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 कच्ची हल्दी या हल्दी की गांठ है ज्यादा स्वास्थ्यकारी, जानें हल्दी पाउडर की जगह क्यों करें इनका इस्तेमाल
 हल्दी हमारी रसोई के मसालों का एक अभिन्न हिस्सा है। बात चाहें खाने की करें या घरेलू नुस्खों की करें ये हर काम में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं बात अगर आयुर्वेद की करें, तो ऑयुर्वेद में हल्दी को कई औषधीय गुणों की भरमार माना जाता है। ये जहां छोटी मोटी चोटों को ठीक कर सकता है, वहीं हड्डियों के दर्द को भी कम कर सकता है। साथ ही इसके एंटीवायरल और एंटीबायोटिक गुणों से तो हम लोग वाकिफ हैं ही, जिसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते है। पर क्या आपको पता है कि बाजार से मिलना वाला हेल्दी पाउडर भी इन्हीं गुणों वाला है या नहीं?  
 हल्दी पाउडर  
बाजार में मिलने वाला हल्दी पाउडर जिस प्रोसेस के जरिए तैयार होता है, उसके बारे में हम सभी ज्यादा नहीं जानते हैं।  कई बार इन हल्दी पाउडर में मिलावटी रंग भी होते हैं, जो कि शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है। पहले घरों में ही हल्दी को कूट-छानकर तैयार किया जाता था। या फिर हल्दी की गांठ को पानी में भिगोकर उसे सिलबट्टे पर पीसा जाता था और फिर उसे सब्जी में डाला जाता था, पर अब ऐसा नहीं होता। जहां तक हल्दी तैयार करने की विधि के बारे में बात करें, तो ये सूखे हल्दी को छीलकर, उबालकर और सुखाकर बनाया जाता है, जिसे बाद बेचा जाता है। हल्दी सूखने की इस प्रक्रिया में अपने कुछ आवश्यक तेलों और गुणों को खो देती है, लेकिन फिर भी यह गर्मी और रंग प्रदान कर सकती है।  
 कच्ची हल्दी  
ताजा हल्दी अक्सर जड़ वाली हल्दी को कहा जाता है, जो कि अदरक के समान दिखते हैं। अदरक की तुलना में इनके ताजा जड़ सूखी हल्दी की तुलना में एक जीवंत स्वाद देते हैं। इस हल्दी का रंग नारंगी और भूरा जैसा लग सकता है। वहीं इसमें कड़वाहट थोड़ी ज्यादा होती है। अदरक की तरह, हल्दी को आप सूखा कर लंबे समय तक के लिए रख सकते हैं। फिर जब भी आपको जरूरत पड़े आप इसका पाउडर बना कर या इसे पीस कर इस्तेमाल कर सकते हैं।
 कच्ची हल्दी के फायदे  
1.कच्ची हल्दी में ज्यादा होती है करक्यूमिन
कच्छी हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा अधिक होती है। ये हल्दी किसी भी तरह की चोट के लिए एक आदर्श मरहम हो सकती है। करक्यूमिन, हल्दी का वो मेडिकल गुण है, जिसके कारण हल्दी करक्यूमिन को एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों से भरा माना जाता है, जो हीलिंग को बढ़ाता है। 
 2.हड्डियों के लिए ज्यादा फायदेमंद है कच्ची हल्दी
कच्ची हल्दी की तुलना में हल्दी पाउडर में कम एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इस तरह से कच्ची हल्दी हड्डियों में दर्द के लिए ज्यादा फायदेमंद है। वहीं ये ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटाइड आर्थराइटिस के उपचार के लिए भी जरूरी है। इस तरह कच्ची हल्दी घरेलू नुस्खों के लिए बेहतर है। वहीं गठिया के लोगों को कच्ची हल्दी को दूध में उबाल कर पीना चाहिए।
 3.त्वचा के लिए 
कच्ची हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट फाइन रेडिकल्स को रोकने में मदद कर सकते हैं, जो त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। कच्ची हल्दी का उपयोग त्वचा की बीमारियों को ठीक करने के सबसे पुराने और पारंपरिक तरीकों में से एक है। यह वायु प्रदूषण के कारण होने वाली त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए भी जाना जाता है।
 इस तरह कभी भी हल्दी के पाउडर की तुलना में कच्ची हल्दी का इस्तेमाल करें और उन्हें पीस कर इस्तेमाल करें। वहीं अगर आप पाउडर का उपयोग कर रहे हैं, तो खुले हुए पाउडर का इस्तेमाल न करें और देख कर इस्तेमाल करें। कोशिश ये रखें कि बाजार से कच्ची हल्दी खरीदें और उन्हें ही पीस कर इस्तेमाल करें।

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