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स्कूली शिक्षा पर गुजरात मॉडल आधारित ‘विद्या समीक्षा केंद्र' की व्यवस्था राज्यों में होगी लागू


नयी दिल्ली | सरकार स्कूलों में छात्रों के दाखिले, सीखने के स्तर, ‘ड्रापआउट', पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति, संसाधनों के इष्टतम उपयोग आदि पर नजर रखने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक तंत्र स्थापित करेगी। गुजरात मॉडल पर आधारित ‘‘विद्या समीक्षा केंद्र'' नामक इस केंद्रीय प्रणाली को देश के विभिन्न राज्यों में लागू किया जायेगा। शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘जून में गुजरात के गांधीनगर में आयोजित राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में इस विषय (विद्या समीक्षा केंद्र) पर विचार किया गया था। ऐसी व्यवस्था तैयार करने को लेकर सहमति बन गई है।'' मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) का मकसद आंकड़ों एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये पठन-पाठन के स्तर में सुधार लाना है। जानकारी के अनुसार इसमें प्रभावी ढंग से आंकड़े एकत्र करने के साथ उनकी निगरानी, मूल्यांकन एवं परस्परता पर ध्यान दिया जायेगा ताकि योजनाओं को लागू करने की दिशा में समय पर कदम उठाये जा सकें। इस तंत्र में शिक्षा पर एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई), छात्र एवं शिक्षक डाटाबेस, राष्ट्रीय उपलब्ध सर्वेक्षण, निपुण भारत, दीक्षा आदि के आंकड़ों का साझा उपयोग छात्रों की बेहतरी के लिये किया जायेगा। अधिकारी ने बताया, ‘‘इस प्रणाली के जरिये आंकड़ों के व्यापक विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली पर नजर रखी जायेगी तथा छात्रों के पठन-पाठन के स्तर में सुधार किया जायेगा।'' उन्होंने बताया, ‘‘राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को प्रदेश स्तर पर एक केंद्रीय प्रणाली (विद्या समीक्षा केंद्र) स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। इससे एक मंच पर छात्रों के दाखिले, सीखने के स्तर, ड्रापआउट छात्रों को मुख्यधारा में लाने, पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति, शिक्षक एवं छात्रों को सहयोग, संसाधनों के इष्टतम उपयोग आदि पर नजर रखी जा सकेगी।'' गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल में एक कार्यक्रम में कहा था कि गुजरात का विद्या समीक्षा केंद्र पूरे देश को दिशा दिखाने वाला केंद्र बन गया है और इस केंद्र की वजह से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 26 प्रतिशत बढ़ गई है। उन्होंने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में ये केंद्र पूरे देश में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं और इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। वहीं, अधिकारी ने बताया कि राज्यों को इस योजना को लागू करने के लिये स्कूलों की संख्या के आधार पर वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 29 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र में कुल 14 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा। योजना के मसौदे के अनुसार, देश के विभिन्न राज्यों को चार मॉडलों में विभाजित किया गया है। प्रथम मॉडल के तहत पांच राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दमन दीव एवं दादरा नगर हवेली, लक्षद्वीप तथा पुडुचेरी को रखा गया है और इन्हें कुल दो करोड़ रुपये का अनुदान प्रस्तावित है। दूसरे मॉडल में आठ राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अरूणाचल प्रदेश, गोवा, लद्दाख, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा को रखा गया है और इन्हें कुल तीन करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा। तीसरे मॉडल में छह राज्य/संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, मेघालय, पंजाब, उत्तराखंड को रखा गया है और इन्हें कुल चार करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा। चौथे मॉडल में 10 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को रखा गया है और इन्हें कुल पांच करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान ‘स्टार्स' परियोजना से जुड़े हैं, इसलिये इन्हें वीएसके से नहीं जोड़ा जा रहा है। गुजरात में पहले से ही यह व्यवस्था है, इसलिये उसे वित्तीय सहायता नहीं दी जायेगी।

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