गणेश जी के ये 108 चमत्कारिक नाम पापों का करते हैं नाश
भगवान गणेश सब के दुलारे हैं और हर शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का स्मरण किया जाता है और विघ्नहर्ता गणेश प्रसन्न होकर कार्यों में आने वाली रुकावटों को दूर करते हैं। भगवान गणेश जी के 108 नाम के जाप मात्र से ही मनुष्य के समस्त भय दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश विघ्नकर्ता और विघ्नहर्ता दोनों ही हैं। लंबोदर जिस घर में निवास करते हैं वहां ऋद्धि-सिद्धि और कीर्ति से भंडार भरा रहता है।
गणेश जी के 108 नाम अर्थ सहित
1*गणेश्वर—गणों के स्वामी
2*गजकर्णक—हाथी के कान वाले
3*लम्बोष्ठ—बड़े-बड़े होंठ वाले
4*लम्बनासिक—लम्बी नाक वाले
5*गणक्रीड—गणों के साथ क्रीडा करने वाले
6*भगवान्—अनन्त, छहों ऐश्वर्य सम्पन्न
7*भव्य—सुन्दर
8*भूतालय—भूतसमूह के आश्रय
9*भोगदाता—भोग प्रदान करने वाले
10*भक्तिसुलभ—भक्ति द्वारा शीघ्र प्राप्त होने वाले
11*विजयावह—विजयप्रदाता
12*विश्वकर्ता—सबको उत्पन्न करने वाले
13*वीरासनाश्रय—वीरासन में विराजमान
14*वरेण्य—श्रेष्ठ
15*वामदेव—सुन्दर स्वरूप वाले
16*वन्द्य—वन्दन करने योग्य
17*वज्रनिवारण—क्लेशों से रक्षा करने वाले
18*विश्वकर्ता—सर्वस्रष्टा, सब कुछ करने वाले
19*विश्वचक्षु—सब कुछ देखने वाले
20*विश्वमुख—सभी ओर मुख वाले
21*दुर्जय—अजेय
22*धूर्जय—जीतने को उत्सुक
23*धनद—समृद्धि देने वाले
24*धरणीधर—पृथ्वी को धारण करने वाले
25*जय—जय
26*महामना—जिनका हृदय विशाल है
27*महागणपति—महागणपति
28*योगाधिप—योग के अधिष्ठाता
29*चित्रांग—दीप्तिमान अंगों वाले
30*श्यामदशन—श्याम आभायुक्त दांत वाले
31*भालचन्द्र—मस्तक पर चन्द्रकला धारण करने वाले
32*चतुर्भुज—चार भुजाओं वाले
33*शम्भुतेज—शम्भु के तेज से उत्पन्न
34*सर्वावयवसम्पूर्ण—सभी अंगों से परिपूर्ण
35*सर्वलक्षणलक्षित—सभी शुभ लक्षणों से युक्त
36*स्वतन्त्र—स्वाधीन
37*सत्यसंकल्प—संकल्पवान्
38*सहस्त्रशीर्षा पुरुष—अनन्तरूप में प्रकट विराट् पुरुष
39*सहस्त्राक्ष—अनन्त दृष्टिसम्पन्न
40*सहस्त्रपात—अनन्त गतिसम्पन्न
41*सौभाग्यवर्धन—सौभाग्य बढ़ाने वाले
42*सर्वात्मा—सबके आत्मस्वरूप
43*सुरुप—सुन्दर रूप वाले
44*सर्वनेत्राधिवास—सबकी आंखों में बसने वाले
45*सामबृंहित—सामवेद में गाए गए
46*कुलाचलांस—कुल पर्वतों के समान कांधों वाले
47*व्योमनाभि—आकाश की सी नाभि वाले
48*कल्पद्रुमवनालय—कल्पवृक्ष के वन में रहने वाले
49*निम्ननाभि—गहरी नाभि वाले
50*स्थूलकुक्षि—मोटे पेट वाले
51*पीनवक्षा—चौड़ी छाती वाले
