बवासीर को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं ये 3 जड़ी-बूटी, आज से ही करें इस्तेमाल
बवासीर एक खतरनाक बीमारी है। बवासीर या पाइल्स होने पर व्यक्ति को मल त्यागने में बहुत ज्यादा तकलीफ होती है। कई बार मल त्याग करते वक्त व्यक्ति के गूदा से खून भी निकल जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति के लिए उठना-बैठना और चलना-फिरना भी काफी मुश्किल हो जाता है। बवासीर होने पर गूदा के अंदरूनी और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन हो जाती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि व्यक्ति अपने खानपान का सही ध्यान रखे। अगर पाइल्स के मरीज की डाइट सही न हो और पानी भी कम मात्रा में पिएं, तो बीमारी और भी बढ़ सकती है। पाइल्स से छुटकारा पाने के लिए न सिर्फ डाइट का ध्यान रखा जाता है, बल्कि लाइफस्टाइल की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। अगर आप चाहते हैं कि इस समस्या से पूरी तरह मुक्ति मिले, तो आप आयुर्वेद अनुसार अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर सकते हैं। इनका सेवन कर अपनी समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम हो सकेंगे।
त्रिफला से मिलेगी राहत
"त्रिफला का उपयोग बवासीर में किया जा सकता है। त्रिफलता इतनी उपयोगी जड़ी-बूटियों में से एक है कि यह पाइल्स को स्थाई रूप से ठीक कर सकती है। त्रिफला में तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, अमलाकी, भिभीतकी और हरीतकी। त्रिफला के सेवन से कब्ज से राहत मिलती है और यह मल त्याग को भी आरामदायक बना देती है। यहां तक कि मल त्यागते समय अतिरिक्त दबाव बनाने की भी आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, इसे कितनी मात्रा में लेना है और कब इस्तेमाल करना चाहिए, इस संबंध में आपको विशेषज्ञ की सलाह लेनी होगी।"
गुग्गुल
गुग्गुल आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली सूजनरोधी जड़ी-बूटियों में से एक है। बवासीर में काफी ज्यादा सूजन हो जाती है, जो मल त्यागते वक्त तकलीफ देती है। बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए आप गुग्गुल का इसतेमाल कर सकते हैं।" एनसीबीआई में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, "गुग्गुलु को आयुर्वेद में सबसे उपयोगी जड़ी-बूटियों में से एक माना गया है। यह सूजन को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। यहां तक कि यह बाउल मूवमेंट में सुधार कर पाइल्स के रिस्क को कम करता है।" असल में, गुग्गुल शरीर से टॉक्सिंस को खत्म कर पाचन क्षमता में सुधार करता है। इससे ओवर ऑल हेल्थ पर भी बहुत अच्छा असर पड़ता है।
लाजवंती
लाजवंती को भी आयुर्वेद में काफी खास महत्व दिया गया है। बवासीर कई बार इतना खतरनाक हो जाता है, जिससे ब्लीडिंग तक होने लगती है। इसे मैनेज करना काफी मुश्किल होता है। हालांकि, लाजवंती को ब्लीडिंग पाइल्स के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, लाजवंती के पौधे में एल्कलॉइड मिमोसिन नाम का एक केमिकल होता है, जो दर्द से राहत दिलाने और सूजन को कम करेन में मदद कर सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही लाजवंती का उपयोग बवासीर के ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहता है। इसका उपयोग करने के लिए आप सबसे पहले लाजवंती की पत्तियों का पेस्ट बना लें और इसे प्रभावित हिस्से में लगाएं। धीरे-धीरे बवासीर की समस्या कम होने लगेगी।
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