महादेव मैं याचक बनकर...
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
महादेव मैं याचक बनकर ,
तेरे दर पर आया हूँ ।
भक्ति-भाव के पुष्प-मनोहर,
अन्तस् में भर लाया हूँ ।।
देव-दनुज जो भी तप करते,
दर्शन देने आ जाते ।
शुचिता पूर्वक करें साधना ,
मनवांछित फल सब पाते ।
कल्याण सभी का करते हो,
माँगे बिना बहुत पाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
सुन लेना प्रभु यही प्रार्थना ,
मुझे शरण अपनी रखना ।
धीरज संयम देना विष यदि,
पड़े उपेक्षा का चखना ।
नीलकंठ हे आशुतोष शिव,
आगे शीश झुकाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
निर्विवाद छवि रही सदा ही,
निर्विकार संतोषी तुम ।
द्वेष-दंभ सब हुए तिरोहित,
जलवाष्प धूप में ज्यों गुम ।
आत्मलीन हो जानूँ खुद को,
अहंकार बिसराया हूँ ।।
भक्ति भाव....
शिव ही सत्य जगत सब मिथ्या,
शक्ति भक्ति के शुचि साधक ।
कुपित हुए जब तांडव करते,
भस्म हुए हैं सब बाधक ।
विश्वनाथ की वह अनुपम छवि,
मन में सदा बसाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
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