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भारत-चीन ने कूटनीतिक वार्ता की, एलएसी पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई

 नयी दिल्ली. भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले दो स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद एक अहम वार्ता तंत्र के तहत बृहस्पतिवार को अपनी पहली कूटनीतिक बातचीत में सीमा विवाद से मिले सबक पर विचार किया ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की नयी दिल्ली में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की। दोनों पक्षों ने सीमा मामले पर विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक की भी तैयारी की।

 
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सैनिकों को पीछे हटाने के हालिया समझौते के कार्यान्वयन की सकारात्मक रूप से पुष्टि की, जिसने 2020 में उभरे मुद्दों का समाधान पूरा किया। उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की अगली बैठक की भी तैयारी की।'' भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। यह गतिरोध कुछ सप्ताह पहले देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था। पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डब्ल्यूएमसीसी की यह पहली वार्ता थी। विशेष प्रतिनिधि (एसआर) तंत्र के तहत वार्ता बहाल करने का निर्णय 21 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था। वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने डब्ल्यूएमसीसी वार्ता पर कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की और 2020 की घटनाओं से मिले सबक पर विचार-विमर्श किया, ताकि उनकी पुनरावृत्ति को रोका जा सके।'' विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, उन्होंने स्थापित तंत्रों के माध्यम से राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला।'' विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने दोनों सरकारों के बीच प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और सहमति के अनुसार प्रभावी सीमा प्रबंधन और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।'' वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया। चीनी दल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया। हांग ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से भी मुलाकात की।

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