52*बृहद्भुज—लम्बी भुजाओं वाले
53*पीनस्कन्ध—चौड़े कन्धों वाले
54*याज्ञिक—यज्ञप्रक्रिया के पूर्ण ज्ञाता
55*यज्ञकाय—यज्ञस्वरूप
56*याजकप्रिय-जिन्हें यज्ञकर्ता प्रिय हैं
57*इन्दीवरदलश्याम—नीलकमलपत्र के समान श्याम वर्ण वाले
58*इन्दुमण्डलनिर्मल—चन्द्रमण्डल के समान निर्मल
59*इक्षुचापधर—ईख के धनुष को धारण करने वाले
60*इन्दुमण्डलनिर्मल—चन्द्रमण्डल के समान निर्मल
61*पुरुष—पुरुष
62*शूली—शूल धारण करने वाले
63*ज्ञानमुद्रावान्—ज्ञानमुद्रा में स्थित
64*कामिनीकामनाकाममालिनीकेलिलालित—कामिनियों की कामनारूपी कामकला की क्रीडा से प्रसन्न होने वाले
65*दुष्टचित्तप्रसादन—चित्त के दोषों को मिटा देने वाले।
66*अमोघसिद्धि—अमोघ सिद्धिस्वरूप
67*अक्षमालाधर—अक्षमाला धारण करने वाले
68*आधार—आधारस्वरूप
69*आधाराधेयवर्जित—जिनका कोई आधार नहीं और जो किसी पर आश्रित नहीं
70*कम्बुकण्ठ—शंख के समान कण्ठ वाले
71*कर्मसाक्षी—सभी कर्मों के साक्षी
72*कर्मकर्ता—सभी कर्मों की मूलशक्ति
73*कान्तिकन्दलिताश्रय—शोभायमान गण्डस्थल वाले
74*कर्माकर्मफलप्रद—पुण्य और पाप का फल देने वाले
75*कमण्डलुधर—कमण्डलु धारण करने वाले
76*कल्प—नियम के स्वरूप
77*कपर्दीकामरूप—इच्छानुसार रूप ग्रहण करने वाले
78*कामगति—इच्छानुसार गति वाले
79*कटिसूत्रभृत—कमर में मेखला धारण किए हुए
80*कारुण्यदेह—करुणामूर्ति
81*कपिल—रक्त आभायुक्त
82*गुह्यागमनिरुपित—रहस्यमय तन्त्रों में वर्णित
83*गुहाशय—भक्तों के हृदय में विराजमान
84*गुहाब्धिस्थ—हृदयसमुद्र में स्थित
85*घटकुम्भ—घड़े के समान गण्डस्थल वाले
86*घटोदर—घड़े के समान पेट वाले
87*पूर्णानन्द—पूर्णानन्दस्वरूप
88*परानन्द—आनन्द की पराकाष्ठा
89*बृहत्तम—सबसे बड़े
90*ब्रह्मपर—परब्रह्म
91*ब्रह्मण्य—ब्रह्मानुवर्ती
92*ब्रह्मवित्प्रिय—ब्रह्मज्ञानियों के प्रिय
93*हवन—यज्ञस्वरूप
94*हव्यकव्यभुक्—हव्य और कव्य के भोक्ता
95*कीर्तिद—कीर्ति देने वाले
96*शोकहारी—शोक मिटाने वाले
97*त्रिवर्गफलदायक—धर्म,अर्थ,काम तीनों पुरुषार्थों के प्रदाता
98*चतुर्बाहु—चार भुजाओं वाले
99*चतुर्दन्त—चार दांतों वाले
100*चतुर्थीतिथिसम्भव—चतुर्थी तिथि को अवतार ग्रहण करने वाले
101*तारकस्थ—तारकमन्त्र में निवास करने वाले
102*द्विरद—दो दांत वाले
103*द्वीपरक्षक—समस्त धरती के रक्षक
104*क्षेत्राधिप—समस्त क्षेत्र के अधिष्ठाता
105*क्षमा-भर्ता—क्षमा धारण करने वाले
106*लयस्थ—गानप्रिय
107*लड्डुकप्रिय—जिन्हें लड्डू प्रिय हैं
108*प्रतिवादिमुखस्तम्भ—विरोधी का मुख बन्द कर देने वाले
Leave A Comment