मैदे से बनी चीजें ज्यादा खा रहे हैं, तो एक बार इसे जरूर पढ़ लें....
मैदा यानी रिफाइंड फ्लोर से बनी चीजों का इस्तेमाल हमारी रोजाना की जिंदगी में बढ़ता ही जा रहा है। हम रोजाना बर्गर, पिज्जा, ब्रेड, डोनट आदि कुछ न कुछ चीजों के रूप में मैदा खा ही लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं जितनी स्वादिष्ट यह चीजें खाने में लगती हैं यह हमारे शरीर के लिए उतनी ही हानिकारक होती हैं। यह हमारा वजन तो बढ़ाती ही हैं साथ में हमारे शरीर पर इन चीजों को खाने से बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसलिए यह रिफाइंड फ्लोर यानी मैदा हमारी सेहत के लिए एक जहर के समान है। हमें इसे कम से कम खाना चाहिए।
असल में मैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से फाइबर निकाल दिया जाता है, जोकि पाचन क्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इसके साथ साथ गेहूं से उसके सारे पोषण प्रोसेसिंग के दौरान निकल जाते हैं। इस प्रकार मैदे में मिनरल, विटामिन्स या किसी भी प्रकार का पोषण न होने के कारण उसे हेल्दी नहीं माना जाता है। बहुत से दुकानदार अपने मैदे को बेचने के लिए पैकेट पर लिख देते हैं एनरिच फ्लोर , लेकिन वह असल में कुछ नहीं होता है।
यदि मैदे का सेवन रोजाना किया जाए तो इससे फैटी लीवर व बैड कोलेस्ट्रॉल बढऩे जैसी समस्या हो सकती हैं। इसका लगातार सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, मूड स्विंग हो सकते हैं, बीपी बढ़ सकता है और लोग मोटापे की तरफ बढ़ सकते हैं। इसलिए मैदा का प्रयोग करना जितना हो सके उतना कम कर देना चाहिए। यदि आप नहीं जानते कि मैदा खाने से आपके शरीर में क्या क्या हानियां हो सकती हैं तो निम्न लिखित पॉइंट्स को जरूर पढ़ें।
1. मैदा से पाचन समस्याएं
मैदे को हमारे पेट की ग्लू कहा जाता है। आज के समय में बहुत सी चीजें मैदे से बनती हैं और यह सारा मैदा हमारी आंतों में चिपकता जाता है। रिफांइड फ्लोर में कोई फाइबर नहीं होता है और यह पाचन क्रिया को भी धीमा बनाता है, मेटाबॉलिज्म को धीमा करता है और वजन बढऩा, सिर दर्द होना व कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
2. रिफाइंड फ्लोर से एसिडिटी
जब मैदे की रिफाइनिंग प्रोसेस होती है तो उस दौरान इसके अंदर से सारा पोषण गायब हो जाता है और इसलिए यह एसिडिक बन जाता है। यदि आप एसिड से युक्त डाइट खाते हैं तो आपकी हड्डियों से कैल्शियम खत्म होना शुरू हो जाता है जिस कारण आपकी बोन डेंसिटी कम हो जाती है। यह क्रोनिक बीमारियों का, इन्फ्लेमेशन का व गठिया का मुख्य कारण भी बन सकता है।
3. मैदा से पोषण की कमी
मैदे की प्रोसेसिंग के दौरान उसमें से सारा फाइबर, सारे आवश्यक मिनरल व विटामिन्स निकल जाते हैं। इसके साथ साथ ब्लीचिंग क्रिया भी की जाती है जिस कारण मैदे को सफेद रंग मिलता है। हालांकि यह सेहत के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं है लेकिन चूंकि इसमें आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते हैं वह आपके लिए ज्यादा अच्छे नहीं होते।
4. ब्लड शुगर बढऩे की सम्भावना
मैदे में एलोक्सेन होता है जो आपके शरीर के लिए बढिय़ा नहीं होता। यह पैंक्रियाज की बीटा सेल्स को नष्ट करता है और आपके शरीर के लिए टॉक्सिक भी होता है। इसका सेवन रोजाना करने से आप डायबिटीज जैसी बीमारी से भी ग्रस्त हो सकते हैं। स्वयं को पूरी तरह स्वस्थ रखने के लिए आप मैदे को खाना बिल्कुल ही छोड़ दें और इसकी बजाय गेहूं, ज्वार या बाजरे का सेवन करें।
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