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 जानिए साष्टांग प्रणाम के क्या हैं फायदें....
 मंदिरों में साष्टांग प्रणाम करने का रिवाज खत्म सा हो रहा रहा है। हाल ही में अयोध्या में  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलला के दर्शन के दौरान भगवान को साष्टांग प्रणाम करके एक बार फिर विस्मृत हो रही योग और धर्म से जुड़ी इस परंपरा और आस्था की याद ताजा कर दी है। 
 सभी जानते हैं पीएम मोदी वेद-पुराणों और योग से जुड़े व्यक्ति हैं।   सभी ने उन्हें कई बार योग करते हुए देखा है और योग को प्रोत्साहन देते हुए सुना भी है। हाल ही में उन्हें राम जन्म भूमि पूजन के दौरान प्रभु राम के सामने साष्टांग नमस्कार करते हुए देखा गया है। पर क्या आप जानते हैं कि साष्टांग नमस्कार एक प्रकार का योग है? जी हां, साष्टांग मुद्रा सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा है, जिसमें पूरे शरीर को एकजुट करके प्रणाम किया जाता है। इसे करने के शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं, तो आइए आज हम इसी योगासन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
 क्या है साष्टांग नमस्कार?
साष्टांग नमस्कार एक प्रकार का नमस्कार है, जिसमें शरीर के सभी अंग जमीन को छूते हैं। इस प्रकार के नमस्कार को दंडवत प्रणाम, दंडकारक नमस्कारम और उदंड नमस्कार आदि भी कहा जाता है। साष्टांग नमस्कार भी एक ऐसी प्रक्रिया से संबंधित है, जहां शरीर की सारी शक्तियों को संयोजित करते हुए प्रणाम किया जाता है। सत्संग नमस्कार पूर्णता को दर्शाता है। ऐसा करके आप किसी को संदेश भेज रहे हैं कि आप उनके हैं और आपको उनके आशीर्वाद की आवश्यकता है। कुछ मायनों में, यह भी माना जाता है कि यह नमस्कार शरीर के सभी पंच तत्वों को मिलाने का आसान है। शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को यह आसन करने की मनाही है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह आसन स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
 कैसे करें साष्टांग नमस्कार?
साष्टांग वह स्थान है, जहां व्यक्ति पेट के बल सपाट होकर आठ अंग छाती, सिर, हाथ, पैर, घुटने, शरीर, मन और वाणी भूमि पर स्पर्श करता है। यह नमस्कार आमतौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस साष्टांग मुद्रा को सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा से लिया गया है। सर्वस्व समर्पण करने के मनोभाव के साथ किए जाने वाले इस प्रणाम को साष्टांग कहा जाता है। इस स्थिति में हमारा मन शांत होता है और हम पृथ्वी की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर पाते हैं।  
 कैसे करें साष्टांग प्रणाम
-एक प्लैंक स्थिति में आ जाइए और फर्श पर अपने घुटनों को एक दम सीधा रख दें।
-अपनी छाती को आगे और नीचे इस तरह से लाएं कि आप अपनी छाती को अपने हाथों के बीच में रखें।
-इस दौरान कूल्हे ऊंचे रहने चाहिए और आपकी कोहनी बाजू की ओर होनी चाहिए, जबकि आपके हाथ आपके सामने प्रार्थना की स्थिति में हों।
-इस तरह पूरी तरह से लेटे हुए तरीके से आपको सूर्य नमस्कार की तरह इसे करना है।
 साष्टांग नमस्कार के फायदे 
-साष्टांग मुद्रा करते समय पेट पर एक अलग सा दबाव बनता है, जिससे पेट की मांपेशियां खिंचती हैं। इससे पाचनतंत्र को फायदा मिलता है और आपका मेटाबॉलिजम ठीक रहता है।
-साष्टांग नमस्कार से आपके शरीर में संतुलन लाने में मदद मिलती है। जो लोग सूर्य नमस्कार के साथ लगातार तरीके से इसे करते हैं, उन्हें अपने बॉडी मास को संतुलित करने में ये बहुत सहायता करता है।
-जिन लोगों को पीठ में दर्द और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी परेशानियां होती हैं, उनके लिए ये करना बहुत फायदेमंद है।
-इनमें हमारा माथा, हाथ, कंधे, नाक, सीना, पेट, घुटने और पैर के अंगूठे समेत पूरे शरीर को सम्मिलित करता है, जो एक तरीके से पूर्ण योग है।
- ये योग मुद्रा करने से आपके अंदर शांति की भावना आती है, जो आपके मानसिक तनाव को कम करता है। 
इस तरह साष्टांग नमस्कार सिर्फ पूजा करने का तरीका नहीं है, बल्कि असल में ये वो योग मुद्रा है, जो पूरे शरीर को सम्मिलित करती और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को फायदा पहुंचाती है। इसलिए इस साष्टांग मुद्रा को सूर्य नमस्कार आसन की अष्टांग मुद्रा के साथ जरूर करें।
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