छद्म दंभ के दलदल में, सद्भाव पलता रहा
-गीत
- लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
छद्म दंभ के दलदल में, सद्भाव पलता रहा।
एक युद्ध अंतर्मन में , चुपचाप चलता रहा।।
पीड़ा एक अबोली-सी, शूल बन चुभती रही।
चिंताओं की अमरबेल, आप ही उगती रही।
रंगीले ख़्वाब दिखा कर, मन सदा छलता रहा।।
एक युद्ध……
सुख-दुख के हिंडोले में, झूलता रहा जीवन।
मानक में खरा उतरने, जूझता हुआ यौवन।
नव सूरज उम्मीदों का, हार कर ढलता रहा ।।
एक युद्ध…..
लाभ-हानि का अंकगणित, रिश्तों को उलझाता ।
सुलझ रहा जब एक सिरा, दूजा फँसता जाता ।
उड़े नेह के सब पंछी, धन हाथ मलता रहा ।।
एक युद्ध…….
कौड़ी-कौड़ी जोड़ बना,स्वर्ण-महल सपनों का।
चमके-दमके गलियारे, साथ नहीं अपनों का ।
प्रेम की हल्की तपिश पा, मन-बर्फ गलता रहा ।।
एक युद्ध…….
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