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 पाचन के लिए बेहतर एवोकाडो
नाशपाती के समान दिखनेवाले रूचिरा या एवोकाडो के बारे में लोगों को भ्रम है कि यह सब्जी की प्रजाति का है। लेकिन सच्चाई यह नहीं है। एवोकाडो फल की श्रेणी में ही आता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी फायदेमंद है। इस फल में प्रोटीन, रेशे, नियासिन, थाइमिन, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड और जिंक जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। 
एवोकाडो में काफी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है, जो हृदय के रोगों से हमें बचाती है। इसमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा बिल्कुल नहीं पाई जाती। आजकल युवाओं में अपने वजन को लेकर बहुत चिन्ता रहती है। इसके लिए एन एप्पलस ए डे...वाली कहावत को बदल देना चाहिए। इसकी बजाय एवोकाडो ए डे...कर दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।  इसमें पाई जाने वाली कैलोरी की अत्यधिक मात्रा बढ़ते बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन कैलोरी की मात्रा इसके अलग-अलग किस्मों में अलग-अलग मात्रा में होती है। जैसे कि फ्लोरिडा में पाए जाने वाले एवोकाडो में उसके गूदे का आधे से अधिक भाग कैलोरीयुक्त होता है, वहीं कैलीफोर्निया में पाए जाने वाले एवोकाडो में यह दो-तिहाई ही पाया जाता है। 
पाचन के लिए बेहतर
ऐसा कहा जाता है कि एवोकाडो पेट की आंतों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इसलिए ये पाचन को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र की मदद करते हैं। इसके अलावा गैस्ट्रिक और पाचन के रस को उत्तेजित करते हैं। ताकि पोषक तत्वों को सबसे कुशल और तेज तरीके से अवशोषित किया जा सके। कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं के लक्षण भी ये कम करते हैं। 
लिवर के लिए
एवोकाडो को लिवर क्षति को कम करने में बहुत अच्छा पाया गया है। इशमें कुछ आर्गेनिक यौगिक होते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। 
दृष्टि बढ़ाने में सहायक
एवोकाडो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें लुटेइन और जैकैक्टीन जैसे कैरोटीनॉइड होते हैं, जो मोतियाबिंद, उम्र से संबंधित आंखों के रोगों को दूर करने में सहायक होते हैं।  
इसके अलावा एवोकाडो गठिया रोगों में भी फायदेमंद हैं।  एवोकाडो  का इस्तेमाल गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। 
 जैसे ही एवोकाडो को तोड़ते हैं वह पकने लगता है। जब वह पकने के क्रम में होता है तो उसका बाहरी हिस्सा कुछ सख्त जरूर होता है, लेकिन वह पूरी तरह से कड़ा नहीं होता। अगर आप कुछ कच्चे एवोकाडो खरीदें तो उसे कमरे में ही तीन-चार दिनों के लिए छोड़ दें जब तक उसका ऊपरी हिस्सा मुलायम न हो जाए। अगर उसे जल्दी खाना है तो उसे पेपर में लपेटकर दो-तीन दिनों के लिए कमरे में ही रखें। वह पक जाता है। 

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