उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा शर्तें संशोधन विधेयक, 2021 पारित
नई दिल्ली। लोकसभा ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा शर्तें संशोधन विधेयक, 2021 को बुधवार को ध्वनि मत से पारित कर दिया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस संशोधन विधेयक में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन के वितरण में विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया गया है।
इस संशोधन में व्यवस्था है कि विशेष आयु प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त ये न्यायाधीश अतरिक्त पेशन अथवा परिवार पेशन के पात्र होगे। विशेष आय़ु को पांच श्रैणीयों में रखा गया है, जिसमें न्यूनतम आयु 80 वर्ष होनी चाहिए। विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायपलिका के उच्च पदों पर जजों की नियुक्त की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली के बारे में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के अनेक वर्गों द्वारा अपत्ति व्यक्त की गई है।
श्री रिजिजू ने कहा कि उन्हें एक नई राष्ट्रीय न्यायिक पालिका नियुक्ति आयोग विधेयक लाने का सुझाव भी प्राप्त हुआ है।उच्चतम न्यायालय औऱ उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा नामों के सेट मिलने के बाद नियमानुसार उनकी छानबीन की आवश्यकता होती है।उन्होंने कहा कि इस मामले में एक निश्चित समय के भीतर कार्य करना उचित नहीं होगा। श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से कहा है कि वे इस बात का ख्याल रखे की न्यायाधीश पद की नियुक्त के लिए भेजे गए नामों में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
कानून मंत्री का कहना था कि सरकार न्यायपलिका के मामले में कभी दखल नहीं देती है। कार्यपालिका और विधायका की तरह न्यायपालिका को भी अपने मामले में स्वतंत्रता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार फॉस्टट्रैक कोर्ट की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य कर रही है, औऱ पश्चिम बंगाल सरकार को केंद्र के साथ सहयोग करने को कहा गया है। श्री रिजिजू ने कहा कि फिल्हाल न्यायालयों में साढ़े पांच करोड़ मामले लंबित है जो चिंता का विषय है। हांलाकि उनका ये भी कहना है कि इनमे से 90 प्रतिशत मामले निचली आदलतों में लंबित है। श्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था। इस विधेयक पर कल सदन में विस्तार से चर्चा की गई।
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