शौचालय को वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार बनाएं
वास्तु शास्त्रम के अनुसार शौचालय मे बैठते समय कुछ नियम बनाये गये हैं -
-अष्टांग योग में महर्षि पतंजलि में शौच को नियम का एक महत्वपूर्ण अंग माना है!
-दिन में शौचालय घर के वायव्य कोण की ओर मैदान में जाएँ और उत्तर की ओर मुंह करके बैठे
-रात में शौचालय घर के दक्षिण दिशा की और की मैदान में जाएँ ओर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें
-इसीलिए घर के वायव्य कोण और दक्षिण में शौचालय बनाने का विधान है
-शौचालय की लेट्रिन शीट उत्तर या दक्षिण की और मुंह करके बनाना चाहिए !
- सीट को सफेद रंग का ही रखना अनुकूलतम माना गया है!
- शौचालय में भारतीय पद्धति ही सबसे कारगर मांनी गई है भारतीय पद्धति से ही पेट अधिक साफ होता है!
-उपयोग करने के बाद शौचालय को साफ रखना बहुत आवश्यक है!
-गाँव के लोगों को कभी भी लेट्रिन ठीक से न होने की शिकायत करते कभी भी नही सुना क्योंकि वो रोज सुबह एक /दो किलोमीटर पैदल चलकर खेतों में जाते हैं जिससे पेट पूरा साफ हो जाता है ,शौचालय में बैठने का सबसे अच्छा तरीका उखडू बैठना है इसलिए जो लोग इंडियन शीट में बैठ सकते हैं वो इंडियन शीट में बैठने की अपनी आदत को बनाये रखें !
-स्वयं का सत्कर्म, महान पुरुषार्थ, बड़ों का आशीर्वाद, मित्रों का स्नेह महान भाग्य नियामक होता है
- पंडित विनीत शर्मा
ज्योतिषी वास्तु-योग सलाहकार
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