हुए आएँगे। इकिगाई में एक बात और प्रभावित करती है और वह है निरंतर सक्रिय रहना। शोध के हवाले से बताया गया है कि दीर्घायु गाँव ओगिमी के 80 और 90 साल के लोग भी काफी कार्यक्षम हैं। वे घर में बैठकर खिड़की से झाँकते रहने और अखबार पढ़ने जैसे कामों में अपना समय नहीं बिताते हैं। सुबह जल्दी उठकर भरपूर चलते हैं, दोस्तों के साथ बातचीत करते हैं और गाना गाते रहते हैं। सुबह नाश्ते के बाद बगीचे में काम करने जाते हैं। वे कभी जिम में जाकर व्यायाम नहीं करते, लेकिन सदा कुछ न कुछ गतिविधि करते रहना मानो उनकी दिनचर्या का अंग-सा होता है। सदा जवान बने रहने के लिए योग को यहां काफी महत्व दिया गया है। इकिगाई में जीवन-शैली से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण बातों का न सिर्फ जिक्र है बल्कि अमल में लाने के तरीकों पर भी प्रकाश डाला गया है।
इकिगाई के दस नियमों में शामिल है- हमेशा कार्यरत रहने, जल्दबाजी न करने, पेट भरकर न खाने, अच्छे मित्रों से घिरे रहने, मुस्कराते रहने, प्रकृति के साथ जुड़े रहने,  भूत और भविष्य की बजाए वर्तमान में जीने, छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढने, कृतज्ञ बने रहने और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने जैसी बातें। भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में भी वही सारे तत्व निहित हैं जिनका जिक्र हमें इकिगाई में मिलता है, बात अमल करने पर है। आप सभी शतायु रहें, यही इकिगाई से मेरी कामना है।

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