नमन मां शक्तिदायिनी
- लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
मात शैलपुत्री सदा , करना जग-उत्थान ।
मिटे आसुरी वृत्तियाँ , मूल्यों का हो गान ।।
ब्रह्मचारिणी मातु को , करते कोटि प्रणाम ।
योग-क्षेम गृहवास हो , सफल रहे हर काम ।।
मात सिद्धिदात्री नमन , श्रद्धा कर स्वीकार ।
रोग शोक संताप को , दूर करें हर बार ।।
जीवन-सुख संतोष हो , उपजे मन में शांति ।
द्वेष क्लेश फटकें नहीं , यश वैभव की कांति ।।
शांत रूप है आठवां , करती शिव अनुराग ।
मात महागौरी कृपा , रक्षित करे सुहाग ।।
श्वेत वृषभ वाहन बना , गौर वर्ण है मात ।
पूर्ण मनोरथ माँ करें , भक्ति शक्ति निष्णात ।।
कालरात्रि माँ सुन विनय , भक्त करें मनुहार ।
बुरी शक्तियों को मिटा , देना जगत सँवार ।।
दूर करें संकट सभी , दुख का करें विलोप ।
दीर्घ आयु जीवन मिले , निष्फल काल-प्रकोप ।।
सदाशयी माता करें , कृपा जगत अविलंब ।
शक्ति मिले संकट हटे , गिरे रोध के खंब ।।
षष्ठी को कात्यायिनी , आतीं अपने द्वार ।
कलुष रूप हर दैत्य का , कर देती संहार ।।
पंचम दिन नवरात्रि का , सिद्धि प्रदात्री स्कंद ।
कार्तिकेय की मात श्री, काटे भव-भय फंद ।।
अष्टभुजी तेजोमयी , सूर्यप्रभा भी नाम ।
कूष्मांडा देवी तुम्हें , करते कोटि प्रणाम ।।
दिव्य कांति है सूर्य सम , रच डाला ब्रह्मांड ।
चंड-मुंड संहारिका , भोग लगे कूष्मांड ।।
मात चन्द्रघंटा करें , सभी बुराई नष्ट ।
अर्द्ध चंद्र ले भाल पर , हरतीं सारे कष्ट ।।
सिंह-सवारी पर चलीं , करने जग-भयमुक्त ।
मूरत संबल साहसी , धी धृति बल से युक्त ।।
शक्ति बनी शिव की सदा , मुख-मंडल में ज्योति ।
शुचिता शुभता से भरें , पग धरतीं जिस धाम ।।
अब के इस नवरात्र में , खा लें हम सौगंध ।
निर्भय घूमें बेटियाँ , रक्षा करें प्रबंध ।।
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