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 इस तरह से पकाएंगे चावल , तो निकल जाएंगे आर्सेनिक सहित सभी हानिकारक तत्व....
 चावल खाने और पकाने के हेल्दी तरीके को लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है। खास कर डायबिटीज, मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए हमेशा से ही ये स्वास्थ्य से जुड़ा बड़ा मुद्दा रहा है। शोधकर्ता और विशेषज्ञ हमेशा से इस खोज में लगे हुए हैं कि चावल खाने और पकाने का कौन सा तरीका सबसे ज्यादा सेहतमंद है। हाल ही में आया शोध चावल पकाने के एक स्वस्थ तरीके के बारे में बताता है।  'साइंस ऑफ द टोटल इनवारमेनट  ' में प्रकाशित इस शोध की मानें, तो  सफेद चावल और ब्राउन राइस में आर्सेनिक  जैसे हानिकारक तत्वों की एक बड़ी मात्रा पाई जाती है। इस आर्सेनिक तत्व को बाहर निकालने का एक हेल्दी तरीका ये है कि हम चावल पकाने के लिए 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड'  अपनाएं ।
  साइंस ऑफ द टोटल इनवारमेनट   में प्रकाशित इस रिसर्च में चावल पकाने के एक हेल्दी तरीके के बारे में बताया गया है। चावल पकाने के इस तरीके को 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड'  कहते हैं। शोध में बताया गया है चावल पकाने के इस तरीको को अगर आप अपनाएं, तो ब्राउन राइस  से 50 प्रतिशत तक आर्सेनिक को बाहर निकाल सकते हैं। इसी तरह आप सफेद चावल से 74 प्रतिशत तक आर्सेनिक निकाल सकते हैं। 
 चावल का आर्सेनिक शरीर के लिए कैसे नुकसानदेह है?
चावल को अन्य अनाजों की तुलना में लगभग दस गुना अधिक आर्सेनिक जमा करने के लिए जाना जाता है। चावल के दाने में आर्सेनिक एंडोस्पर्म के आसपास की बाहरी परत पर जमा होते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप रेगुलर ढंग से चावल बनाते हैं, तो ब्राउन राइस हो या सफेद चावल, दोनों में आर्सेनिक रह ही जाता है । हालांकि मिलिंग प्रक्रिया सफेद चावल से आर्सेनिक को हटा देती है लेकिन 75-90 प्रतिशत पोषक तत्वों को भी हटा देती है। ध्यान देने वाली बात ये है आर्सेनिक को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा ग्रुप 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये पानी में घुलनशील है इसलिए यह चावल में जमा हो जाता और खाने के बाद शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए इसका संपर्क शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है और इन तमाम अंगों से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है। जैसे कि
 - त्वचा से जुड़ी परेशानियां, कैंसर, डायबिटीज , फेफड़ों का रोग।
 कैसे पकाएं चावल?
शेफील्ड विश्वविद्यालय द्वारा चावल पकाने के लिए इस मेथड को खोजने के दौरान चावल से आर्सेनिक सामग्री को कम करने के लिए अलग-अलग तरीकों का परीक्षण किया गया। इस दौरान इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल फूड से टीम ने पाया कि चावल पकाने के घरेलू तरीके के उपयोग से चावल का न्यूट्रिशन भी चला जाता है। इसलिए अच्छा ये है कि चावल पकाने के लिए प्री बॉइलिंग अपनाया जाए और चावल बनाने से पांच मिनट पहले आर्सेनिक हटाने के लिए इसे उबाला जाए। इसके बाद फिर से पानी डालकर धीमी आंच पर चावल पकाया जाए।
 क्यों खास है 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड' 
चावल पकाने का 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड' खास इसलिए है क्योंकि 
 -इसमें आप बस 5 मिनट तक चावल को उबालकर हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल सकते हैं।
-इस विधि से जब आप चावल पकाएंगे, तो आप चावल के ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स को बचा कर रख पाएंगे, जो कि आपके नॉर्मल चावल बनाने के तरीके में नहीं हो पाता है।
-इस विधि से चावल पकाने से चावल के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स इसमें बने रहेंगे।
-ये आसान है और कम समय लेता है।
 इस विधि से चावल पकाने का सबसे ज्यादा लाभ बच्चों, डायबिटीज और मोटापे से पीडि़त लोगों को मिलेगा। ऐसा इसलिए कि आर्सेनिक का उच्च स्तर छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही इस विधि से चावल में स्टार्च की मात्रा कम हो जाएगी, जो कि डायबिटीज और मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए अनहेल्दी माना जाता है। तो भले ही आप ब्राउन राइस या सफेद चावल ही क्यों न खा रहे हों, आपको चावल पकाने के इस आसान से विधि  का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
 

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