आयुर्वेद के अनुसार किस खाने में कैसा तड़का लगाएं.....
हर घर में खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए छौंका या तड़का लगाया जाता है। अपने स्वाद के अनुसार इसमें सामग्री इस्तेमाल की जाती है। बिना छौंका लगाए सब्जी या दाल में वो स्वाद नहीं आता है, जिसे भारतीय जीभ स्वाद लेकर खा पाए। लेकिन क्या खाने में छौंका सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए लगाया जाता है? जवाब है नहीं। भारतीय खानपान प्राचीन समय से ही ऐसा रहा है, जिसमें आयुर्वेदिक नियमो को बड़ी प्राथमिकता दी गई है। इसलिए खाने में छौंका या तड़का लगाने के पीछे भी ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ हैं।
दरअसल भारतीय खाने में तड़का लगाने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, वो सभी आयुर्वेदिक हब्र्स और मसाल हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अलग-अलग मसालों से तड़का लगाने के अलग-अलग फायदे मिलते हैं।
खाने में तड़का लगाने का आयुर्वेदिक रहस्य
खाने में तड़का लगाने के पीछे आयुर्वेद में बताए गए नियमों का विशेष महत्व है। जैसे गरिष्ठ भोजन को पचाने के लिए अलग तरह का तड़का लगाया जाता है, तो सौम्य भोजन को पौष्टिक बनाने के लिए अलग तरह का तड़का लगाया जाता है। ये तड़का उस दाल या सब्जी के खाने से शरीर में होने वाले विकास को बैलेंस कर देता है, जिससे शरीर भी स्वस्थ रहता है और आप अलग-अलग तरह के भोजन का आनंद भी ले पाते हैं।
बेसन की कढ़ी - बेसन या चने की दाल की कढ़ी बनाते समय इसमें हींग, मेथी और कड़ी पत्ते का तड़का लगाना चाहिए। दरअसल बेसन या चने की दाल को पचाने में पेट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। हींग और मेथी के दाने इस काम में पेट की मदद करते हैं और कढ़ी का स्वाद भी बढ़ाते हैं।
अरबी (कोचई) की सब्जी- अरबी की सब्जी बनाते समय इसमें आवश्यक रूप से अजवाइन का तड़का लगाना चाहिए। इसका कारण है कि अरबीकी सब्जी से पेट में गर्मी और गैस बढ़ती है, जिसे रोकने के लिए अजवाइन बहुत फायदेमंद होती है।
कद्दू- इसी तरह कद्दू या कुम्हड़े की सब्जी में मेथी का छौंक लगाया जाता है, ताकि इसकी गरिष्ठता कम हो सके।
चने की दाल- चने की दाल में जीरा, तेजपत्ता और दाल चीनी का तड़का लगाना अच्छा रहता है। चने की दाल भी पचाने में थोड़ी हार्ड होती है। इसके अलावा चने की दाल खाने से कई बार पेट में गैस बनने, पेट फूलने और दूसरी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गांवों में लोग चने की दाल के साथ लौकी को मिलाकर भी बनाते हैं। लौकी सुपाच्य होती है, इसलिए दाल को बचाने में मदद करती है। दाल बनाते समय तेजपत्ता, दालचीनी और जीरा तीनों ही इसे पचाने में आपके पेट की सहायता करते हैं।
कटहल की सब्जी-कटहल की सब्जी में अदरक, लहसुन, हींग और जीरा का तड़का लगाना चाहिए। कटहल भी एक गरिष्ठ सब्जी है, जिसे पचाने के लिए पेट को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। लहसुन, हींग और जीरा पेट की पाचन क्षमता को बढ़ाकर पेट का काम आसान कर देते हैं।
अरहर की दाल-अरहर की दाल बनाने में देसी घी, लहसुन और जीरे का तड़का लगाना चाहिए। इसका कारण यह है कि अरहर की दाल को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना गया है। ये पेट में जाकर गर्मी न करे इसलिए इसके तड़के में घी और जीरा का बड़ा महत्व है। ये तड़का दाल का स्वाद भी बढ़ा देता है।
इसी तरह अन्य भारतीय व्यंजनों में हल्दी, धनिया, मिर्च, प्याज, लहसुन, अदरक, हींग और जीरा का तड़का जरूर लगाया जाता है। ये सभी मसाले आयुर्वेद में विशेष फायदेमंद बताए गए हैं। इन मसालों में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर की रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाते हैं।
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