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  बीमारी, इलाज और भाग्य संबंधी प्रश्न
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदान किया गया समाधान
 
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने आध्यात्म-जगत में एक अभूतपूर्व अध्याय जोड़ते हुये समस्त विश्व को एक नई रोशनी, दिशा और उत्साह प्रदान किया है। जहाँ उन्होंने साधना-तत्व का अद्वितीय निरुपण किया, साथ ही उन्होंने सांसारिक जगत के भी अनेक छोटे-बड़े प्रश्नों का समाधान साधक-समुदाय को प्रदान किया। उन्होंने सदैव यही समझाया कि आत्मा का कल्याण शरीर की स्वस्थता के बिना बहुत कठिन है। अत: आध्यात्मिक उत्थान के लिये यथासंभव शरीर की देखभाल भी परमावश्यक है। इसी से संबंधित एक प्रश्न एक साधक ने पूछा था। आइये श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा प्रदान किये उत्तर का पठन कर लाभ पाने का प्रयत्न करें :::::::
 
(यहाँ से पढ़ें...)
 
एक साधक का प्रश्न - महाराज जी! जब मृत्यु निश्चित है तो बीमार होने पर दवाई करें या न करें, उसे तो समय से जाना ही है?

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदान किया गया उत्तर-
 
...दो प्रकार का रोग होता है, एक को कहते हैं कर्मज, एक को कहते हैं दोषज, हमारे आयुर्वेद में। आयुर्वेद का मैं आचार्य हूँ। तो आयुर्वेद में दो प्रकार की बीमारी बताई है। जो रोग आपके आहार-विहार की गड़बड़ी से हुआ है, यानी आपकी गड़बड़ी से हुआ है। खानपान जो कुछ अंड-बंड आपने किया उसके कारण हो गया है, उसको दोषज कहते हैं। अब जो प्रारब्ध (भाग्य) का कर्मफल भोग है, उसके द्वारा जो रोग होता है वो कर्मज कहलाता है। तो कर्मज रोग का तो इलाज करो, न करो, बराबर है। जब प्रारब्ध भोग समाप्त हो जायेगा तो अपने आप ठीक हो जायेगा। फिर तो अंड-बंड दवा भी करो तो भी वो रोग चला जायेगा। नाम करते हैं लोग, अरे हमने ऐसा कर लिया, हम तो ठीक हो गये। वो कर्मज व्याधि थी इसलिये ठीक हो गया अपने आप। वो बता रहा है, ऊटपटांग इलाज। उसने झाड़-फूँक कर दिया, उसने ये कर दिया।
 
दोषज बीमारी जो होगी, जो हमारी गड़बड़ी से हुई है उसमें तो दवा काम करेगी, इलाज करना होगा। अब चूंकि मालूम नहीं हो सकता कि ये कर्मज है कि दोषज है इसलिये दवा सबकी करनी पड़ती है।
 
नम्बर दो अगर हमारा पिता बीमार है, उसकी सब प्रॉपर्टी तो हम लेने को बैठे हैं तैयार और दवा करने के बारे में हम ये कह दें कि जो होना है सो होगा। तो लोग खा जायेंगे, क्या कहेंगे लोग उनको। लोक दृष्टि से भी और शास्त्र की दृष्टि से भी इलाज तो कराना ही है। अब अगर वो दोषज है तो फायदा होगा और बीमारी ठीक हो जायेगी। अगर कर्मज है तो दवा काम नहीं करेगी, वो भोग के एक दिन अपने आप ठीक हो जायेगी।
 
(स्त्रोत- साधन साध्य पत्रिका, जुलाई 2016 अंक)

उ सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।

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