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  ऐसे करें भगवान गणपति प्रतिमा की स्थापना
 किस मुहूर्त में करें गणेशजी की पूजा....
गणेश प्रतिमा स्थापित करते समय इन बातों का रखें ध्यान....
 भगवान गणेश की आराधना का 10 दिवसीय पर्व कल से शुरू होने जा रहा है। आइये जाने प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से कि कल भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना का क्या है शुभ मुहुर्त और स्थापना के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा घर में स्थापित करने से पहले पूजा स्थल की सफाई करें। गणपति की स्थापना करने से पहले स्नान करने के बाद नए या साफ धुले हुए बिना कटे-फटे वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद अपने माथे पर तिलक लगाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाएं।
 सबसे पहले घी का दीपक जलाएं।  इसके बाद पूजा का संकल्प लें। फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें।
फिर एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत (चावल), या गेहूं, मूंग, ज्वायर रखें और गणपति को स्थापित करें। आप चाहे तो बाजार से खरीदकर या अपने हाथ से बनी गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें।
मध्याह्न गणेश पूजा - 11:07 से 13:41
चंद्र दर्शन से बचने का समय- 09:07 से 21:26 (22 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि आरंभ- 23:02 (21 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 19:56 (22 अगस्त 2020)
गणेश स्थापना - ध्यान रखें
-आसन कटा-फटा नहीं होना चाहिए। 
-जल से भरा हुआ कलश गणेश जी के बाएं रखें।
-चावल या गेहूं के ऊपर स्थापित करें।
-कलश पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें।
- गणेश जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखें।
-गणेश जी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए मध्याह्न में ही प्रतिष्ठापित करें।
- पूजा का समय नियत रखें। जाप माला की संख्या भी नियत ही रखें।
- गणेश जी के सम्मुख बैठकर उनसे संवाद करें। मंत्रों का जाप करें। अपने कष्ट कहें।
-शिव परिवार की आराधना अवश्य करें यानी भगवान शंकर और पार्वती जी का ध्यान अवश्य करें।
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि 
गणपति की स्थापना के बाद इस तरह पूजन करें-
- सबसे पहले घी का दीपक जलाएं, इसके बाद पूजा का संकल्प लें ।
- इसके बाद गणपति को दूर्वा या पान के पत्ते की सहायता से गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- अब गणेश जी को पीले वस्त्र चढ़ाएं, अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें मोली को वस्त्र मानकर अर्पित करें।
- इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर (कुमकुम), चंदन, अक्षत लगाएं, फूल चढ़ाएं और फूलों की माला अर्पित करें और आभूषण से अलंकृत करें।
- अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
- अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें, हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें।
- अब नैवेद्य का भोग लगाएं. नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल हैं। गणेश जी को मोदक और बूंदी के लड्डू अति प्रिय हैं उनका भोग अवश्य लगाएं।
- पान लौंग इलायची और द्रव्य चढ़ाएं, उसके पश्चात् ऋतु फल अर्पित करें।
- इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिणा प्रदान करें।
- अब अपने परिवार के साथ गणपति की और शंकर जी आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।
- इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
- अब गणपति की परिक्रमा करें. ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
- इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
-  पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
किस रंग की गणेश प्रतिमा का पूजन शुभ होता है
 जाने-माने ज्योतिषाचार्य पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि हर रंग की मूर्ति के पूजन का फल भी अलग होता है।  पीले रंग और लाल रंग की मूर्ति की उपासना को शुभ माना गया है। 
-पीले रंग की प्रतिमा की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-सफेद रंग के गणपति की उपासना से ऋणों से मुक्ति मिलती है।
- चार भुजाओं वाले लाल गणपति की उपासना से सभी संकट दूर होते हैं। 
- बैठे हुए गणपति की मूर्ति ही खरीदें।  इन्हें घर में रखने से स्थाई धन लाभ होता है।
- गणेश जी की ऐसी मूर्ति ही घर के लिए खरीदें, जिसमें उनकी सूंड बाईं ओर मुड़ी हो।  गणेश जी की उपासना जितने भी दिन चलेगी अखंड घी का दीपक जलता रहेगा।  
- गणेश जी को दूब प्रिय हैं। दूब अर्पित करें, मोदक का भोग लगाएं। मोदक घर में बनाएं तो ज्यादा बेहतर होता है। 

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