पत्रकारों की भी छुट्टी कर देगा एआई....?
फिलहाल तो यह प्रश्न ही है जिसका उत्तर भविष्य के गर्त में छिपा है। पहले एक नजर डालते हैं ओपनएआई कंपनी के जीपीटी चैटबॉट के पत्रकार की तरह खबर बनाने की शैली पर। छत्तीसगढ़ आज डॉट कॉम (chhattisgarhaaj.com) ने ओपनएआई के जीपीटी चैटबॉट से कहा, "टमाटर के बढ़ते दाम पर खबर बनाइये।" इतना लिखते ही किसी भी प्रकार का कंटेट दिए बिना चैटबॉट ने बकायदा शीर्षक, डेटलाइन और इंट्रो के साथ कुछ ही सेकंड में यूनिकोड के मंगल फाउंट में हिंदी में खबर इस प्रकार बनाकर दी-
टमाटर के बढ़ते दाम से आम जनता पर भारी बोझ
राजधानी दिल्ली, 25 जुलाई 2023: टमाटर के बढ़ते दाम देशवासियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में टमाटर की कमी और प्राकृतिक आपदा के कारण, टमाटर के दामों में तेजी से बढ़ोतरी का सामना कर रहे हैं।
देशभर में टमाटर के दामों में वृद्धि के कारण आम जनता को खाने के उपकरणों में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। आम लोगों को रसोई घर में टमाटर के दाम देखकर परेशानी हो रही है और खाने के बजाय अन्य विकल्पों पर मन लगा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, टमाटर के दामों में बढ़ोतरी का कारण विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उत्पादन में कमी और परिवारिक किसानों के पास यह फसल को उगाने की भूमि की कमी है। भारतीय उपमहाद्वीप में अनियमित मौसम तथा तापमान में बढ़ोतरी और अधिक वर्षा के चलते किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटना पड़ रहा है, जिससे टमाटर जैसी फसलों की उपज पर असर पड़ रहा है। सरकार ने टमाटर के दामों पर नजर रखते हुए आवश्यक कदम उठाने का वादा किया है। अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में टमाटर की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने का प्रस्ताव भी किया गया है। इसके अलावा सरकार ने किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे प्रदान करने का भी कदम उठाने का वादा किया है।
इसके बाद चैटबाट ने खबर के अंत में स्टार लगाकर अन्य स्त्रोतों का उपयोग करने की सलाह देते हुए लिखा - *यह खबर सिर्फ जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है और वास्तविक टमाटर के दामों और अन्य विवरणों को सत्यापित करने के लिए अन्य स्रोतों का उपयोग करने की सलाह है।
अब एआई की इस खबर के वाक्य-विन्यास को थोड़ा सा संशोधित करना है और कुछ तथ्य जोड़ दीजिए। खबर तैयार है। कहने का आशय यह है कि बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों के लिए भी सिर्फ संशोधन करने वाले कुछ ही लोगों की जरूरत रह जाएगी जिन्हें एआई तकनीक की थोड़ी-बहुत जानकारी हो। एआई को आभार व्यक्त करने पर जवाब इस तरह मिला-
आपका धन्यवाद! आपको किसी भी प्रकार की मदद के लिए हमेशा तैयार रहूँगा। अगर आपको फिर से किसी सवाल या समस्या का सामना करना पड़े तो कृपया मुझे बताएं। हमेशा आपकी सेवा में। धन्यवाद!
