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  वास्तुशास्त्र के अनुसार कैसे करें कोचिंग क्लास का निर्माण
 वास्तुशास्त्र के अनुसार कुल 10 दिशाएं होती है। हर दिशा का एक तत्व होता है । ये तत्व है अग्नि ,पानी ,वायु ,पृथ्वी और आकाश। हर व्यवसाय का अपना कोई ना कोई तत्व होता है । हर व्यवसाय का अपना लाभदायक कोना होता है । ठीक इसी तरह कोचिंग इंस्टीट्यूट का भी एक कोना होता है।
 -कोचिंग इंस्टीट्यूट का सम्बंध ईशान कोण से है। 
- ईशान कोण पवित्र और शुभ स्थान माना जाता है!
-ईशान कोण का स्वामी ग्रह गुरु है !
-राशि में धनु और मीन राशि का प्रभाव क्षेत्र पर पड़ता है!
-ईशान कोण का तत्व जल होता है !
-अत: कोचिंग इंस्टीट्यूट या स्कूल कॉलेज में काम करने वालों को अपने ईशान कोण पर विशेष ध्यान देना चाहिए !
-इसी तरह कोचिंग चलाने वालों को ईशान कोण को विकसित करना चाहिए।  ईशान कोण में  सिद्ध किए हुए  पिरामिड रखना चाहिए।  ईशान कोण में गणेश भगवान विश्वकर्मा जी माता सरस्वती की फोटो रखनी चाहिए।
-शुभ गुरु यंत्र भी स्थापित करना चाहिए । 
-शुद्ध गंगाजल  तुलसी का छोटा पौधा आदि इसे विकसित करते हैं। 
-कोचिंग का कार्य करने वालों को अध्यापन के पूर्व 8- 10 मिनट ध्यान का अभ्यास भी करना चाहिए। 
-ईशान कोण झुका हुआ हो तो परिणाम अच्छे मिलने की संभावना रहती है!
-इस स्थान पर देव गुरु बृहस्पति की फोटो  व वेदों उपनिषदों और रामायण जैसे महा ग्रंथों की फोटो लगाना अत्यंत शुभ होता है । 
- शेष वास्तु कृपा,  देव कृपा
 (पंडित विनीत शर्मा, वास्तु शास्त्री, ज्योतिषी, चौबे कॉलोनी रायपुर)
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