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 पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली

 काठमांडू | नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा शपथ दिलाई गई। यह कदम प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद उठाया गया है, जिन्होंने युवाओं के नेतृत्व में चल रहे बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के कारण पद छोड़ा।   शपथ ग्रहण समारोह आज शाम 8:45 बजे स्थानीय समय पर राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित हुआ।  प्रमुख राजनीतिक दलों और विरोध प्रदर्शन करने वाले समूहों के बीच बनी आम सहमति के बाद नेपाली राष्ट्रपति कार्यालय ने शुक्रवार को उनके नाम का ऐलान किया। इसके बाद कार्की ने शुक्रवार रात को ही पद की पद की शपथ ली। 

नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की  इससे पहले जुलाई 2016 में तब सुर्खियों में आईं जब वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं थीं। बता दें कि सुशीला कार्की का चयन जन-जेड आंदोलन के युवाओं ने किया, जिन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिराया था। उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड पर हुई वोटिंग में सबसे अधिक समर्थन मिला।कार्की का चयन नेपाल की राजनीति में सहमति का दुर्लभ क्षण माना जा रहा है। उन्हें न केवल युवाओं का बल्कि परंपरागत राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। उनका लक्ष्य व्यवस्था बहाल करना, चुनाव कराना और नेपाल के विकास को गति देना है। उन्हें न्यायपालिका में स्वतंत्रता बनाए रखने और ईमानदारी के लिए जाना जाता है। सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर के शंकरपुर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1979 से वकालत शुरू करने के बाद उन्होंने कोशी जोनल बार एसोसिएशन और बिराटनगर अपीलीय बार की अध्यक्षता की। 2009 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2016 में वह पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े भ्रष्टाचार मामलों पर सख्त फैसले सुनाए।हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नेपाली कांग्रेस कोटे से लाया गया था, लेकिन उनके सहयोगियों का कहना है कि उन्होंने हमेशा स्वतंत्रता बनाए रखी और कभी राजनीतिक दबाव में नहीं आईं। 2017 में उनके खिलाफ तत्कालीन शेरबहादुर देउबा सरकार द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई माना गया क्योंकि वह उस समय पुलिस प्रमुख की नियुक्ति पर फैसला देने वाली थीं। कार्की को साहसी और ईमानदार नेता माना जाता है। उनका जीवन सादा और गांधीवादी है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज आनंद मोहन भट्टाराय ने कहा कि कार्की और उनके पति दुर्गा सुबेदी ने नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलन में अहम योगदान दिया है। दुर्गा सुबेदी कांग्रेस नेता हैं और 1973 में हुए एक विमान अपहरण में शामिल रहे थे, जिसे पंचायती शासन विरोधी आंदोलन को सहयोग देने के लिए किया गया था।वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता बिपिन अधिकारी का कहना है कि सुशीला कार्की हमेशा से ईमानदार रही हैं और अब उन्हें सरकार चलाने के लिए एक मजबूत टीम की आवश्यकता होगी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि नई पीढ़ी की सोच के साथ तालमेल बिठाना उनके लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन उनके समर्थकों का विश्वास है कि वह संक्रमण काल में लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ सफल नेतृत्व करेंगी। 

 
 

 

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