पौष्टिता से भरपूर है तुरई....कई बीमारियों से राहत भी दिलाती है
सेहतमंद रहने के लिए हमेशा से ही हरी सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। यह शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचाकर स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करती हैं। ऐसी ही एक हरी सब्जी है तुरई। कई लोग इसे खाना पसंद नहीं करते, लेकिन यह पौष्टिता से भरपूर है।
1. एंटी-इंफ्लामेटरी
एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव तुरई के सूखे पत्तों के इथेनॉल अर्क में पाया जाता है। इस प्रभाव को एडिमा (शरीर के ऊतकों में तरल जमने की वजह से सूजन) और ग्रेन्युलोमा (इंफ्लामेशन) प्रभावित व्यक्तियों पर जांचा गया। शोध में पाया गया कि इथेनॉल अर्क एडिमा को कम करने में मदद कर सकता है। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि तुरई एंटी-इंफ्लामेटरी की तरह भी कार्य कर सकती है । माना जाता है कि तुरई के अर्क में पाया जाने वाला एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स जैसे फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और टरपेनोइड्स की वजह से होता है।
2. सिरदर्द के लिए तुरई के फायदे
एक शोध के मुताबिक तुरई के पत्ते और इसके बीज के एथनॉलिक अर्क सिर दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार इसमें एनाल्जेसिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यह दोनों गुण दर्द को कम करने और राहत दिलाने के लिए जाने जाते हैं।
3. एंटी-अल्सर
तुरई को पेट के अल्सर यानी ग्रेस्ट्रिक अल्सर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें मौजूद गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव कुछ हद तक अल्सर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव सूखे तुरई के गूदे के अर्क के मेथोनॉलिक और पानी के अर्क में पाया जाता है।
4. डायबिटीज के लिए तुरई के फायदे
तुरई को पुराने समय से ही डायबिटीज को नियंत्रित करने वाली सब्जी के रूप में जाना जाता है। एक अध्ययन के अनुसार तुरई के एथनॉलिक अर्क में ग्लूकोज के स्तर को कम करने वाला हाइपोग्लाइमिक प्रभाव पाया जाता है। इसी प्रभाव की वजह से तुरई को डायबिटीज नियंत्रित करने के लिए लाभकारी माना जाता है।
5. पेचिश में तुरई के फायदे
पेचिश को रोकने में भी तुरई को लाभदायक माना गया है। साथ ही इसके पत्तों को भी पेचिश के लिए लाभकारी माना जाता है । दरअसल, दस्त का गंभीर रूप पेचिश होने की वजह पैरासाइट और बैक्टीरियल इन्फेक्शन होती है। वहीं, तुरई में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण ग्राम नेगेटिव बैक्टिरिया को कुछ हद तक पनपने से रोकने में मदद कर सकता है। इ
6. पीलिया में तुरई के फायदे
पीलिया से बचाव के लिए भी तुरई को इस्तेमाल में लाया जाता है। दरअसल, इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो लिवर को क्षति से बचाता है। यही गुण शरीर में बढ़े हुए सिरम बिलीरुबिन को कम करने का काम करता है, जिसके कारण पीलिया होता है।
7. दाद में तुरई के फायदे
रिंगवॉर्म (दाद) में भी तुरई को लाभदायक माना जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर, दाद प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलने की बात कही जाती है।
8. अस्थमा के लिए तुरई के फायदे
अगर किसी व्यक्ति को अस्थमा या सांस संबंधी समस्या है, तो वह तुरई का सेवन कर सकते हैं। इससे उन्हें आराम मिलेगा।
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