इसरो के पीएसएलवी ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के दो उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया
श्रीहरिकोटा, (आंध्र प्रदेश) .भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बृहस्पतिवार को पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। यह अपनी तरह की पहली पहल है जिसमें दो उपग्रहों को सटीकता से प्रक्षेपित किया गया। इसरो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मिशन सफल रहा। पीएसएलवी-सी59-प्रोबा-3 मिशन ने अपने प्रक्षेपण उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया है, तथा ईएसए उपग्रहों को सटीकता के साथ उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया है। यह पीएसएलवी के भरोसेमंद प्रदर्शन, एनएसआईएल और इसरो के सहयोग और ईएसए के अभिनव लक्ष्यों का प्रमाण है।'' प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि उड़ान के लगभग 18 मिनट बाद दोनों उपग्रहों को ‘सही कक्षा' में स्थापित कर दिया गया। प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनोमी) में दो उपग्रह हैं, जिनमें दो अंतरिक्ष यान ने एक साथ उड़ान भरी। इसरो के लिए, यह प्रक्षेपण अपने पहले मिशन- आदित्य-एल 1 के बाद सूर्य पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिसे सितंबर 2023 में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि प्रोबा-3 के साथ, मिशन ‘‘मांग पर सूर्य ग्रहण'' बनाने में सक्षम होगा। बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4.04 बजे होने वाले इस प्रक्षेपण को 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि प्रक्षेपण से कुछ मिनट पहले उपग्रह प्रणोदन प्रणाली में एक ‘‘विसंगति'' पाई गई थी। इसरो को बधाई देते हुए ईएसए के महानिदेशक जोसेफ एशबैकर ने कहा, ‘‘प्रोबा 3 को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो को धन्यवाद। प्रोबा-3 में दो अंतरिक्ष यान शामिल हैं, जिन्हें एक साथ प्रक्षेपित किया गया है, जो एक बार सुरक्षित रूप से कक्षा में पहुंचने के बाद, साथ-साथ सटीक उड़ान भरने के लिए अलग हो जाएंगे।'' उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘अलग होने के ठीक बाद, ऑस्ट्रेलिया में यथाराग्गा स्टेशन ने अंतरिक्ष यान के संकेत प्राप्त करना शुरू कर दिया। संदेश बेल्जियम में ईएसए के मिशन नियंत्रण केंद्र में आ रहे हैं। जाओ प्रोबा, जाओ।'' सोमनाथ ने कहा, ‘‘उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया गया है, जो कि लगभग 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित बेहद ऊंची अण्डाकार कक्षा है। यह पृथ्वी का सबसे निकटतम बिंदु है, तथा 60,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित सबसे दूरस्थ कक्षा है, जिसका झुकाव 59 डिग्री है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह (मिशन) 61वें मिशन (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) में सटीक रूप से हासिल किया गया है। इसलिए, समूची पीएसएलवी परियोजना टीम के साथ-साथ प्रोबा-3 टीम को बधाई। हम प्रोबा-3 टीम को उनके आगे के संचालन और मिशन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं देते हैं।'' इसरो ने सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘पीएसएलवी-सी59-प्रोबा-3 मिशन एनएसआईएल, इसरो और ईएसए टीम के समर्पण को दर्शाता है। यह उपलब्धि वैश्विक अंतरिक्ष नवाचार को सक्षम करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। हम अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग जारी रखेंगे।'' भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को ईएसए से प्रक्षेपण का ऑर्डर मिला है। एनएसआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी. राधाकृष्णन ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी को ‘सुंदर प्रक्षेपण' देने के लिए इसरो की टीम को बधाई दी और कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं कि यह पहली बार है कि पीएसएलवी इतनी दीर्घवृत्ताकार कक्षा (लगभग 60,000 किमी) में गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पीएसएलवी मिशन को जीटीओ (भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा) या सब-जीटीओ तक जाते देखा है, लेकिन ईएसए के लिए 60,000 किलोमीटर की कक्षा तक पहुंचना वास्तव में विशेष है। जैसा कि आपने सुना है, प्रोबा-3 उपग्रह एक एकल तंत्र है जिसमें दो अंतरिक्ष यान हैं जो आने वाले महीनों में अलग हो जाएंगे।'' राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘प्रोबा-3 मिशन आने वाले महीनों में सटीक उड़ान भरेगा और यह सौर कोरोनाग्राफी का एक बहुत ही दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग भी करेगा।'' मिशन का उद्देश्य सटीक उड़ान का प्रदर्शन करना है और उपग्रहों के अंदर मौजूद दो अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ (310 किग्रा) और ऑकुल्टर (240 किग्रा) को वांछित कक्षा स्तर पर पहुंचाने के बाद आगामी दिनों में एक साथ ‘स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन' में लाया जाएगा। बृहस्पतिवार को सुबह लगभग 8.05 बजे शुरू हुई संशोधित उल्टी गिनती के अंत में 44.5 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी59 रॉकेट अपनी 61वीं उड़ान पर तथा पीएस एलवी-एक्सएल संस्करण के साथ 26वीं उड़ान पर यहां अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वनिर्धारित समय 4.04 बजे प्रक्षेपित हुआ। रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक अलग कर दिया, जिन्हें बाद में बेल्जियम में मौजूद ईएसए के वैज्ञानिकों द्वारा वांछित कक्षा में स्थापित किया गया। योजना के अनुसार उपग्रह पृथ्वी की उच्च दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पहुंच गए और एक साथ 150 मीटर की दूरी पर (एक बड़े उपग्रह ढांचे के रूप में) उड़ान भरने लगे, ताकि ‘ऑकुल्टर' अंतरिक्ष यान सूर्य की सौर डिस्क को अवरुद्ध कर दे, जिससे ‘कोरोनाग्राफ' को वैज्ञानिक अवलोकन के लिए सूर्य के कोरोना या आसपास के वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिले। ईएसए ने कहा कि कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय वातावरण की उत्पत्ति होती है। यह व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है। सूर्य की सौर डिस्क को अवरुद्ध करने का पैटर्न सूर्य ग्रहण के दौरान होता है और वह भी कुछ मिनटों के लिए। हालांकि, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, प्रोबा-3 के साथ, मिशन ‘‘मांग पर सूर्यग्रहण'' बनाने में सक्षम होगा। आदित्य-एल1 मिशन का जिक्र करते हुए सोमनाथ ने कहा, ‘‘आप सभी जानते हैं कि हमारे पास एक सौर मिशन, आदित्य-एल1 मिशन है, जो उपग्रह के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह आने वाले दिनों में शानदार परिणाम देगा।'' प्रोबा-3 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे ‘जनरल सपोर्ट टेक्नोलॉजी प्रोग्राम' के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है। उपग्रहों पर लगे उपकरण एक बार में छह घंटे तक सौर परिधि के करीब यात्रा करेंगे और प्रत्येक अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चारों ओर लगभग 19 घंटे की परिक्रमा करेगा। परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग का कार्यभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए टीम इसरो को बधाई। टीम इसरो लगातार एक के बाद एक सफलताएं हासिल करने में सक्षम है। प्रोबा-3 दुनिया का पहला सटीक उड़ान मिशन है।''
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