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  'पलाश के फूलों ' में हैं कई औषधीय गुण .. ऐसे करें इस्तेमाल
 वसंत के मौसम में पलाश के फूल अपनी छटा जमकर बिखेरते हैं। पहले तो इन फूलों का इस्तेमाल होली खेलने के लिए रंग तैयार करने में भी किया जाता था । पलाश जिसे 'फ्लेम ऑफ द फॉरेस्टÓ भी कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार एक सफल और बेहद गुणकारी फूल है। मूल रूप से भारत में पाया जाने वाले पलाश के फूल औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाये जाते हैं।  आयुर्वेद के अनुसार, पलाश का फूल वात और कफ दोष को संतुलित करता है और शरीर को गर्म रखने में भी फायदेमंद माना जाता है।
 आयुर्वेद में पलाश के फूल का महत्व  
 आयुर्वेद के मुताबिक पलाश के फूलों का उपयोग औषधि के रूप में हजारों सालों से किया जाता है। पलाश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो तमाम समस्याओं में शरीर को फायदा देते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में व्यापक तौर पर किया जाता है। पलाश में फूलों में ग्लूकोसाइड, ब्यूट्रिन, आइसोब्यूट्रिन जैसे रासायनिक तत्व शामिल होते हैं। इनमें एंटीहेल्मिंटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल, एंटी-डायबिटिक, मूत्रवर्धक, एनाल्जेसिक, एंटीट्यूमर गुण भी पाए जाते हैं। आयुर्वेद में पलाश के फूलों का इस्तेमाल पेट की समस्याओं से लेकर सूजन आदि में किया जाता है। पलाश के फूलों से आयुर्वेदिक टॉनिक भी बनाई जाती है। पलाश के फूलों के अलावा इनके पत्ते, छाल और बीज का भी उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में होता है। पलाश के पत्तों का पाउडर ग्लूकोज़ के मेटाबोलिज्म को संतुलित रखने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इससे ब्लड शुगर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा पलाश के पत्तों का उपयोग एंटीसेप्टिक के रूप में भी किया जाता है। एंटिफंगल और रोगाणुरोधी गुणों से युक्त पलाश का काढ़ा पीने से प्राइवेट पाट्र्स के इन्फेक्शन और पेशाब से जुड़ी समस्याओं में भी फायदा मिलता है।
 पलाश के प्रमुख फायदे  
वैसे तो पलाश को आयुर्वेद में चमत्कारिक औषधि के रूप में जाना जाता है और इसके फूल, पत्तों, बीज और छाल का उपयोग तमाम औषधीय गुणों के कारण किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार,पलाश वात और पित्त को संतुलित करता है। यह आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक दवा के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। पलाश में प्रमुख रूप से माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, हाइपोग्लाइसेमिक, कसैले, और मूत्रवर्धक गुण होते हैं। पलाश के अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में।
 मोतियाबिंद में पलाश का उपयोग  
पलाश के फूलों का उपयोग मोतियाबिंद के इलाज के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में वैद्य इसका इस्तेमाल मोतियाबिंद के इलाज में करते हैं। पलाश के फूलों का रस और बीज के पेस्ट को मिलाकर आंखों में काजल की तरह से लगाने से मोतियाबिंद की समस्या में फायदा मिलता है।
 पेट के कीड़ों के लिए पलाश का उपयोग  
पलाश के फूलो का उपयोग पेट के कीड़ों को दूर करने के लिए किया जाता है। पलाश के फूलों में कीटाणुरोधी गुण होते हैं जो पेट के कीड़ों को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। इनका आयुर्वेदिक तरीके से सेवन पेट की अन्य समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है।  
 डायबिटीज में पलाश के फूलों का उपयोग  
डायबिटीज जैसी समस्या में भी पलाश के फूल बेहद लाभकारी माने जाते हैं। आयुर्वेद में डायबिटीज के लिए पलाश के फूलों के सेवन के कई तरीके बताये गए हैं। पलाश के फूलों में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता होती है जो डायबिटीज के रोगियों को इस बीमारी से लडऩे में मदद करता है।  
 मूत्र रोग में पलाश के फूलों का उपयोग  
पलाश के फूलों का उपयोग मूत्र संबंधी रोगों में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसे मूत्रवर्धक माना जाता है, पलाश के फूलों का रस पेशाब की वृद्धि, मूत्राशय की सूजन और अन्य मूत्र रोगों में फायदेमंद होता है।  
 एनीमिया की समस्या में पलाश का उपयोग 
पलाश के फूलों का आयुर्वेदिक तरीके से उपयोग बच्चों में एनीमिया की समस्या में बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों में एनीमिया होने पर पलाश के फूलों का उपयोग कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले पलाश के फूलों को एक सूती कपड़े में भिगोकर रखें। इसका रंग लाल हो जाने पर इसे बच्चे के शरीर पर लपेटें। आयुर्वेद के मुताबिक ऐसा करने से बच्चों में एनीमिया की समस्या में फायदा होता है।
 सूजन की समस्या में पलाश के फूलों का उपयोग  
पलाश के फूलों का सूजन जैसी समस्या में भी उपयोग किया जाता है। पलाश के फूलों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन, चोट और मोच की समस्या में फायदेमंद होते हैं। पलाश के फूलों को साफ कर इसे पीस कर पेस्ट बना लें, सूजन वाली जगह पर इसके पेस्ट को लगाने से सूजन कम हो जाएगी। आयुर्वेद में इस पेस्ट का इस्तेमाल मोच में भी किया जाता है। 
 गुर्दे की पथरी और दर्द में पलाश का उपयोग 
पलाश के फूलों का उपयोग गुर्दे की पथरी और दर्द में भी किया जाता है 
 इसके अलावा पलाश का इस्तेमाल कई अन्य तरीके से भी किया जाता है। पलाश के पत्तों का उपयोग फोड़े, फुंसी, त्वचा के अल्सर, सूजन, रक्तस्राव और बवासीर से छुटकारा दिलाता है। पलाश के फूल एंटीडायरियल, एंटी कैंसर, हेपाटो प्रोटेक्टिव, एंटी ऑक्सीडेटिव, एक्सपेक्टोरेंट, मूत्रवर्धक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी गोनोरियल, टॉनिक, कामोद्दीपक गुणों से युक्त होते हैं। इनका इस्तेमाल कई अन्य बीमारियों के उपचार के लिए आयुर्वेद में किया जाता है। पलाश के बीज, छाल, जड़ और गोंद भी कई तरीके से इस्तेमाल किये जाते हैं। इसका किसी भी प्रकार से घरेलू इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट या चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
 

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