ईयरफोन या हेडफोन? जानें आपके कानों के लिए क्या है सुरक्षित
गाने या आवाज को सुनने के लिए लोग ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इन दोनों में से कान के लिए क्या ज्यादा बेहतर है? फोन हो या लैपटॉप दोनों के लिए ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल किया जाता है। कई लोगों को यह कंंफ्यूजन होता है कि कानों की सेहत के लिए हेडफोन बेहतर है या ईयरफोन। तो चलिए जानते हैं दोनों में क्या फर्क होता है।
कानों के लिए ईयरफोन इस्तेमाल करें या हेडफोन?-
ईयरफोन को कान में डाला जाता है और इससे कान पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। ईयरफोन की आवाज कानों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। अगर आप लंबे समय के लिए ईयरफोन लगाने के बारे में सोच रहे हैं, तो सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर आप मीटिंग, लेक्चर या म्यूजिक के लिए लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करेंगे, तो कान डैमेज हो सकते हैं। इसलिए उस दौरान हेडफोन का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि हेडफोन का इस्तेमाल करते समय तेज आवाज से बचना चाहिए। हेडफोन की वॉल्यूम अधिकतम 60 प्रतिशत तक ही होनी चाहिए। अगर आपके डिवाइस में नॉइस कैंसिलेशन का ऑप्शन है, तो उसे इस्तेमाल करना चाहिए। ईयरफोन को इस्तेमाल करने के नुकसान
जब आप ईयरफोन को कान में डालते हैं, तो वह ईयर वैक्स को कान के अंदर गहराई तक धकेल देता है। इससे कान पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। ईयरफोन को कान के अंदर तक पहना जाता है। यह सीधे हमारे कान के ईयर कैनाल और ईयर ड्रम को प्रभावित कर सकता है। ईयरफोन कानों को पूरी तरह से बंद कर देता है। इस वजह से नमी लॉक हो जाती है और कानों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
ज्यादा वॉल्यूम बढ़ाने से कानों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। इसलिए चाहे ईयरफोन हो या हेडफोन आपको इनका सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए।
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