सजल
- कविता
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
हाथ से फिसले नहीं पल, वक्त रहते काम कर लें ।
हार कर रुकना नहीं है,जीत अपने नाम कर लें ।।
कोशिशें करते रहे तो,लक्ष्य को पाकर रहेंगे।
बीज को श्रम का लगाकर,फल सुखद परिणाम कर लें ।।
बैठ कर सागर किनारे, तैरना सीखें कहाँ से।
कूद कर गहराइयों में, मृत्यु का भय वाम कर लें।।
कूप के मेंढक बनो मत, देख लो बाहर निकल कर।
सोच को विस्तार देकर, मन वृहद आयाम कर लें।।
प्रेम से मिलजुल रहें सब, युद्ध की बातें न करना।
शांति का संदेश देकर, विश्व पावन धाम कर लें।।
-9424132359
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