ब्रेकिंग न्यूज़

  साधक को अपनी साधना के मिथ्याभिमान से सदा बचना है!!
-जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा नि:सृत प्रवचन 
 
बहुधा भक्तिमार्ग में जब हम कदम रखते हैं और कुछ उन्नति करने लगते हैं तो स्वभाववश कुछ असावधानी से अपने भीतर अपनी साधना के अभिमान का अंकुर फूट पड़ता है और यदा-कदा हम किसी नास्तिक को देखकर उसे अभागा समझकर उसका अपमान भी कर बैठते हैं। यह अभिमान भक्ति का घोर विरोधी है। इससे भक्ति की हानि होती है। जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इस संबंध में साधक समुदाय को संबोधित करते हुये बहुत महत्वपूर्ण सलाह दे रहे हैं, आइये उनके शब्दों द्वारा इसे समझें ::::::::

(साधक को अपनी साधना के मिथ्याभिमान से सदा बचना है!!..)
 
..किसी नास्तिक को देखकर यह मिथ्याभिमान भी न करना चाहिए कि यह तो कुछ नहीं जानता, मैं तो बहुत आगे बढ़ चुका हूँ. क्योंकि बड़े से बड़े घोर नास्तिक भी कभी-कभी इतना आगे बढ़ जाते हैं कि बड़े-बड़े साधकों के भी कान काट लेते हैं. यह सब विशेषकर पूर्व जन्म के संस्कारों के द्वारा ही हो जाता है. तुम किसी के संस्कारों को क्या जानो, अतएव सभी जीव गुप्त या प्रकट रूप से भगवत्कृपाप्राप्त हैं ऐसा समझकर किसी को भी घृणा की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए; किन्तु इतना अवश्य है कि संग उन्हीं का करना चाहिए जिनके द्वारा हमारी साधना में वृद्धि हो..

किसी भी दशा में तुम गोविन्द राधे,
हरि विमुखों का संग करो ना बता दे..
 
(प्रवचनकर्ता -जगद्गुरुत्तम् स्वामी श्री कृपालु जी महाराज)
 (संदर्भ/स्त्रोत -जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज साहित्य)
(सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन)

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english