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 रेलवे के निजीकरण से रेल मंत्री का इंकार, बुलेट ट्रेन परियोजना का किया बचाव

 नयी दिल्ली,। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है। साथ ही उन्होंने बुलेट ट्रेन को लेकर कुछ विपक्षी दलों की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि ‘‘हमें युवा एवं भावी पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करने से इंकार नहीं करना चाहिए।'' रेल मंत्रालय के कामकाज को लेकर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पीयूष गोयल ने भी रेलवे के निजीकरण से कई बार इंकार करते हुए कहा था कि रेलवे का ढांचा जटिल है और इसका निजीकरण नहीं होगा। वैष्णव ने कहा कि अब वह भी इस बात को सदन में दोहरा रहे हैं कि इसका निजीकरण नहीं होगा।

गौरतलब है कि इस विषय पर चर्चा के दौरान कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर रेलवे के ‘निजीकरण' की ओर कदम बढ़ाने और इसके कारण रेलवे में आरक्षण समाप्त करने का आरोप लगाया था। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे को देश की आकांक्षा को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 3.5 लाख करोड़ रूपये का राजस्व एवं तीन लाख करोड़ रूपये के निवेश की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश, उसके नागरिकों एवं भावी पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अगले दस साल में 1,000 करोड़ यात्रियों को प्रति वर्ष लाना-ले जाना पड़ेगा जिनकी वर्तमान संख्या अभी 800 करोड़ है। साथ ही मालवहन क्षमता को 140 करोड़ टन से बढ़ाकर 300 करोड़ टन करना पड़ेगा। रेल मंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी यदि सुविधाओं के साथ रेल यात्रा की आकांक्षा रखती हो तो हमें उनको एवं देश की भावी पीढ़ी को इस आकांक्षा से वंचित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने रेलवे को नयी दिशा दी। बहुत बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है।''
रेल मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि रेलवे की विकास योजनाओं में उन्हें प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश के संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं और उन्हें संविधान ने यह मार्गदर्शन देने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में देश ने देखा है कि किस प्रकार सरकार के मंत्री अपनी योजनाओं एवं मार्गदर्शन के लिए किसी ऐसे व्यक्ति के पास जाते थे जो संवैधानिक पद पर नहीं थे। वैष्णव ने सदस्यों को आश्वासन दिलाया कि किसी क्षेत्र या राज्य के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि विकास के काम में सभी के सहयोग एवं प्रयास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के शासनकाल में केवल विजन ही नहीं दिया गया बल्कि जमीन पर काम भी हुआ है। उन्होंने कहा कि 2009 से 20114 के बीच आमान परिवर्तन सहित नयी पटरियों के निर्माण की गति प्रति वर्ष 1520 किलोमीटर रही जो अब बढ़कर 2531 प्रति वर्ष हो गयी है और इस साल का लक्ष्य 3,000 किमी कर दिया गया है। वैष्णव ने कहा कि विद्युतीकरण के मामले में सरकार ने रणनीतिक निर्णय किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया कि हमें रेलवे में डीजल से हटकर बिजली की ओर जाना है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य पर सरकार ने काम किया जिसके परिणाम आज देखे जा सकते हैं। रेलवे में विद्युतीकरण के आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि 2009 से 2014 के बीच जहां प्रति वर्ष मात्र 608 किलोमीटर विद्युतीकरण होता था वहीं 2014 से 2019 के बीच यह बढ़कर 3,044 किमी प्रति वर्ष हो गया। उन्होंने कहा कि विद्युतीकरण के मामले में सरकार अगले तीस-चालीस वर्ष के लक्ष्य के साथ काम कर रही है।

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