भारत की इन सदियों पुरानी परंपराओं में छिपे हैं स्वास्थ्य से जुड़े लाभ
भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है. इसलिए हर संस्कृति के रीति-रिवाज और परंपराएं हैं. सभी अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को वैसे ही निभाते हैं जैसा कि सदियों (Indian Traditions) पहले निभाया करते थे. लेकिन इनमें से कुछ पुरानी परंपराओं के पीछे कई स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हैं जो शायद लोग नहीं जानते हैं. इसमें नमस्ते, मेडिटेशन, हल्दी से खाना बनाना, तांबे के बर्तन से पीने का पानी और हाथ से खाना आदि शामिल हैं. आज हम भारत की इन सदियों पुरानी परंपराओं के पीछे छुपे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानें इन परंपराओं के पीछे छुपे स्वास्थ्य लाभ.
नमस्ते भाव का महत्व
नमस्ते नम्रता और कृतज्ञता व्यक्त करने वाला एक भाव है. ये अभिवादन करने के लिए किया जाता है. जब हम अपने हाथों की हथेलियों को नमस्ते में जोड़ते हैं तो इसे अंजलि मुद्रा कहते हैं. अंजलि मुद्रा का अभ्यास नियमित रूप से एकाग्रता को बढ़ाता है, मन को शांत करता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है. अंजलि मुद्रा हमारी विचार प्रक्रिया को अस्थायी रूप से व्यवस्थित करती है. ये अधिवृक्क और पिट्यूटरी ग्रंथियों के काम को संतुलित करती है.
मंदिरों में बजती घंटियां
परंपरागत रूप से पूजा की शुरुआत मंदिर में घंटी बजाने से होती है. घंटी की शांत ध्वनि व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने और स्वयं के साथ जुड़ने में मदद करती है. घंटी की सुखदायक ध्वनि मस्तिष्क के बाएं और दाएं भाग के बीच एक सामंजस्य स्थापित करती है. ये ध्वनि मानव शरीर के सात चक्रों को सक्रिय कर देती है. ये सभी नकारात्मक विचारों को दूर करती है.
ध्यान या मेडिटेशन का महत्व
ध्यान का उद्देश्य अभ्यासी की आत्मा ( जीवात्मा ) और परमात्मा के बीच एकता प्राप्त करना है. ध्यान आपके शरीर, मन और इंद्रियों को शांत करता है. ध्यान करने से एकाग्रता का स्तर बढ़ता है. ये आपके भावनात्मक स्वास्थ्य का खयाल रखने के अलावा सिरदर्द, अनिद्रा, जोड़ों और मांसपेशियों की समस्याओं को कम करने में मदद करता है.
हल्दी से खाना बनाना
हल्दी भारत में पीढ़ियों से इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है. इसका इस्तेमाल कई चीजों के लिए जाता है. ये न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि कई धार्मिक समारोहों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी में कई औषधीय गुण भी होते हैं. हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ करक्यूमिन नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. ये इम्युनिटी बढ़ाने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है.
हाथ से खाना
उंगलियों के तंत्रिका अंत पाचन को बढ़ावा देते हैं. आयुर्वेद के अनुसार हमारी पांच उंगलियां पांच तत्वों के समान हैं. इसमें भूमि, जल, अग्नि, आकाश और वायु आदि शामिल है. इससे शरीर के पांचों तत्व जागृत हो जाते हैं. इससे सिर्फ भूख ही नहीं मन भी तृप्त होता है. वेदों के अनुसार हमरी उंगलियों के पोर तीसरी आंख, हृदय, गले, सोलर प्लेक्सस, यौन, रूट चक्र से संबंधित होते हैं. इसलिए हाथ से खाना खाते समय स्पर्श करने से चक्र उत्तेजित हो जाते हैं और इससे कई फायदे मिलते हैं.
तांबे के बर्तन से पीने का पानी
कॉपर मानव स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक मिनरल है. ये पानी में मौजूद मोल्ड्स, फंगस और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों को मार सकता है जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. तांबे के बर्तन का पानी शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है. कॉपर एनीमिया को रोकने, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है.
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