ओपनएआई के इस चैटबॉट को सिर्फ कंटेट उपलब्ध करा दीजिए। मसलन किसी दुर्घटना की खबर बनानी हो तो घटनास्थल का नाम, घटना का कारण, घायलों का नाम, डेटलाइन, तारीख, समय आदि दे दीजिए जो जानकारी एक पत्रकार को सामान्य रूप से मिलती है, कुछ ही सेकंड में समाचार के मूलभूत सिद्धांत उल्टा पिरामिड शैली में खबर बनकर तैयार हो जाएगी। सिर्फ खबर ही नहीं, किसी विषय पर संपादकीय, आलेख, कहानी, कविता आदि भी।
90 के दशक में समाचार पत्र के दफ्तरों में टेलीप्रिंटर हुआ करता था। यह खट-खट की आवाज के साथ देश और दुनिया की खबरें कागज पर उगलता रहता था। थोड़ा तकनीकी विकास हुआ तो यह आवाज चर्र-चर्र में तब्दील हो गई। बाद में इंटरनेट आया तो यह आवाज भी बंद हो गई। एक समय स्थानीय रिपोर्टर घटनास्थल से खबरें एकत्र कर दफ्तर में अखबारी कागज पर खबरें लिखा करता था। अंग्रेजी के समाचार-पत्रों में टाइपराइटर पर खबरें लिखने का चलन भी देखने को मिला था। कुछ समाचार-पत्रों के दफ्तरों में रेडियो सुनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खबरें लिखी जाती थीं, विशेषकर सांध्य दैनिक समाचार-पत्र में। आमतौर पर खबरें मटमैले अखबारी कागज पर लिखी जाती थीं। इंट्रो गलत होने पर प्रायः कागज को मोड़कर फेंक दिया जाता था। जिले और दूर-दराज के संवाददाता भी कागज पर लिखकर ही खबरें भेजा करते थे। कई बार उनकी खबरें दो से तीन दिन में पहुँचती थीं। महत्वपूर्ण खबरें फोन पर लिखाई जाती थीं। तकनीक और संसाधन के अभाव के उस दौर में आज की तरह व्हाट्सएप की सुविधा नहीं थी।
रिपोर्टर और छायाकार को घटनास्थल तक जाना ही पड़ता था। तब का लेखन भी सशक्त हुआ करता था। खबर लिखने के बाद वरिष्ठ संशोधित करते थे। इसके बाद खबर कम्प्यूटर आपरेटर के पास टाइप के लिए भेज दी जाती थी। हर एक खबर का बटर में प्रिंट निकलता था। पेस्टर एक-एक खबर की कटिंग कर पेस्टिंग किया करता था। फिर छपाई के लिए प्लेट बनती थी। एक लम्बी प्रक्रिया हुआ करती थी। रात दो से तीन बजे तक पेस्टिंग ड्यूटी भी लगा करती थी। बहुत सी यादें हैं और बहुत से अनुभव....
याद कीजिए उन दिनों को जब टेक्नोलॉजी के चरण चरम पर नहीं थे। हम विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति तक पलक झपकते ही अपना संदेश पहुँचाने में सक्षम भी नहीं थे। शायद उस समय हम एक-दूसरे के ज्यादा करीब हुआ करते थे। सामाजिक जीवन भी सशक्त हुआ करता था। आभासी दुनिया से दूर संवेदनाओं का अपना ही महत्व हुआ करता था। झूठ भी कम ही बोला जाता था। निःसंदेह तकनीकी के विकास के साथ-साथ मानव का भी विकास हुआ। आम से लेकर खास तक, उन तमाम सुविधाओं से लैस होता चला गया जिसकी कल्पना पहले कभी नहीं की गई थी। नित-नये अविष्कारों से जैसे-जैसे पूरी दुनिया मुट्ठी में समाती चली गई वैसे-वैसे जीवन-शैली भी बदलती चली गई। अब तकनीक के बिना जीवन व्यर्थ माना जाने लगा है।
अब पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा। प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, वेब मीडिया, सोशल मीडिया और अब एआई (AI) यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जो जीवन के हर क्षेत्र को बदलने वाला है। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एआई की भूमिका तय हो रही है। इन दिनों गूगल जीनियस एआई की खासी चर्चा है जो घटनाओं को संशोधित कर ब्रेकिंग न्यूज बना सकता है। कहा जा रहा है कि गूगल का यह एआई टूल फेक्ट चेक कर न्यूज, आर्टिकल लिखने, हेडलाइन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हाल ही में ओड़िशा के भुवनेश्वर के न्यूज चैनल ओटीवी ने लिसा नामक एआई संचालित एक सुंदर सी दिखने वाली न्यूज एंकर लाँच की है जो खबरों को अनेक भाषाओं में सुना सकती है। इंसान के ब्रेन से भी कई गुना क्षमता रखने वाले एआई की यह आहट भविष्य के खतरों से खुद-ब-खुद आगाह करती नजर आ रही है। जाहिर है पत्रकारों की नौकरी पर भी खतरे मंडराएंगे। लेकिन इसका सामना ठीक उसी तरह किया जा सकता है जिस तरह 20वीं सदी में किया गया था। कनिष्ठों से लेकर वरिष्ठों तक को कम्प्यूटर पर अपनी खबर खुद टाइप करने का दबाव था। इसके बाद पेज मेकिंग करने का दबाव आया। तकनीकी के साथ सुर-ताल मिलने वाले टिके रहे। समय के साथ अपडेट होने की आवश्यकता फिर से आन पड़ी है। तो क्यों न एआई की ट्रेनिंग ली जाए जो भारत सरकार मुफ्त में दे रही है।
भारत सरकार ने अपने इंडिया 2.0 प्रोग्राम के अंतर्गत एआई प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की घोषणा की है। यह पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर समर्पित है। इसे इसे स्किल इंडिया और जीयूवीआई के माध्यम से विकसित किया गया है। इसमें एआई के बुनियादी सिद्धांत, एआई एप्लिकेशन, एआई एथिक्स आदि शामिल है। शेष समय के हांथों निहित है...
(क्रमशः जारी.... युग चेतना कॉलम में एआई से संबंधित विभिन्न पहलुओँ पर सारगर्भित आलेख जारी रहेगा।)
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